वो 30 दिसंबर की रात थी. हैदराबाद के यूसुफगुड़ा के एक कंपाउंड में कुछ लोग ताड़ी पी रहे थे. हर कोई नशे में धुत्त था.इसी कंपाउंड में दो और लोग भी थे.
इनमें से एक 50 साल की महिला और एक करीब 45 साल का पुरुष था. ये आदमी धीरे से उस महिला के पास गया और बातचीत करने लगा. उसने उससे कुछ देर बात की और इसके बाद दोनों उस कंपाउंड से बाहर निकल गए. वे दोनों शहर के बाहरी इलाके में किसी सुनसान जगह की तलाश में चल पड़े.
यूसुफगुड़ा से ये दोनों घाटकेश्वर के पास अंकुशापुर पहुँचे. यह एक सुनसान जगह थी. दोनों ने यहाँ पहुँचकर थोड़ी और शराब पी. लेकिन, इसके बाद दोनों का आपस में झगड़ा होने लगा. झगड़ा इतना बढ़ गया कि आदमी ने एक पत्थर महिला को दे मारा और उसकी हत्या कर दी. इसके बाद वह वहाँ से भाग गया.
इस घटना से केवल 20 दिन पहले ही 10 दिसंबर को भी ऐसा ही कुछ बालानगर ताड़ी कंपाउंड में भी हुआ था. ये शख्स वहाँ भी पहुँचा था. वहाँ भी उसे एक अकेली महिला मिली. ये महिला 35 से 45 साल के बीच की उम्र की थी. दोनों ने वहाँ शराब पी. उसने उसे कई सारी चीजें बताईं और बहला-फुसलाकर बाहर ले गया.
दोनों शहर के एक सुनसान इलाके की ओर चल पड़े. वे सेंगारेड्डी ज़िले के मुलुगु इलाके में मौजूद सिंगायापल्ली गाँव जा पहुँचे. दोनों ने दोबारा शराब पी. इसके बाद उस शख्स ने महिला की साड़ी से ही उसका गला घोंटकर हत्या कर दी और वहाँ से भाग खड़ा हुआ.
इस शख्स की ये दूसरी हत्या नहीं थी. यह अठारवाँ मर्डर था.
इस शख्स की बातों पर भरोसा करके उसके साथ जाने वाली कोई भी महिला अब तक ज़िंदा वापस नहीं लौटी थी.
इस शख्स का नाम एम रामुलु है. यूसुफगुड़ा की महिला समेत इस शख्स ने 18 महिलाओं की हत्या की है. इनमें से सभी महिलाएं सिंगल थीं और इन सभी की हत्या एक ही तरीके से की गई थी. सभी हत्याएं हैदराबाद के बाहरी सुनसान इलाकों में हुई थीं.
नौ हत्याओं के दौरान ही पुलिस इसे पकड़ सकती थी. 2003 में तूरपान पुलिस स्टेशन के इलाके में, 2004 में रायादुर्गाम पुलिस स्टेशन के क्षेत्र में, 2005 में संगारेड्डी पुलिस स्टेशन, 2007 में रायदुर्ग स्टेशन के डुंडीगल स्टेशन के इलाके में, 2008 में नरसापुर में और 2009 में कुकाटपल्ली में दो हत्याएं के सिलसिले में हत्यारे को पकड़ा जा सकता था.
लेकिन, पुलिस ने पहली बार नरसंगी और कोकटपल्ली इलाकों में हुई हत्याओं को गंभीरता से लिया. कड़ी जाँच के बाद इन मामलों को सुलझा लिया गया. पुलिस ने एक चार्जशीट दाखिल की.
रामुलु के ख़िलाफ़ दर्ज़ किए गए दूसरे मामले तब तक अंजाम पर नहीं पहुँच पाए थे, लेकिन 2009 के कुकाटपल्ली और नरसंगी के मामलों में 2011 के फ़रवरी में रंगारेड्डी कोर्ट ने उसे दोषी ठहराया और उसे आजीवन कारावास और 500 रुपये का जुर्माना भरने की सज़ा दी.
रामुलु का ‘फिल्मी प्लान’
लेकिन, रामुलु ने पूरी ज़िंदगी जेल में बिताने से बचने का एक प्लान बना रखा था.
उसने एक मानसिक रोगी की तरह व्यवहार करना शुरू कर दिया. लोगों को लगा कि वह वाकई में बीमार है. इसके बाद उसे एरागड्डा मेंटल हॉस्पिटल में 2011 को भर्ती कराया गया.
एक महीने तक वहाँ रहने के बाद वह 30 दिसंबर की रात भाग गया. अपने साथ वह पाँच अन्य कैदियों को भी भगा ले गया जो कि दिमागी बीमारी का इलाज करा रहे थे.
इस सिलसिले में एसआर नगर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज़ किया गया था.
