टैक्स पेयर्स को परेशानियों से बचाने के लिए ‘फेसलेस इंटरेक्शन’ का फॉर्मूला, जानें विस्तार से

इनकम टैक्स पेयर्स को भ्रष्ट आयकर अधिकारियों समेत दूसरी परेशानियों से बचाने के लिए शुरू किए गए ‘फेसलेस इंटरेक्शन’ का फॉर्मूला काम करता दिख रहा है। वित्त मंत्रालय ने अक्टूबर, 2019 में इस व्यवस्था को लागू किया था, ताकि आयकरदाताओं को किसी दफ्तर का चक्कर नहीं लगाना पड़े और वे इनकम टैक्स अधिकारियों के मनमाने रवैये का शिकार नहीं हों। वित्त मंत्रालय ने जानकारी दी है कि पिछले 9 महीनों में 58,319 मामलों को इसमें शामिल किया गया और अभी तक 7,117 मामलों को निपटाया जा चुका है। सिर्फ 291 मामलों में करदाताओं को अतिरिक्त आयकर का भुगतान करना पड़ा है।

वित्त मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि Faceless Interaction आयकर व्यवस्था में एक गेम चेंजर बन सकता है। फेसलेस इंटरेक्शन असल में व्यवस्था को पारदर्शी और पूरी तरह से भ्रष्टाचार मुक्त बनाने में सहायक हो रहा है। इसके अंतर्गत इलेक्ट्रॉनिक मोड में ही टैक्स संबंधी समस्याओं का समाधान हो जाता है। जिन मामलों का प्रायोगिक तौर पर चयन किया गया है उनकी पूरी प्रक्रिया एकदम पारदर्शी तरीके से चल रही है और कहीं भी भ्रष्टाचार का कोई नामोनिशान नहीं है।

इन करदाताओं से सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से ही आयकर विभाग की ओर से संवाद स्थापित किया जाता है। यह संवाद दिल्ली स्थित केंद्रीय प्रकोष्ठ से किया जाता है और करदाता को यह मालूम नहीं होता है कि वह किस अधिकारी से बात कर रहा है। आयकर विभाग पहली बार समूची व्यवस्था को दुरूस्त करने के लिए आर्टिफिशिल इंटेलीजेंस, डिजिटल टेक्नालॉजी और मशीन लर्निंग जैसे सूचना प्रौद्योगिकी के तमाम संसाधनों का इस्तेमाल इसमें कर रहा है।

अधिकांश मामलों में टैक्स पेयर की आयकर विभाग के अधिकारियों से कोई भी व्यक्तिगत मुलाकात या बातचीत नहीं होगी। दिल्ली के अलावा दूसरे 8 शहरों में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के कार्यालयों से इसका संचालन हो रहा है। फेसलेस इंटरेक्शन के पूरी तरह से संचालित होने के बाद भारत का प्रत्यक्ष आयकर ढांचा दुनिया की आधुनिकतम व्यवस्थाओं में शामिल हो जाएगा।

अभी सालाना छह करोड़ इनकम टैक्स रिटर्न भरे जाते हैं और इसमें से 3 लाख रिटर्न की अलग-अलग जांच-पड़ताल की जाती है। अब इनमें से कंप्यूटर के जरिये कुछ मामलों को फेसलेस इंटरेक्शन के लिए चुना जाएगा। सूत्रों का कहना है कि सारी व्यवस्था संचालित होने के बाद पुराने मामलों को भी इसके तहत खोलने की व्यवस्था होगी। लेकिन यह तभी होगा जब आयकर अधिकारी को पुराने रिटर्न को लेकर शक होगा।

साभार : naiduniya

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