संयुक्त किसान मोर्चा का आरोप- आंदोलन को तोड़ने की कोशिश, पुलिस कर रही है परेशान

केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीन कृषि कानूनों का दिल्ली की सीमाओं पर विरोध का 50 वें दिन में प्रवेश कर चुका है। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान के बाद अन्य राज्यों के किसानों के जुड़ने से आंदोलन अब देशव्यापी रूप ले चुका है।

किसान भी तीनों कानूनों को निरस्त करने और एमएसपी को कानूनी अधिकार दिए जाने की मांग पर अडिग हैं। किसानों का आरोप है कि सरकार और असामाजिक तत्वों की ओर से आंदोलन को कमजोर करने की तमाम कोशिशों के बावजूद मांगों पर सुनवाई के बगैर किसान, आंदोलन वापस नहीं लेंगे।

संयुक्त किसान मोर्चा के डॉ. दर्शन पाल ने कहा कि तीन कृषि कानूनों की कॉपी जलाकर लोहड़ी का पर्व मनाया गया। सिंघु बॉर्डर पर सभी किसान नेता इस कार्यक्रम में शामिल हुए और दुल्ला भट्टी को याद करते हुए सरकार को चुनौती दी।

किसान नेता ने आरोप लगाया कि जयपुर-दिल्ली हाइवे पर धरने पर बैठे किसानों को पुलिस लगातार परेशान कर रही है। अपने हकों के लिए शांतिपूर्वक प्रदर्शन करना किसानों का मौलिक अधिकार है, इसलिए मोर्चा ने पुलिस से अपील की है कि किसानों के साथ परस्पर सहयोग करे।

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में कहा गया है कि औरतें और बुजुर्ग इस आंदोलन में क्यों हैं, उन्हें घर जाने के लिए कहना चाहिए। इस पर सयुंक्त किसान मोर्चा ने कहा कि कृषि में महिलाओं का योगदान अतुलनीय है और यह आंदोलन उनका भी है। इस तरह के सवाल उठाए जाने की मोर्चा ने निंदा की है।

अब तक 120 किसानों की मौत, सरकार नहीं हैं गंभीर
संयुक्त किसान मोर्चा ने आरोप लगाया कि किसानों की लगातार हो रही मौत के सिलसिले को देखकर भी सरकार इस तरफ ध्यान नहीं दे रही है। इससे सरकार की असंवेदनशीलता और अमानवीय चेहरा बेनकाब हो गया है।

लगातार किसानों की दिल्ली की सीमाओं सहित देश के अन्य हिस्सों में हो रहा है। अब यह आंकड़ा 120 तक पहुंच गया है। यह महज संख्या नहीं है, इनके न होने से किसानें का काफी नुकसान हुआ है। मगर सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं ले रही है।साभार-अमर उजाला

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