गाजियाबाद। नगर निगम में अफसरों की मेहरबानी आउटसोर्सिंग कर्मचारियों पर ऐसे हो रही कि उन्हें ज्वाइनिंग के कुछ माह बाद ही सुपरवाइजर बना दिया गया। 30-30 साल से निगम में तैनात स्थायी कर्मचारी उनके अंडर में झाड़ू लगा रहे हैं। आउटसोर्सिंग कर्मचारी से सुपरवाइजर बने इन कर्मचारियों से जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र आवेदनों के सत्यापन और डीजल आवंटन जैसा महत्वपूर्ण कार्य भी कराया जा रहा है। कई पार्षद इस मुद्दे पर विरोध कर चुके हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी का इन कर्मचारियों के सिर पर हाथ है। ऐसे में अब इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से की गई है।
संविदा, बोर्ड प्रस्ताव या स्थायी कर्मचारियों की संख्या कम होने की वजह से नगर निगम शहरी आजीविका मिशन (सीएलसी) के माध्यम से आउटसोर्सिंग पर कर्मचारियों की तैनाती करता है। इन कर्मचारियों को सफाई कार्य, उद्यान कार्य आदि के लिए रखा जाता है। नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग में तैनात एक अधिकारी ने इनमें से कई प्राइवेट कर्मचारियों को सुपरवाइजर बना दिया या डीजल आवंटन की जिम्मेदारी सौंप दी है। ऐसे में निगम अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। खुद भाजपा के पार्षद इसका विरोध कर रहे हैं। भाजपा पार्षद प्रदीप चौहान ने नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी पर गंभीर आरोप लगाए हैं और मुख्यमंत्री को पत्र भेजा है। उन्होंने नगर निगम में आउटसोर्सिंग से रखे गए कर्मचारियों को सुपरवाइजर बनाने के इस ‘खेल’ की जांच कराने की मांग की है।
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सरकारी कर्मचारी ने अपने बेटे को बनवा दिया सुपरवाइजर
भाजपा पार्षद ने बताया कि नगर निगम में तैनात एक स्थायी कर्मचारी सुपरवाइजर पद पर था। करीब डेढ़ साल पूर्व इस कर्मचारी ने अपने बेटे की तैनाती आउटसोर्सिंग कर्मचारी के रूप में नगर निगम में करा दी। उसे वार्ड 12 में सुपरवाइजर बनवा दिया। खुद एक जोन में डीजल आवंटन का काम ले लिया।
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सीएलसी कर्मचारी को दिया डीजल आवंटन का काम
भाजपा पार्षद का कहना है कि विजयनगर जोन में सीएलसी की ओर से आउटसोर्सिंग पर तैनात एक कर्मचारी को डीजल आवंटन के काम में लगा दिया गया। जबकि डीजल आवंटन जैसा काम स्थायी कर्मचारी को दिया जाना चाहिए। नगर निगम में बड़े स्तर पर ‘तेल का खेल’ चल रहा है। ऐसे में आउटसोर्सिंग कर्मचारी ने खेल किया तो नगर निगम उस पर कार्रवाई या रिकवरी भी नहीं कर पाएगा। वह नौकरी छोड़कर किसी दूसरे नगर निकाय में काम कर लेगा।
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मालियों की तैनाती में भी बड़ा खेल
विजयनगर जोन में मालियों की आउटसोर्सिंग पर तैनाती में भी बड़ा खेल हो रहा है। नगर निगम के रिकार्ड में तो मालियों की तैनाती है, लेकिन ड्यूटी पर नहीं पहुंचते। विजयनगर जोन में मिर्जापुर वार्ड के अधिकांश पार्क बदहाल हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि पार्कों में माली कई-कई महीनों तक नहीं आते हैं। ऐसे में मालियों का वेतन दिया जा रहा है, लेकिन काम नहीं हो रहा है।
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कोट
नगर निगम में कई सीएलसी कर्मचारियों को स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने गुपचुप सुपरवाइजर का काम दे दिया है। सुविधा शुल्क लेकर आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को सुपरवाइजर बनाया जा रहा है। कई स्थायी कर्मचारियों को नगर स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय से अटैच कर दिया गया है। इसकी शिकायत मुख्यमंत्री को भेजकर जांच कराए जाने की मांग की गई है। – प्रदीप चौहान, भाजपा पार्षद
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नगर निगम में आउटसोर्सिंग पर मालियों की नियुक्ति कर दी गई है, लेकिन वार्ड में नहीं आ रहे हैं। सिर्फ कागजों में इनकी तैनाती दिखाकर हर माह लाखों का वेतन जारी किया जा रहा है। कर्मचारियों की तैनाती के नाम पर सही जांच हो तो लाखों का घोटाला पकड़ा जा सकता है। – आसिफ चौधरी, निगम पार्षद
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किसी आउटसोर्सिंग कर्मचारी को सुपरवाइजर नहीं बनाया गया है। अगर सुबूतों के साथ इसकी शिकायत मिलेगी तो जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी। – डॉ. मिथिलेश कुमार, नगर स्वास्थ्य अधिकारी
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नियमानुसार ही कर्मचारियों से काम लिया जाएगा। आउटसोर्सिंग कर्मचारी को सुपरवाइजर बनाने की शिकायत मिलेगी तो जांच कराई जाएगी। मालियों की उपस्थिति भी सुनिश्चित कराई जाएगी। – महेंद्र सिंह तंवर, नगरायुक्त-साभार-अमर उजाला
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