कोरोना वायरस ने जहां दुनियाभर में 1 करोड़ 70 लाख से अधिक लोगों को अपनी चपेट में ले लिया है, वहीं नोएडा में एक 105 वर्षीय अफगानी महिला अपने धैर्य और जीने के दृढ़ संकल्प के साथ इस महामारी को मात देने में सफल रही है।
105 वर्षीय राबिया अहमदी का कहना है, “जब तक अल्लाह चाहता है तब तक मैं जीवित रहूंगी, कोरोना के बारे में नहीं सोचना ही बेहतर है। व्यक्ति को हमेशा जीवन में हमेशा आगे की ओर देखना चाहिए। मुझे लगता है कि मैं इसलिए मैं अब तक जिंदा हूं। कल, मैं ईद-उल-जुहा पर नमाज पढ़ने जा रही हूँ।”
राबिया को 15 जुलाई को COVID-19 पॉजिटिव पाए जाने के बाद उन्हें ग्रेटर नोएडा के शारदा अस्पताल की एल-3 सुविधा में भर्ती कराया गया था। राबिया, जो कि अल्जाइमर से पीड़ित हैं, वह अस्पताल में भर्ती कराए जाने के समय अपने किसी भी रिश्तेदार को पहचान नहीं पाती थीं।
शारदा अस्पताल की COVID-19 ICU यूनिट के प्रभारी डॉ. अभिषेक देसवाल ने कहा, “बुजुर्ग मरीज राबिया के इलाज में सबसे बड़ी चुनौतियां उनकी उम्र और भाषा की बाधा थी। अल्जाइमर के पुराने मामले ने हालत को और बदतर बना दिया था। उनकी गंभीर स्थिति को देखते हुए उन्हें सीधे ICU में रखा गया और उनकी देखभाल के लिए एक एक्यूट रेस्पिरेट्री डिस्ट्रेस सिंड्रोम (ARDS) टीम नियुक्त की गई। कोविड प्रोटोकॉल के अनुसार, वह सात दिनों के लिए गैर-इनवेसिव वेंटिलेटर सपोर्ट पर रहीं, और उन्हें पर्याप्त मात्रा में हाई प्रोटीन आहार दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप उनके ठीक होने का संकेत मिला।”
डॉ. देसवाल ने कहा ने कहा कि मरीज को गैर-इनवेसिव वेंटिलेशन (NIV) की आवश्यकता कम होने के कारण उन्हें ऑक्सीजन मास्क लगाया गया था। अब उन्हें ऑक्सीजन की बहुत कम आवश्यकता है और अब वह काफी स्वस्थ दिख रही हैं।
इस और जानकारी साझा करते हुए अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आशुतोष निरंजन ने कहा कि डिमेंशिया के कारण राबिया अक्सर भूल जाती थीं कि उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इसके साथ, व्हीलचेयर पर बैठते समय भी उन्हें अक्सर ऐसा लगता था कि वह एयरपोर्ट पर हैं। उनकी दिमागी हालत को देखते हुए डॉक्टरों ने बार-बार उनके दिमाग को स्थिर रखने और उन्हें आराम देने के लिए जल्दी-जल्दी कई तरह के बदलाव भी किए।
उन्होंने कहा कि चूंकि अब उनका कोरोना टेस्ट निगेटिव आया है और अब उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट की आवश्यकता नहीं है, इसलिए उन्हें शुक्रवार को अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी। उन्होंने कहा कि वह अब स्थिर हैं। यह एक कठिन और चुनौतीपूर्ण अनुभव था, लेकिन अस्पताल की पूरी कोविद टीम ने आखिरकार ऐसा कर दिया।
साभार : livehindustan
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