आम तौर पर ट्यूमर को कैंसर से जोड़ कर देखा जाता है लेकिन हकीकत यह है कि हर ट्यूमर कैंसर के लिए जिम्मेदार नहीं होता है। कुछ ऐसा ही ब्रेन ट्यूमर के साथ भी हुआ है। हालांकि ब्रेन ट्यूमर से कैंसर होने की संभावनाएं कम होती हैं यदि इसका समय पर इलाज नहीं हुआ तो यह कैंसर में भी बदल सकता है। ब्रेन ट्यूमर केवल आपके मस्तिष्क को ही प्रभावित नहीं करता है बल्कि इसका असर आपके पूरे शरीर पर पड़ता है, क्योंकि आपका मस्तिष्क ही पूरे शरीर को संचालित करता है।
ब्रेन ट्यूमर के बारे में लोगों को जागरूक के लिए विश्व भर में 6 जून को वर्ल्ड ब्रेन ट्यूमर डे मनाया जाता है। प्रस्तुत है इस अवसर पर मेरठ रोड, दुहाई गाज़ियाबाद स्थित श्री जगन्नाथ धर्मार्थ कैंसर अस्पताल के वरिष्ठ कैंसर विशेषज्ञ डॉ. ऋषि कुमार गुप्ता के साथ हुई बातचीत के कुछ विशेष अंश
क्या है ब्रेन ट्यूमर
ब्रेन ट्यूमर के इलाज की प्रक्रिया को जानने से पहले हम यह समझते हैं कि आखिर ब्रेन ट्यूमर है क्या? मस्तिष्क में कोशिकाओं के असामान्य रूप से बढ़ने पर जो गांठ बन जाती है उसे ही ब्रेन ट्यूमर कहते हैं। इसमें मस्तिष्क के खास हिस्से में कोशिकाओं का गुच्छा बन जाता है। यह कई बार कैंसर की गांठ में बदल जाती है, इसलिए ब्रेन ट्यूमर को कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए।
ब्रेन ट्यूमर के कारण
ब्रेन ट्यूमर के सही कारणों का तक पता नहीं चल पाया है लेकिन अब तक हुए शोध के आधार पर बढ़ती उम्र, हानिकारक किरणों का प्रभाव (आयोनिजिंग विकिरण), आनुवांशिक और किसी प्रकार के कैंसर आदि को ब्रेन ट्यूमर का कारक माना जाता है। कुछ मामलों में एचआईवी एड्स होने पर भी ब्रेन ट्यूमर होने की संभावनाएं बढ़ जाती है।
ब्रेन ट्यूमर के लक्षण
- सिर में दर्द बना रहना ब्रेन ट्यूमर का सबसे बड़ा संकेत है। अक्सर मरीज़ों को सुबह सिर में तेज दर्द की शिकायत होती है, जिसे कई बार लोग माइग्रेन समझ लेते हैं। ऐसे दर्द की अनदेखी नहीं करनी चाहिए क्योंकि यह ब्रेन ट्यूमर की वजह से हो सकता है। यदि आपको सुबह उठने पर अक्सर उल्टी होती है तो इसे हल्के में न लें, क्योंकि यह ब्रेन ट्यूमर का संकेत हो सकता है।
- यदि सैरिब्रल में ट्यूमर है तो आपको अपनी बॉडी का बैलेंस बनाए रखने में मुश्किल आती है। इसी प्रकार पराइअटल लोब में ट्यूमर होने पर पीड़ित रोज़मर्रा के काम करने में भी दिक्कत होती है। ब्रेन ट्यूमर होने पर पीड़ित को मिर्गी की तरह ही दौरे पड़ते हैं और वह बार-बार बेहोश हो जाता है।
- यदि बोलने की क्षमता प्रभावित होने लगे, याददाशत कम होने लगे या आंखों की रोशनी कम होने लगे तो यह भी ब्रेन ट्यूमर का संकेत हो सकता है। चेहरे के कुछ हिस्से में कमजोरी महसूस होना और अचानक वजन बढ़ना भी ब्रेन ट्यूमर का संकेत हो सकता है।
ब्रेन ट्यूमर की पहचान के लिए परीक्षण (टेस्ट)
यदि लक्षणों के आधार पर आपको ब्रेन ट्यूमर का संदेह है तो आपको अपने डॉक्टर से मिल कर कुछ शारीरिक परीक्षण करवाने चाहिए। ब्रेन ट्यूमर की पहचान के लिए निम्न टेस्ट आवश्यक हो सकते हैं:
