लखनऊ, पटाखा व्यापारियों का दर्द, CM साहब- लॉकडाउन में 8 महीने से हैं बेरोजगार, तीन दिन के लिए तो खोल दीजिए

एनजीटी का प्रतिबंध भी उस वक्त आया है जब लॉकडाउन से प्रभावित थोक और फुटकर व्यपारियों ने क्रेडिट पर माल उठा लिया था। एन मौके पर प्रतिबन्ध से पुलिस के साथ ही जिला प्रशासन भी असमंजस में हैं। सबसे बड़ी समस्या उन लोगों के साथ है जो त्योहारी मौसम में लॉकडाउन की भरपाई करना चाहते थे।

लखनऊ। कोरोना महामारी (COVID-19) और वायु प्रदूषण (Air Quality Index) की वजह से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) द्वारा यूपी समेत उन राज्यों में जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स खतरनाक है, में लगाए गए प्रतिबंध का व्यापक असर पटाखा (Firecrackers Industry) व्यापारियों पर देखने को मिल रहा है। एनजीटी का प्रतिबंध भी उस वक्त आया है जब लॉकडाउन से प्रभावित थोक और फुटकर व्यपारियों ने क्रेडिट पर माल उठा लिया था। ऐन मौके पर प्रतिबन्ध से पुलिस के साथ ही जिला प्रशासन भी असमंजस में हैं। सबसे बड़ी समस्या उन लोगों के साथ है जो त्योहारी मौसम में लॉकडाउन में हुए घाटे की भरपाई करना चाहते थे। अब सभी की मुख्यमंत्री से गुहार है कि थोड़ी राहत दी जाए. कम से कम तीन दिन के लिए बेचने की अनुमति मिले, ताकि वे उधारी और परिवार के साथ त्यौहार मन सकें। इस सिलसिले में पटाखा एसोसिएशन ने उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा और राज्य के कानून मंत्री ब्रजेश पाठक से भी मुलाक़ात कर राहत की गुहार लगाई है।

बताई ये समस्या

काकोरी स्थित थोक पटाखा मंडी के वकार कहते हैं कि पहले तो लॉकडाउन ने नुकसान किया। उसके बाद जब अनलॉक शुरू हुआ तो थोड़ी उम्मीद जगी. वाकर कहते हैं कि हम लोग माल का आर्डर तीन से चार महीने पहले ही दे दते हैं, यह पूरा आर्डर क्रेडिट पर चलता है. उसके बाद जो छोटे व्यापारी होते हैं वे उनसे उधार पर माल उठाते हैं। जब उनका माल बिकता है तब वे पेमेंट करते हैं। अगर बैन लगाना था तो पहले ही लगा दिया जाता. ऐन वक्त पर बैन लगाने का क्या मतलब है, जब लोकल व्यापारी ने लाइसेंस ले लिया और माल उठा लिया. उसका क्या करें?

उपभोक्ता भी परेशान
ऐसे ही कई अन्य पटाखा व्यवसाई भी वहां मौजूद थे जिनका भी यही दर्द था। दूसरी तरफ सैकड़ों की संख्या में उपभोक्ता भी पहुंचे थे जिन्हें पटाखे चाहिए थे, लेकिन एनजीटी के आदेश के बाद सभी कुछ बंद है। समस्या ये है जिन्होंने माल उठा लिया है वे उसे कहां रखें. घर में रख नहीं सकते और बेचने की मनाही है। लिहाजा कोरोना काल में आर्थिक मार झले रहे इस व्यवसाय को कोई राहत मिलती दिख नहीं रही।साभार-ंन्यूज़ 18

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