भारत ने पाकिस्तान से कहा है कि यदि वह इस मामले में अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ऑफ जस्टिस के फैसले को लागू करना चाहता है, तो सबसे पहले कुलभूषण जाधव तक बिना शर्त काउंसलर एक्सेस दे। भारत ने यह प्रतिक्रियापाकिस्तान सरकार की तरफ से भारतीय उच्चायोग को याचिका दायर करने और अंतिम समय सीमा से पहले समीक्षा के लिए प्रक्रिया शुरू करने के बारे में लिखे गए नोटिस के बाद दी है। बताते चलें कि समीक्षा के लिए याचिका दायर करने की समय सीमा इस हफ्ते खत्म हो रही है।
बताते चलें कि 20 जुलाई को खत्म हो रही समीक्षा याचिका की समय सीमा से पहले भारत ने कहा है कि जाधव को बिना किसी पाकिस्तानी अधिकारी की मौजूदगी के और ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग की फैसिलिटी वाले कमरे में वकील से मिलने की इजाजत दी जाए।
इससे पहले पाकिस्तान ने कहा था कि कुलभूषण ने समीक्षा याचिका दाखिल करने से इनकार कर दिया है। भारत का आरोप है कि पाकिस्तान ने कुलभूषण को ऐसा करने को मजबूर किया गया है। पाकिस्तान के अतिरिक्त अटॉर्नी जनरल अहमद इरफान ने दावा किया कि जाधव को 17 जून को उनकी सजा और सजा पर पुनर्विचार और पुनर्विचार के लिए याचिका दायर करने के लिए कहा गया था।
मगर, उन्होंने याचिका दायर करने से इनकार कर दिया और अपने कानूनी अधिकार का प्रयोग करते हुए उसने अपनी लंबित दया याचिका को ही आगे बढ़ना पसंद किया। सेवानिवृत्त भारतीय नौसेना अधिकारी जाधव को अप्रैल 2017 में “जासूसी और आतंकवाद” के आरोप में पाकिस्तानी सैन्य अदालत ने मौत की सजा सुनाई गई थी। इस मामले में उन्हें वकील तक मुहैया नहीं कराया गया था।
लिहाजा, भारत ने अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में भी इस मामले को उठाया था और वहां से कुलभूषण के हक में फैसला आया था। पाकिस्तान ने दावा किया था कि जाधव को सुरक्षा बलों ने तीन मार्च 2016 को ईरान से घुसने के बाद बलूचिस्तान से गिरफ्तार किया था। हालांकि, भारत का कहना है कि जाधव का ईरान से अपहरण किया गया था, जहां वह अपने व्यापार के सिलसिले में रह रहे थे।
साभार : naidunia.com
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