आम आदमी पार्टी (AAP) एक बार फिर जांच एजेंसियों के घेरे में आ गई है। इस बार मामला विदेशी फंडिंग (FCRA उल्लंघन) का है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने गुरुवार को आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और विधायक दुर्गेश पाठक समेत अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उनके घर सहित कई ठिकानों पर छापेमारी की। छापेमारी के दौरान CBI ने कई दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक सबूत जब्त किए हैं।
क्या है विदेशी फंडिंग का आरोप? गृह मंत्रालय की ओर से मिली शिकायत के आधार पर CBI ने विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (FCRA) के तहत मामला दर्ज किया है। आरोप है कि आम आदमी पार्टी ने एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क – “AAP Overseas India” – के जरिए अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से फंड जुटाया। इस नेटवर्क में विदेशी वॉलंटियर्स शामिल थे।
CBI की एफआईआर के मुताबिक, AAP नेताओं ने जानबूझकर डोनर्स के नाम और डोनेशन की सही जानकारी छिपाई। जांच में पता चला है कि वर्ष 2015-16 के दौरान पार्टी ने विदेशों में इवेंट्स कर करोड़ों की फंडिंग जुटाई, लेकिन इनका पूरा लेखाजोखा आधिकारिक रिकॉर्ड्स में नहीं दिखाया गया।
CBI के आरोपों के मुख्य बिंदु 155 विदेशी नागरिकों ने कुल 1.02 करोड़ रुपये डोनेट किए।
ये डोनेशन 404 बार अलग-अलग पासपोर्ट्स के जरिए किए गए।
22 नवंबर 2015: टोरंटो, कनाडा में हुए इवेंट में 15,000 कनाडाई डॉलर जुटाए गए।
30 जनवरी 2016: एक और इवेंट में 11,786 डॉलर की फंडिंग हुई, जिसमें से 7,955 डॉलर AAP के भारत स्थित बैंक अकाउंट में ट्रांसफर किया गया।
हाथ से लिखे गए डोनेशन डेटा को मेल पर भेजा गया, लेकिन आधिकारिक रिकॉर्ड्स में नामों को दर्ज नहीं किया गया।
CBI की छापेमारी और दुर्गेश पाठक का जवाब CBI ने दिल्ली के राजेन्द्र नगर स्थित दुर्गेश पाठक के आवास पर छापा मारा और करीब 3-4 घंटे तक तलाशी ली। CBI ने उनके बयान भी दर्ज किए। हालांकि, पाठक ने कहा कि छापेमारी में एजेंसी को कुछ नहीं मिला। उन्होंने बताया कि केवल कुछ आधार कार्ड की फोटोकॉपी ले जाई गईं, जो उनके क्षेत्र के लोगों ने काम के लिए दी थीं।
दुर्गेश पाठक ने छापेमारी को राजनीतिक साजिश करार देते हुए कहा,
“CBI की टीम सुबह-सुबह घर आई, कुछ नहीं मिला, लेकिन मुझे लगता है कि पार्टी ने मुझे गुजरात का सहप्रभारी बनाया है, इसलिए डराने आए थे। जब-जब AAP चुनावों में चुनौती बनती है, जांच एजेंसियों को भेजा जाता है।”
पार्टी का रुख और राजनीतिक सन्देश AAP का कहना है कि वे केवल ऑनलाइन पोर्टल्स और चेक्स के जरिए ही फंडिंग लेते हैं, लेकिन जांच एजेंसियों का दावा है कि पार्टी ने यह प्रक्रिया पारदर्शी ढंग से नहीं निभाई और विदेशी डोनर्स की पहचान छिपाई गई।
CBI अब जब्त इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज़ की जांच कर रही है और दुर्गेश पाठक को आगे पूछताछ के लिए बुलाए जाने की संभावना है।
क्या है FCRA कानून? FCRA यानी “Foreign Contribution Regulation Act” के तहत कोई भी राजनीतिक पार्टी या संगठन भारत में विदेशी स्रोतों से धन प्राप्त करने के लिए नियमों का पालन करना जरूरी होता है। नियमों का उल्लंघन गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है।
दुर्गेश पाठक और AAP के खिलाफ विदेशी फंडिंग का यह मामला केवल एक कानूनी जांच नहीं, बल्कि आगामी चुनावों की पृष्ठभूमि में एक बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम बनता जा रहा है। अब देखना यह होगा कि CBI की अगली कार्रवाई क्या होती है और AAP इस पूरे मुद्दे से किस तरह निपटती है।
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