- रोपड़ थाने में मां-बेटी को अवैध हिरासत में रखने का मामला!
- पुलिस की दलील, दोनों की जान बचाने के लिए थाने में रखा!
- पंजाब सरकार को छूट, दोषी अधिकारियों से की जा सकती है जुर्माने की वसूली!
चंडीगढ़। रोपड़ थाने में मां-बेटी की अवैध हिरासत को लेकर दाखिल याचिका का निपटारा करते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार पर दो लाख का जुर्माना लगाते हुए मां-बेटी को एक -एक लाख मुआवजा देने का आदेश दिया हैं। याचिका दाखिल करते हुए परनीत कौर ने हाईकोर्ट को बताया कि 2 सितंबर 2019 को पुलिस रात करीब साढ़े 11 बजे उसकी बहन रूपिंदर कौर और मां हरविंदर कौर को थाने ले गई थी। इसके बाद से ही दोनों पुलिस की अवैध हिरासत में हैं। 4 सितंबर को हाईकोर्ट ने वारंट ऑफिसर नियुक्त किया जो शाम करीब साढ़े सात बजे थाने पहुंचा। वहां जाकर रोजनामचा जांचा तो उसमें मां-बेटी का नाम नहीं था। इसके बाद लॉकअप में भी वह दोनों नहीं मिलीं। एक अन्य कमरे में दोनों बेड पर बैठी मिलीं।
वारंट ऑफिसर ने इसकी सूचना हाईकोर्ट को दी। पुलिस का बचाव करते हुए एएसपी ने हाईकोर्ट को बताया कि 2 सितंबर को मां-बेटी मोरिंडा पुलिस स्टेशन में चोरी की शिकायत लेकर पहुंची थीं। इसके बाद पुलिस की टीम दोनों को लेकर उनके घर पहुंची तो 40-50 लोगों ने हमला कर दिया। भीड़ ने दोनों महिलाओं को गालियां देना और मारना आरंभ कर दिया। पुलिस ने उन्हें बचाने का प्रयास किया और इस दौरान पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारी मौके पर पहुंचे। पता चला कि याची के पिता पर मई माह में हत्या का मामला दर्ज हुआ था और मृतक के परिजन व करीबी हमला करने वाले हैं। डीसी ने हालात को देखते हुए लाठीचार्ज का आदेश दिया। इस घटना के बाद दोनों की जान बचाने के लिए उन्हें पुलिस स्टेशन में रखा गया।
नेक नीयत के बावजूद कानून का पालन जरूरी!
हाईकोर्ट ने कहा कि भले ही नेक नीयत से मां-बेटी को थाने में रखा गया हो लेकिन कानून का पालन करना अनिवार्य है जो पुलिस ने नहीं किया। अगर इस तरह से हिरासत की अनुमति दी गई तो कानून का दुरुपयोग होने लगेगा, जिसकी अनुमति नहीं दी जा सकती। न तो रोजनामचे में इसको दर्ज किया गया और न ही मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया। ऐसे में इसे अवैध हिरासत ही माना जाएगा, जिसके लिए मां और बेटी मुआवजे की हकदार हैं। पंजाब सरकार पर हाईकोर्ट ने दो लाख का जुर्माना लगाते हुए दोनों को एक-एक लाख मुआवजे के तौर पर जारी करने के आदेश दिए हैं। साथ ही हाईकोर्ट ने कहा कि पंजाब सरकार चाहे तो दोषी अधिकारियों से इसकी वसूली कर सकती है।
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