जेल से भागने के बाद रामुलु महिलाओं की हत्या के अपने काम में फिर से लग गया. 2012 और 2013 में बोवेनपल्ली में दो हत्याएं, 2012 में चंदानगर में, साल 2012 में डुंडीगल में दो हत्याएं कीं और ये पाँचों हत्याएं महिलाओं की थीं.
पुलिस ने इन हत्याओं पर फिर से ध्यान देना शुरू किया. मई 2013 में बोवेनपल्ली पुलिस ने रामुलु को पकड़ लिया. इस बार उसे पाँच साल के लिए जेल में डाल दिया गया.
हमें नहीं पता कि रामुलु की क़ानून पर अच्छी पकड़ है या उसके पास एक अच्छा वकील है, लेकिन उसने 2018 में हाईकोर्ट में अपील की और अपनी सज़ा को कम करवाने में कामयाब रहा. 2018 के अक्तूबर में रामुलु के पक्ष में फ़ैसला आया. उसे रिहा कर दिया गया.
बाहर आते ही उसने फिर हत्याएं शुरू कर दीं. 2019 में उसने शमीरपेट में एक और पट्टन चेरुवु में एक और हत्या की. इसके साथ ही अब तक वह 16 महिलाओं को मार चुका था.
एक बार फिर उसे पकड़ा गया. उसे जेल में डाला गया और एक बार फिर जुलाई 2020 में वह जेल से रिहा होने में कामयाब रहा.
हत्याओं का दौर
जुलाई 2020 में रिहा होने के बाद उसने फिर से दो हत्याएं कीं. 50 साल की महिला के पति ने उसके गायब होने के बाद पुलिस स्टेशन का दरवाज़ा खटखटाया. इसके बाद जुबिली हिल्स पुलिस स्टेशन में गुमशुदगी का केस दर्ज़ किया गया.
चार दिनों बाद घाटकेश्वर पुलिस को एक अज्ञात महिला की लाश मिली. पुलिस ने मामले की जाँच शुरू की.
अंत में हैदराबाद और राचनकोंडा की पुलिस ने आपस में बात की. सीसीटीवी कैमरों से पता चला कि महिला किसी शख्स से बात कर रही थी. फुटेज की पड़ताल से चीजें स्पष्ट हुईं. मामले की गहन पड़ताल की गई.
इसके बाद मामले की जाँच कर रही टीम ने 2009 के केस की पड़ताल की जिसमें रामुलु को दोषी ठहराया गया था. जब जाँच अधिकारी ने सीसीटीवी फुटेज में फ़ोटोज को देखा तो उन्हें संदेह हुआ.
जिस तरीके से मर्डर हुए उनका पैटर्न मिलता-जुलता था. ऐसे में उन्होंने पुराने केसों को खंगालना शुरू कर दिया. इसके बाद रामुलु के इन घटनाओं में शामिल होने की पुष्टि हो गई.
क्या है हत्या का तरीका
रामुलु का शिकार अकेली महिलाएं होती हैं. वह इन महिलाओं से दुकानों या ताड़ी पीने के अड्डों पर दोस्ती गांठता था. वह उन्हें कई तरह से लुभाता था और इस बहाने उन्हें सुनसान जगहों पर ले जाता था.
वहाँ वह अपनी यौन इच्छाएं पूरी करता था और इसके बाद उनकी हत्या कर देता था. ज़्यादातर मामलों में उसने साड़ियों से ही महिलाओं का गला घोंटकर उनकी हत्या की थी.
कुछ मामलों में उसने पत्थर मारकर हत्याएं की थीं. वह हत्या के बाद इन महिलाओं के गहने चुरा लेता था.
रामुलु की शिकार महिलाएं ग़रीब या निम्न मध्य वर्ग से होती थीं.
रामुलु संगारेड्डी ज़िले के कांडी मंडल गाँव से आता है. 21 साल की उम्र में उसकी शादी हो गई थी. कुछ वक्त बाद उसकी पत्नी उसे छोड़कर चली गई थी. लोग कहते हैं कि इसके बाद उसने एक अन्य महिला से शादी कर ली. लेकिन, मौजूदा वक्त में कोई भी उसके साथ नहीं रहता है.
मौजूदा दो हत्याओं के अलावा भी रामुलु अन्य 21 मामलों में अभियुक्त है. इनमें 16 हत्याएं और 4 चोरी की घटनाएं शामिल हैं.
एक मामला पुलिस कस्टडी से भागने का है. इनमें से दो मामलों में वह आजीवन कैद की सज़ा पाया हुआ है.
कुल मिलाकर अब तक पुलिस की जानकारी में उसने 18 महिलाओं की हत्याएं की हैं.
मौजूदा वक्त में घाटकेश्वर पुलिस उससे पूछताछ कर रही है.साभार-बीबीसी न्यूज़
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