किसानों ने एक घंटे जाम रखा दिल्ली एक्सप्रेसवे, सड़क किनारे लगाए सैकड़ों टेंट

किसानों ने एक घंटे जाम रखा दिल्ली एक्सप्रेसवे, सड़क किनारे लगाए हजारों टेंट

गाजियाबाद। किसान आंदोलन में सोमवार शाम यूपी गेट पर किसानों ने दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे की सभी 14 लेनों को एक घंटे तक जाम रखा। किसानों ने यह कदम प्रदेश के विभिन्न इलाकों में किसानों को रोके जाने के विरोध में उठाया। जब पीलीभीत से किसानों के ट्रैक्टरों को आगे बढ़ने का रास्ता देने की सूचना आई, तब किसानों ने दिल्ली की तरफ से गाजियाबाद की ओर आने वाली लेनों को खोल दिया। इस दौरान दिल्ली की तरफ से गाजियाबाद की ओर आने वाले वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। वहीं, दूसरी ओर किसानों ने बढ़ती ठंड से बचने के लिए एक्सप्रेसवे के किनारे तंबुओं का पूरा गांव बसा लिया है। किसानों ने मंच से करीब आधा किलोमीटर आगे बड़ी संख्या में कैंपिंग टेंट लगा लिए हैं। इसमें रात के समय किसान नींद पूरी कर थकान मिटाते हैं।

सोमवार को जब पीलीभीत, रामपुर, मेरठ, नजीबाबाद, लखीमपुर खीरी और उत्तराखंड में किसानों की ट्रैक्टर-ट्रॉली रोकने और एक किसान को गिरफ्तार करने की सूचना यहां पहुंची तो किसानों का गुस्सा भड़क गया। किसान हाईवे पर बैठ गए और दिल्ली से आने वाले ट्रैफिक को रोक दिया। युवाओं ने गाड़ियों के आगे लेटकर नारेबाजी की। प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी उन्हें समझाने पहुंचे। गुस्साए किसानों ने अधिकारी को भी सड़क पर बैठा लिया। इस बीच एसएसपी ने किसान नेता से दो बार वार्ता की।

सुबह 11 बजे एडीएम सिटी शैलेंद्र सिंह, एसपी सिटी ज्ञानेंद्र सिंह व अन्य अधिकारी समाधान के लिए किसानों से वार्ता करने यूपी गेट पहुंचे। वहां किसान नेता वीएम सिंह ने समस्याओं पर अधिकारियों से समाधान के बारे में पूछा। करीब एक घंटे तक चली वार्ता में एडीएम सिटी ने दोपहर तीन बजे तक संपूर्ण समाधान का भरोसा दिया। चार बजे अधिकारियों और किसानों के बीच दोबारा से वार्ता होनी थी लेकिन अधिकारी यूपी गेट नहीं पहुंचे। जबकि अलग-अलग जगहों से किसानों को रोकने की सूचनाएं आ रही थीं।

इसके बाद भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत के निर्देश पर किसानों ने दिल्ली से गाजियाबाद जाने वाली सभी लेनों को बंद कर दिया। बुजुर्ग किसान सड़क पर हुक्का गुड़गुड़ाने लगे तो युवा किसान दिल्ली से आने वाले ट्रैफिक के आगे लेट गए। उन्होंने पोस्टर लेकर नारेबाजी शुरू कर दी। किसानों ने सरकार पर तानाशाही का आरोप लगाकर वाहन चालकों को वापस लौटा दिया। इससे दिल्ली की तरफ वाहनों का लंबा जाम लग गया।

भाकियू के प्रदेश अध्यक्ष राजवीर सिंह जादौन ने आरोप लगाया कि दो दिन पहले प्रशासन को किसानों की समस्याएं सुलझाने के लिए 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया गया था लेकिन किसान आंदोलन में आ रहीं रामपुर में 22, मेरठ में 35, नजीबाबाद में 35, लखीमपुर खीरी में 16, उत्तराखंड के स्वार तहसील में 12 व पीलीभीत में करीब 35 ट्रैक्टर-ट्रॉलियों को पुलिस प्रशासन ने जबरदस्ती रोक रखा है। किसानों को बेवजह परेशान किया जा रहा है। यूपी गेट पर किसान आंदोलन में बैठे किसानों को घर बुलाने के लिए परिवार पर दबाव बनाया जा रहा है। इस पर किसानों का गुस्सा भड़क गया। उन्होंने एक्सप्रेसवे की सभी लेनों को जाम कर दिया।

किसानों को समझाने के लिए सीओ अंशु जैन पहुंचीं तो किसानों ने वरिष्ठ अधिकारियों को बुलाने के लिए कहा और सड़क से उठने से इंकार कर दिया। सीओ ने किसान नेता राजवीर सिंह जादौन की एसएसपी कलानिधि नैथानी से फोन पर वार्ता कराई। एसएसपी ने जल्द समाधान का भरोसा देकर जाम खोलने के लिए कहा लेकिन किसान नहीं माने और वहीं सड़क पर डटे रहे। एडीएम सिटी शैलेंद्र सिंह, एसपी सिटी ज्ञानेंद्र सिंह भी पहुंचे। इस पर गुस्साए किसानों ने उन्हें वहीं अपने साथ सड़क पर बैठा लिया। पौन घंटे तक एडीएम सिटी भी किसानों के बीच बैठकर शासन के अधिकारियों से फोन पर वार्ता करते रहे। शाम पांच बजे पीलीभीत से किसानों की ट्रैक्टर-ट्रॉली यूपी गेट की ओर रवाना होने की सूचना पर किसानों ने एक्सप्रेसवे की लाइनों को खोल दिया।

वीडियो कॉलिंग से चल रही थी किसानों की सीधी वार्ता
एक्सप्रेसवे जाम के दौरान एडीएम सिटी के सामने किसान नेताओं की पीलीभीत में फंसे किसानों से वीडियो कॉल पर सीधी बात चल रही थी। इस दौरान पांच से छह बार में किसानों को पीलीभीत प्रशासन ने आगे बढ़ने दिया तो किसान नेता सड़क से उठने को तैयार हो गए। वैशाली से यूपी गेट होते हुए इंदिरापुरम जाने वाली लेन पर कुछ युवा किसान जब जाम के दौरान सड़क पर बैठे थे तो बाइक सवार दो-तीन चालकों से उनकी कहासुनी हो गई। इससे किसानों का गुस्सा और भड़क गया। कुछ देर में अन्य किसान भी वहां जुट और नारेबाजी करने लगे।

लकड़ी, रबर की मैट, रजाई और कंबल की भी किसान खुद कर रहे हैं व्यवस्था
साहिबाबाद। ठंड में किसानों को सर्द रात में परेशानी न हो इसके लिए वह खुद व्यवस्था कर रहे हैं। आंदोलन में शामिल किसानों ने अपने लिए सोमवार को रबर की मैट, लकड़ी, रजाई और कंबल की व्यवस्था की। शीतलहर से बचने के लिए तिरपाल लगाया। रात में ठंड अधिक हो गई है। जमीन पर सोने के लिए किसानों ने खुद रबर की मैट काफी संख्या में मंगाई है। ओढ़ने के लिए सोमवार को एक ट्रक रजाई और कंबल मंगवाए गए। साथ ही काफी संख्या में अलाव जलाने और लंगर में खाना बनाने के लिए लकड़ी की व्यवस्था की गई है। किसानों ने रात में शीत लहर से बचने के लिए हाईवे और एक्सप्रेस वे पर सड़क किनारे जगह जगह तिरपाल से सिर ढकने की व्यवस्था की है।  साभार-अमर उजाला

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