कौन हैं अहमदिया मुस्लिम ?

अहमदिया (उर्दू : احمدیہ) एक धार्मिक आंदोलन है, जो के 19वीं सदी के अंत में भारत में आरम्भ हुआ।[1] इसका प्रारंभ मिर्जा गुलाम अहमद (1835-1908) की जीवन और शिक्षाओं से हुआ।[2] अहमदिया आंदोलन के अनुयायी गुलाम अहमद (1835-1908) को मुहम्मद के बाद एक और पैगम्बर (दूत) मानते हैं जबकि इस्लाम में पैगम्बर मोहम्मद ख़ुदा के भेजे हुए अन्तिम पैगम्बर माने जाते हैं।

अहमदिया इस्लाम का एक संप्रदाय है।[3] मुसलमान इसे काफिर मानते हैं।[4] नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक डॉक्टर अब्दुस सलाम पाकिस्तान के पहले और अकेले वैज्ञानिक हैं जिन्हे फिज़िक्स के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया है।[5] वह एक अहमदिया थे।[6] महेरशला अली अभिनय के लिए ऑस्कर जीतने वाले पहले मुस्लिम अभिनेता बनाया।[7][8]

अहमदिया समुदाय के लोग स्वयं को मुसलमान मानते व कहते हैं परंतु अहमदिया समुदाय के अतिरिक्त शेष सभी मुस्लिम वर्गो के लोग इन्हें मुसलमान मानने को हरगिज तैयार नहीं। इसका कारण यह है कि जहां अहमदिया समुदाय अल्लाह, कुरान शरीफ ,नमाज़, दाढ़ी, टोपी, बातचीत व लहजे आदि में मुसलमान प्रतीत होते हैं वहीं इस समुदाय के लोग अपनी ऐतिहासिक मान्याताओं, परंपराओं व उन्हें विरासत में मिली शिक्षाओं व जानकारियों के अनुसार हज़रत मोहम्मद को अपना आखरी पैगम्बर स्वीकार नहीं करते। इसके बजाए इस समुदाय के लोग मानते हैं कि नबुअत (पैगम्बरी ) की परंपरा रूकी नहीं है बल्कि सतत जारी है। अहमदिया सम्प्रदाय के लाग अपने वर्तमान सर्वोच्च धर्मगुरु को नबी के रूप में ही मानते हैं। इसी मुख्य बिंदु को लेकर अन्य मुस्लिम समुदायों के लोग समय-समय पर सामूहिक रूप से इस समुदाय का घोर विरोध करते हैं तथा बार-बार इन्हें यह हिदायत देने की कोशिश करते हैं कि अहमदिया समुदाय स्वयं को इस्लाम धर्म से जुड़ा समुदाय न घोषित किया करें और इस समुदाय के सदस्य अपने-आप को मुसलमान अवश्य न कहें।

इनको ‘कादियानी’ भी कहा जाता है। गुरदासपुर के कादियान नामक कस्बे में 23 मार्च 1889 को इस्लाम के बीच एक आंदोलन शुरू हुआ जो आगे चलकर अहमदिया आंदोलन के नाम से जाना गया। यह आंदोलन बहुत ही अनोखा था। इस्लाम धर्म के बीच एक व्यक्ति ने घोषणा की कि “मसीहा” फिर आयेंगे और मिर्जा गुलाम अहमद ने अहमदिया आंदोलन शुरू करने के दो साल बाद 1891 में अपने आप को “मसीहा” घोषित कर दिया। 1974 में अहमदिया संप्रदाय के मानने वाले लोगों को पाकिस्तान में एक संविधान संशोधन के जरिए गैर-मुस्लिम करार दे दिया गया।

साभार : wikipedia.org

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