नकली दवाओं के खिलाफ केंद्र सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है। योजना है कि सभी फार्मास्युटिकल प्रोडक्ट्स QR Code से बेचे जाएंगे। इसके बाद नकली दवा या नकली प्रोडक्ट बेचना बंद हो जाएगा। इस बारे में एक कमेटी गठित कर दी गई है। खबर है कि सरकार जल्द अधिसूचना जारी कर सकती है। QR Code सिस्टम से यह भी पता चल सकेगा कि दवा कहां बनी है। इससे नकली या फॉर्मूलों के साथ छेड़छाड़ करके बनाई गई दवाओं को रोकने में सफलता मिलेगी। सरकार 2011 से QR Code सिस्टम लागू करने की कोशिश कर रही है, लेकिन फार्मा कंपनियां तैयार नहीं थी।
फार्मा कंपनियों और लॉबी ग्रुप की इस बात को लेकर चिंता थी कि अलग-अलग सरकारी विभाग अलग-अलग तरह के निर्देश जारी करेंगी। कंपनियों की मांग थी कि सिंगल यूनिफाइड QR Code सिस्टम होता है। इसके बाद 2019 में सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) ने एक ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी कर एक्टिव फार्मास्युटिकल इनग्रेडिएंट्स (API) के लिए QR Code अनिवार्य किया था। इस आदेश में कहा गया था कि प्रत्येक API मैन्युफेक्चर्ड तथा इम्पोर्टेड प्रोडक्ट के लिए पैकेजिंग के हर स्तर पर QR Code जरूरी होगा। QR Code पर लिखी जानकारी ऐसी हो जिसे सॉफ्टवेयर पढ़ सके।
इसके बाद अलग-अलग विभागों से अलग-अलग तरह के निर्देश मिलने से योजना आगे नहीं बढ़ सकी। बहरहाल, अब सरकार ने स्पष्ट नीति पर काम शुरू कर दिया है। पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री कार्यालय के साथ नीति आयोग, स्वास्थ्य मंत्रालय, डिपार्टमेंट ऑफ फार्मास्युटिकल्स के प्रतिनिधियों की बैठक हो चुकी है। स्वास्थ्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई है, जो 21 दिन में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
साभार : नई दुनिया।
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