- न्यूरोलॉजिक परीक्षण (नसों से संबंधित जांच) – इसके तहत आपका डॉक्टर आपकी दृष्टि, सुनने की शक्ति, आपकी सतर्कता, मांसपेशियों की ताकत, समन्वय और इनके लचीलेपन की जांच करता है। आपका डॉक्टर आंखों व मस्तिष्क से जुड़ने वाली तंत्रिकाओं पर ट्यूमर के कारण हुई सूजन को देखने के लिए आपकी आंखों की भी जांच कर सकता है।
- एमआरआई: यह कंप्यूटर से जुड़ा एक ऐसी मशीनरी परीक्षण है, जिसका उपयोग आपके सिर के अंदर के हिस्सों का विस्तृत चित्र लेने के लिए किया जाता है। मस्तिष्क के ऊतकों में अंतर देखने में मदद के लिए कभी-कभार एक विशेष डाई को आपकी बांह या हाथ की रक्त वाहिकाओं में लगाई जाती है। इसके चित्र मस्तिष्क के असामान्य क्षेत्रों, जैस ट्यूमर को दिखाते हैं।
- सीटी स्कैन: यह कंप्यूटर से जुड़ी एक ऐसी एक्स-रे मशीन है, जो आपके अंदरूनी सिर के कई चित्र लेती है। आप अपने हाथ या बाह की रक्त वाहिकाओं में डाई लगाकर इसके चित्र प्राप्त कर सकते हैं। यह चित्र आपके सिर के असामान्य क्षेत्रों को देखना बेहद ही आसान बना देता है।
- एंजियोग्राम: इसमें रक्त वाहिकाओं में इंजेक्शन के माध्यम से डाई के द्वारा मस्तिष्क का एक्स-रे किया जाता है। यदि मस्तिष्क में कोई ट्यूमर मौजूद है, तो एक्स-रे में ट्यूमर को देखा जा सकता है।
- रीढ़ की हड्डी में छेद: इसमें आपके चिकित्सक रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से से तरल पदार्थ (Cerebrospinal Fluid) मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के आस-पास के स्थानों को भरने वाले द्रव) का नमूना ले सकते है। आपकी रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से से इस तरल को निकालने के लिए चिकित्सक एक लंबी, पतली सुई का उपयोग करते हैं। प्रयोगशाला में कैंसर की कोशिकाओं व ट्यूमर के अन्य लक्षणों के लिए इस तरल पदार्थ की जांच की जाती है।
- बायोप्सी: ट्यूमर कोशिकाओं को देखने के लिए ऊतकों की जाँच की प्रक्रिया को ‘बायोप्सी’ कहा जाता है। जांचकर्ता (पैथलॉजिस्ट) माइक्रोस्कोप के द्वारा इन कोशिकाओं को देखते हैं। बायोप्सी के द्वारा कैंसर, ऊतकों में परिवर्तन (जो कि कैंसर हो सकता है) और अन्य संबंधित स्थितियां देखी जा सकती है। ब्रेन ट्यूमोरैंड (Brain Tumorand) के उपचार की योजना को तैयार करने के लिए बायोप्सी ही इसके परीक्षण का एकमात्र निश्चित तरीका है।
जब ट्यूमर मस्तिष्क के अंदर ऐसे स्थान पर हो, जहां से वह संचालित (Operated) नहीं किया जा सकता हो या मस्तिष्क के किसी हिस्से की गहराई में हो तो सुई के द्वारा बायोप्सी का उपयोग किया जाता है।
ब्रेन ट्यूमर का उपचार
ब्रेन ट्यूमर का उपचार ट्यूमर के प्रकार, मस्तिष्क में ट्यूमर की स्थिति, उसके आकार, फैलाव, कोशिकाओं की असामान्य स्थिति, आपके स्वास्थ्य और फिटनेस लेवेल पर निर्भर करता है। श्री जगन्नाथ धर्मार्थ कैंसर अस्पताल में ब्रेन ट्यूमर के इलाज के लिए हर साल लगभग सौ से डेढ़ सो मरीज आते हैं जिनका इलाज सर्जरी, कीमोथेरेपी या रेडिएशन थेरेपी द्वारा किया जाता है।
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