12 साल की बच्ची ने प्रधानमंत्री को लिखा खुला खत, कहा- वायु प्रदूषण का बच्चों पर पड़ रहा बहुत बुरा असर

नई दिल्ली ।  बच्चों के प्रदूषित हवा में सांस लेने से उनके स्वास्थ्य पर हो रहे गंभीर प्रभाव से चिंतित 12 साल की वैश्विक जलवायु कार्यकर्ता रिद्धिमा पांडे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला खत लिखा है। रिद्धिमा ने भारत के सभी बच्चों की तरफ से यह खत लिखकर प्रधानमंत्री से बढ़ते वायु प्रदूषण के खिलाफ तत्काल कदम उठाने की मांग की है।

सात सितंबर को नीले आसमान के लिए पहले अंतरराष्ट्रीय स्वच्छ वायु दिवस के मौके पर रिद्धिमा ने प्रधानमंत्री को लिखे खुले खत की एक कॉपी अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर की है। प्रधानमंत्री के साथ एक किस्सा साझा करते हुए रिद्धिमा ने कहा कि एक बार स्कूल में उनके शिक्षक ने सभी छात्रों से उनके बुरे सपने के बारे में पूछा। उन्होंने खत में लिखा, ”अपने बुरे सपने के बारे में बताते हुए मैंने शिक्षक से कहा कि मैं स्कूल एक ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ आ रही हूं क्योंकि हवा बहुत प्रदूषित हो चुकी है। यह बुरा सपना अभी भी मेरी सबसे बड़ी चिंता है क्योंकि प्रदूषित हवा आज हमारे देश की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है।”

रिद्धिमा ने बताया कि हर साल दिल्ली जैसे कई शहरों में हवा बहुत प्रदूषित हो जाती है, जिससे अक्टूबर के बाद सांस लेना मुश्किल हो जाता है। उन्होंने कहा, ”मुझे चिंता है कि अगर मेरे जैसे 12 साल के बच्चे को सांस लेने में मुश्किल होती है, तो अत्यधिक प्रदूषण वाले दिल्ली और अन्य शहरों में रहने वाले छोटे बच्चों और मेरे से कम उम्र के बच्चों की क्या हालत होती होगी।”

हरिद्वार की युवा कार्यकर्ता रिद्धिमा ग्रेटा थनबर्ग के साथ उन 16 बच्चों में शामिल रही हैं जिन्होंने जलवायु परिवर्तन पर सरकारी कार्रवाई की कमी के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के क्लाइमेट एक्शन समिट में शिकायत दर्ज कराई थी। वह कहती हैं कि अगर बढ़ते वायु प्रदूषण से नहीं निपटा जाता है तो लोगों को होगा स्वच्छ हवा में सांस लेने और जीवित रहने के लिए अपने साथ ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर चलना होगा।

अपने खत के माध्यम से उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि वे देशभर में प्रदूषण के प्रबंधन से संबंधित अधिकारियों और प्रभारी अधिकारियों को सख्त निर्देश देकर सभी नियमों और कानूनों को सख्ती से लागू कराएं ताकि भारत के नागरिक स्वच्छ हवा में सांस ले सकें। खत के अंत में उन्होंने लिखा, ”कृपया हमें यह सुनिश्चित करने में मदद करें कि ऑक्सीजन सिलेंडर बच्चों के जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा न बने, जिसे हमें भविष्य में हर जगह अपने कंधों पर ले जाना पड़े।”

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