आम्रपाली ग्रुप से अनुचित लाभ लेने वाले नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के अफसर इस समय प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के रडार पर हैं। ईडी की जांच में ऐसे कुछ अफसरों के नाम प्रकाश में भी आए हैं। इसके साथ ही ईडी ने अदालत से भी मांग की है कि उसे उन आरोपियों से पूछताछ करने की अनुमति दी जाए, जिनकी आम्रपाली फंड की लूट में अहम भूमिका रही है।
ईडी ने पिछले हफ्ते मेसर्स आम्रपाली समूह की कंपनियों के वैधानिक लेखा परीक्षक अनिल मित्तल को गिरफ्तार किया था। स्पेशल पीएमएलए कोर्ट ने उसकी कस्टडी रिमांड मंजूर कर ली थी लेकिन मेडिकल परीक्षण में वह कोरोना पॉजिटिव पाया गया। इस कारण उसे तुरंत केजीएमयू में भर्ती कराया गया। था। बाद में उपचार के बाद रिपोर्ट निगेटिव आने पर अस्पताल से छुट्टी दे दी गई और उसे फिर जेल भेज दिया गया।
इससे पहले ईडी ने प्रिवेंशन आफ मनी लांड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत जेपी मॉर्गन समूह के 187 करोड़ रुपये अटैच किए थे। सुप्रीम कोर्ट ने उसे निर्देश दिया था कि अटैच राशि से 140 करोड़ रुपये कोर्ट रिसीवर के खातों में स्थानांतरित किया जाए और परियोजना को पूरा करने में उसका उपयोग किया जाए।
ईडी ने जेपी मॉर्गन और आम्रपाली समूह के अन्य अधिकारियों को भी पूछताछ के लिए बुलाया है जो लेनदेन में शामिल थे और शेल कंपनियां बना रहे थे। सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को यह निर्देश भी दिया है कि गिरवी संपत्तियों पर लोन देने में बैंक अधिकारियों की भूमिका की भी जांच की जाए। साथ ही पट्टों को नवीनीकृत करने में नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों की भूमिका की भी जांच की जाए। लंबित भूमि बकाया और लीज रेंट के बावजूद आम्रपाली ग्रुप को नई परियोजनाएं दी गई हैं जो 5000 करोड़ से अधिक हैं।
इसके बदले अधिकारियों को कम कीमतों पर फ्लैट दिए गए। इसमें नकद और फर्जी भुगतान भी दर्शाया गया है। इस ‘खेल’ में जिन अधिकारियों ने लाभ उठाया है, उनके नाम ईडी की जांच में प्रकाश में आए हैं। ईडी इस मामले में अपनी जांच जारी रखे हुए है।
साभार : livehindustan.com
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