Kisan Andolan: कैसे खत्म होगा गतिरोध? सरकार की किसानों को दो टूक- नहीं रद्द होगा कृषि कानून-बैठक जारी

किसान संगठनों के नेताओं के साथ सोमवार को हो रही सातवें दौर की बातचीत के दौरान सरकार ने दो टूक कहा है कि तीनों नए कृषि कानूनों को रद्द नहीं किया जा सकता। सरकार की ओर से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पीयूष गोयल और सोम प्रकाश किसान संगठनों के 41 नेताओं के साथ दिल्ली के विज्ञान भवन में दोपहर से बैठक कर रहे हैं। इससे पहले, पिछले साल हुई बैठक में किसानों और सरकार के बीच दो मुद्दों पर सहमति बनी थी।

किसान नेताओं के साथ बातचीत में केंद्रीय मंत्रियों ने कहा कि कानून के जिस भी खंड से दिक्कत है, उसमें संशोधन करने के लिए सरकार तैयार है। इस बैठक में शामिल किसान नेता जोगिंदर सिंह ने हमारे सहयोगी अंग्रेजी अखबार हिन्दुस्तान टाइम्स को फोन पर बताया, ”सरकार ने कहा कि वह कानूनों के बिंदुओं पर एक-एक करके बात करना चाहती है।

उन्होंने कहा कि कानूनों को रद्द नहीं किया जा सकता है। हमने भी उन्हें बता दिया है कि सिर्फ एक ही तरीका है और वह यह है कि कानूनों को रद्द किया जाए और एमएसपी पर कानून बनाया जाए।” वहीं, बातचीत में सरकार सबसे पहले एमएसपी के प्रस्ताव पर बातचीत करना चाहती थी, जिसे किसान नेताओं ने खारिज कर दिया। हालांकि, पिछली बार की तरह, इस बार केंद्रीय मंत्रियों ने किसान नेताओं द्वारा मंगाए गए खाने को नहीं खाया।

बैठक में जान गंवाने वाले किसानों को दी गई श्रद्धांजलि
बैठक में सबसे पहले किसान नेताओं और तीनों केंद्रीय मंत्रियों ने आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले 50 किसानों को श्रद्धांजलि अर्पित की। किसानों और मंत्रियों ने अपनी जगह खड़े होकर दो मिनट का मौन रखा। बैठक शुरू होने से ठीक पहले कृषि मंत्री तोमर ने कहा, ”मुझे उम्मीद है कि आज कोई सकारात्मक हल निकलेगा। हम बैठक में सभी मुद्दों पर चर्चा करेंगे।” वहीं, न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए किसान नेता हन्नान मोल्लाह ने कहा कि नए साल पर हो रही इस बैठक से हमें भी उम्मीद है कि हल जरूर निकलेगा। उन्होंने कहा, ”यह सरकार पर है कि वह दिक्कतों का हल निकालना चाहती है या नहीं। हमें उम्मीद है कि सरकार किसानों के प्रति इंसानियत दिखाएगी।”

दिल्ली की सीमाओं पर लंबे समय से डटे हैं किसान
केंद्र के तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले एक महीने से ज्यादा समय से हजारों किसान दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। इनमें से ज्यादातर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तरप्रदेश के किसान हैं। राष्ट्रीय राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में भीषण ठंड के अलावा पिछले कुछ दिनों में भारी बारिश और प्रदर्शन स्थल पर जलजमाव के बावजूद किसान अपनी मांग पर डटे हुए हैं। पिछले साल सितंबर में लागू कानूनों के बारे में केंद्र सरकार का कहना है कि इससे कृषि क्षेत्र में बड़ा सुधार होगा और किसानों की आमदनी बढ़ाने में मदद मिलेगी लेकिन प्रदर्शन कर रहे किसानों को आशंका है कि इन कानूनों से एमएसपी और मंडी की व्यवस्था कमजोर होगी और वे बड़े कारोबारी घरानों पर आश्रित हो जाएंगे।साभार-हिन्दुस्तान न्यूज़

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