CSE की ओर से बुधवार को शहद की मिलावट को लेकर एक रिपोर्ट जारी की गई थी, जिसमें बताया गया था कि आजकल कई बड़े ब्रांड शहद में मिलावट कर रहे हैं. इस खबर का खंडन करते हुए डाबर और पतंजलि ने कहा कि यह दावे प्रेरित लगते हैं और इनका लक्ष्य कंपनी की छवि को खराब करना है.
नई दिल्ली: CSE की ओर से बुधवार को शहद की मिलावट को लेकर एक रिपोर्ट जारी की गई थी, जिसमें बताया गया था कि आजकल कई बड़े ब्रांड शहद में मिलावट कर रहे हैं. इस खबर का खंडन करते हुए डाबर और पतंजलि ने कहा कि यह दावे प्रेरित लगते हैं और इनका लक्ष्य कंपनी की छवि को खराब करना है. इसके अलावा कंपनियों ने कहा कि उनकी तरफ से बेचे जा रहे शहद पूरी तरह से असली हैं. इसके साथ ही उनको प्राकृतिक चीजों से तैयार किया जाता है और इसमें किसी भी तरह की चीनी की मिलावट नहीं की जाती है.
FSSAI के नियमों का होता है पालन
कंपनी ने जानकारी देते हुए बताया कि हमारे प्रोडक्ट पूरी तरह से शुद्ध हैं. FSSAI के सभी नियमों का पालन किया जा रहा है. डाबर के प्रवक्ता ने इस रिपोर्ट पर बोलते हुए कहा कि इस रिपोर्ट का लक्ष्य हमारे ब्रांड की छवि को खराब करना है.
जानिए क्या बोले पतंजलि के डायरेक्टर?
पतंजलि आयुर्वेद के मैनेजिंग डारेक्टर आचार्य बालकृष्ण ने भी कहा कि यह सिर्फ हमारे प्रोडक्ट को बदनाम करने की साजिश है, जिससे प्रोसेस्ड शहद का प्रचार किया जा सके. इसके अलावा उन्होंने कहा कि हमारे यहां कैपिटल और मशीनरी की मदद से 100 फीसदी शुद्ध शहद बनाया जाता है. इसके अलावा Fssai के सभी मानदंडों को पूरी सफलता के साथ पास किया जाता है.
CSE की रिपोर्ट में हुआ खुलासा
CSE की ओर से बुधवार को एक रिपोर्ट जारी की गई थी, जिसमें CSE की महानिदेशक सुनीता नारायण ने बताया कि भारतीय बाजारों में बिक रहे शहद के लगभग सभी ब्रांडों में जबरदस्त तरीके से शुगर सिरप (Sugar syrup) की मिलावट हो रही है. आपको बता दें इसी संगठन ने वर्ष 2003 और 2006 के दौरान सॉफ्ट ड्रिंक में कीटनाशक की उपस्थिति का खुलासा किया था.
खोज में यह तथ्य मिलने का किया था दावा
>> 77 फीसदी नमूनों में शुगर सिरप के साथ अन्य मिलावट पाए गए.
>> कुल जांचे गए 22 नमूनों में केवल पांच ही सभी परीक्षण में पास हुए.
>> शहद के प्रमुख ब्रांड्स जैसे डाबर, पतंजलि, बैद्यनाथ, झंडु, हितकारी और एपिस हिमालय, सभी एनएमआर टेस्ट में फेल पाए गए
>> 13 ब्रांड्स में से सिर्फ 3 – सफोला, मार्कफेड सोहना और नेचर्स नेक्टर, सभी परीक्षणों में पास पाए गए.
>> भारत से निर्यात किए जाने शहद का एनएमआर परीक्षण 1 अगस्त, 2020 से अनिवार्य कर दिया गया है, जो यह बताता है कि भारत सरकार इस मिलावटी व्यापार के बारे में जानती थी, इसलिए उसे अधिक आधुनिक परीक्षणों की आवश्यकता पड़ी.
सीएसई के फूड सेफ्टी एंड टॉक्सिन टीम के कार्यक्रम निदेशक अमित खुराना ने कहा कि हमने जो भी पाया वह चौंकाने वाला था. यह दर्शाता है कि मिलावट का व्यापार कितना विकसित है जो खाद्य मिलावट को भारत में होने वाले परीक्षणों से आसानी से बचा लेता है. हमने पाया कि शुगर सिरप इस तरह से डिजाइन किए जा रहे कि उनके तत्वों को पहचाना ही न जा सके.साभार- न्यूज़18
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