गाजियाबाद। 2020 में इंदिरापुरम के लोग सबसे ज्यादा साइबर क्राइम के शिकार हुए। ट्रांस हिंडन के सभी थानों में सबसे ज्यादा साइबर क्राइम के केस इंदिरापुरम थाने में दर्ज हुए। इस थाने में पूरे वर्ष में करीब 170 मुकदमे दर्ज किए गए। जबकि पुलिस द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, जिले भर में करीब 1866 मामले दर्ज हुए हैं। इनमें केवाईसी कराने और एटीएम और क्रेडिट कार्ड अपडेट करने के नाम पर सबसे अधिक ठगी की गई। साइबर अपराध को अंजाम देने वाले अधिकांश नंबर झारखंड और बंगाल के निकले। इनमें से ज्यादातर मामलों का खुलासा नहीं हो सका।
दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले लोग साइबर ठगों के निशाने पर हैं। दिल्ली से सटे इंदिरापुरम के लोग भी साइबर ठगी से अछूते नहीं हैं। ठगों ने ट्रांस हिंडन में सबसे अधिक इंदिरापुरम क्षेत्र में रहने वाले लोगों को अपना निशाना बनाया है। पॉश एरिया और अधिकांश शिक्षित वर्ग होने के बाद भी लोग ठगों से अपने आप को नहीं बचा सके। इंदिरापुरम थाने में 2020 में करीब 170 साइबर क्राइम के मामले दर्ज किए गए, जबकि साहिबाबाद में 40, टीलामोड़ में 20, कौशांबी में 25 और खोड़ा थाने में 18 मुकदमे दर्ज किए गए। इसमें सबसे ज्यादा ठगी एटीएम और क्रेडिट कार्ड के माध्यम से हुई है। जबकि फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, ट्विटर, ऑनलाइन शॉपिंग, देशभक्ति, केवाईसी कराने का झांसा देकर भी ठगी की गई है। फ्रॉड करने वाले अधिकांश नंबर बाहर के
पुलिस की जांच में सामने आया कि फ्रॉड किए जाने के मामले में अधिकांश नंबर झारखंड, बंगाल और बिहार के निकले। जांच की गई तो उनकी आईडी भी फर्जी पाई गई। जबकि कुछ मामलों में लोकशन मिलने पर पुलिस दबिश के लिए पहुंची तो वह लोकेशन जंगल की निकली या वहां पर कोई मिला नहीं। इसके चलते कई मामलों के खुलासे अभी तक नहीं हो सके हैं। ब्यूरो
यह बरतें सावधानी
– किसी भी तरह की फोन कॉल पर अपनी बैंक अकाउंट डिटेल शेयर न करें।
– ऑनलाइन शॉपिंग साइट को वेरिफाई करने के बाद ही खरीदारी करें।
– किसी भी अंजान एड्रेस से आए ईमेल को जांचने के बाद ही जवाब दें।
– फेसबुक पर अपनी निजी जानकारी को सभी से साझा न करें, प्राइवेसी सेंटिंग लगाएं।
– फ्रेंड बनाने के दौरान उसके बारे में पूरी जानकारी कर लें कि वह फेक आईडी तो नहीं है।
– मोबाइल पर आने वाले किसी भी लिंक पर बिना जानकारी के क्लिक न करें।
– व्हाट्सएप पर टू स्टेप वेरिफिकेशन को ऑन रखें।
क्या कहते हैं अधिकारी
साइबर क्राइम के मामलों में साल दर साल इजाफा हो रहा है। जितना ज्यादा लोग ऑनलाइन की ओर बढ़ रहे हैं, उतना ही अधिक ऐसे मामले सामने आ रहे हैं। इसके लिए हमें थोड़ा सजग रहने की आवश्यकता है। जल्दबाजी में न आकर शॉपिंग करते समय साइट के बारे में जानकारी कर लें। व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम पर प्राइवेसी लगा लें। कोई भी बैंक कस्टमर से फोन कर खाते का विवरण नहीं मांगता है। इसके लिए किसी को भी अपने ओटीपी, कार्ड नंबर, सीवीसी, पिन नंबर साझा न करें। -अभय मिश्र, सीओ फर्स्ट, नोडल अधिकारी थाना साइबर सेल गाजियाबाद। साभार-अमर उजाला
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