जम्मू से रिपोर्ट:नए कानून के बाद जमीन खरीदने डीलरों के पास फोन आना शुरू, बुकिंग भी होने लगी, पर कीमत दोगुनी हुई

  • जो सालों से जम्मू में रह रहे हैं, वो अब यहां घर खरीदना चाहते हैं, अपने परिवार को भी यूपी और बिहार से यहां ले आना चाहते हैं
  • पंजाब-दिल्ली वाले सिर्फ इन्वेस्ट करना चाहते हैं, परमानेंट सेटल होने के बारे में वो सोच रहा है जिसका यहां बिजनेस है या नौकरी

    बिहार के सिवान जिले के हरी लाल परिवार सहित 30 साल से जम्मू में हैं। यहां वो ड्राई क्लीन और कपड़े इस्त्री करने का काम करते हैं। उनका एक बेटा सुमन कुमार और दो बेटियां हैं। जो जम्मू में ही पैदा हुए और पले बढ़े। आज न तो हरी लाल का बेटा बिहार वापस जाना चाहता है न ही बेटियां। यहां तक कि बिहार चुनाव से भी उन्हें कोई लेना देना नहीं है।

    जैसे ही आर्टिकल 370 हटा, उन्हें उम्मीद जगी कि अब वह किराए के घर को छोड़ अपना घर लेंगे। लेकिन, यह सपना साकार हुआ अब जब 26 अक्टूबर को नया भूमि कानून आया। अब वह जहां रहते हैं वही पर जमीन खरीदना चाहते हैं।

    उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के मोहम्मद इस्तकार सलमानी। तीन साल पहले काम की तलाश में जम्मू आए और सुभाष नगर में सैलून का शुरू किया। सैलून अब अच्छा चल रहा है। आज दुकान और मकान दोनों किराए पर हैं। नए भूमि कानून से पता चला कि अब जमीन खरीद सकते हैं तो कहते हैं कि परिवार को भी यहीं लाना चाहता हूं।

    वो कहते हैं, ‘नया भूमि कानून अच्छा है। यहां काम करने वाले बाहरी राज्यों के लोगों के लिए बेहतर अवसर है, अपना घर बनाने और काम करने का। अब लगता है कि बाकी राज्यों की तरह जम्मू कश्मीर भी पूरी तरह भारत का हिस्सा है।’

बाहरी राज्यों के लोग भी करना चाहते हैं इन्वेस्ट, सेटल होने के विचार कम

जम्मू कश्मीर को लेकर कहा जा रहा था कि अगर आर्टिकल 370 हटा और नए कानून आए तो बाहरी राज्यों के लोग यहां बस जाएंगे। लेकिन, जम्मू या कश्मीर में परमानेंट सेटल होने के बारे में वही सोच रहा है जिसका यहां बिजनेस है या जो यहां केंद्रीय कर्मी है। पंजाब या दिल्ली के ज्यादातर लोग केवल इन्वेस्ट करना चाहते हैं। चाहे जमीन में हो या दूसरे बिजनेस में।

पंजाब के जालंधर के विजय कुमार मेहता कहते हैं, “मेरे रिश्तेदार जम्मू में हैं। आना-जाना लगा रहता है। शहर अच्छा है और लोग भी। बसना तो नहीं चाहेंगे, लेकिन जमीन में इन्वेस्ट करना चाहेंगे।” दिल्ली के अजय बख्शी का ससुराल जम्मू में हैं। वह कहते हैं,”अगर कोई फ्लैट अच्छे दाम पर मिले तो जरूर लेंगे। लेकिन, परमानेंट सेटल होने के बारे में कभी सोचा नहीं। जरूरत भी नहीं है।” पंजाब के होशियारपुर के नवीन गुप्ता एक व्यवसायी हैं। उनका कहना है कि जम्मू में व्यवसाय करने के अवसर देख रहे हैं। अब वहां के किसी नागरिक को पार्टनर बनाने की जरूरत नहीं। खुद काम करेंगे।

जम्मू के एक धड़े को डर, भूमि माफिया न हो जाए सक्रिय

जम्मू के व्यवसायी संदीप गुप्ता का मानना है कि बाहर के रियल एस्टेट से जुड़े लोगों के पास बेशुमार दौलत है। वह बड़े तौर पर जमीन खरीदकर मन मुताबिक दाम पर बेचेंगे। यहां के स्थानीय लोगों के लिए कामकाज का कम्पीटिशन भी बढ़ेगा और लोगों के लिए दाम भी। जिस जमीन का दाम आज 5 या 6 लाख रुपए प्रति मरला (एकड़) है, वही सीधे 10 लाख रुपए पहुंच जाएगी।

सैनिक कालोनी के बिजनेस प्रधान राकेश चौधरी कहते हैं कि नए भूमि कानून का स्वागत करना चाहिए। क्योंकि जब बाहरी राज्यों के लोग आएंगे और काम करेंगे या जमीन खरीदेंगे तो जम्मू के लोगों के लिए अवसर बढ़ेंगे और विकास होगा। वो कहते हैं कि अगर जम्मू कश्मीर के लोगों की दिल्ली एनसीआर में प्रॉपर्टी हैं तो वहां के लोग यहां क्यों नहीं आ सकते।

जम्मू में फ्लैट कल्चर भी बढ़ रहा

जम्मू के व्यवसायी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हमारे पास एक कॉलोनी में 250 फ्लैट बने हैं। इसमें से ज्यादातर बिक गए थे। नया कानून आने के बाद से 4-5 दिनों में कई बाहरी राज्यों से फोन आ रहे हैं। यहां तक कि कुछ बुक भी हुए हैं। कुछ टॉवर अभी बन रहे हैं।

हालांकि अभी अचानक दाम नहीं बढ़े हैं, लेकिन जब कुछ ही फ्लैट बचेंगे तो 50 लाख वाला फ्लैट भी 75 लाख तक जाएगा। और जिन लोगों ने कम पैसे में लेकर इन्वेस्ट किया है, वह भी मुनाफा कमा सकते हैं। वहीं जम्मू की एक कॉलोनी में फ्लैट बुक करने वाले चंडीगढ़ के प्रशांत कुमार कहते हैं कि एक फ्लैट लेने का मन बनाया है। अब अवसर है इन्वेस्ट करने का। कुछ प्रॉपर्टी डीलर से भी बात हुई है।साभार-दैनिक भास्कर

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