लॉकडाउन का पॉज़िटिव असर – लोगों को याद आए मुहल्ले के किराना स्टोर्स, ऑनलाइन शॉपिंग से मोह भंग!

कोरोना संकट के चलते ई-कॉमर्स कंपनियां इस समय कई समस्याओं को फेस कर रही है। वहीं, इसका फायदा नजदीकी किराना स्टोर्स को मिल रहा है। लाॅकडाउन के दौरान ग्राहकों के लिए नजदीकी किराना स्टोर ‘वॉरियर्स’ की तरह काम कर रही है। यही वजह है कि एफएमसीजी कंपनियां इस समय ई-कॉमर्स पर नहीं बल्कि किराना स्टोर्स पर निर्भर है।

20 लाख ‘सुरक्षा स्टोर’ बनाए जाने की हैं योजना
बता दें कि लॉकडाउन के बीच सरकार की योजना देशभर में 20 लाख ‘सुरक्षा स्टोर’ बनाए जाने की है। सरकार की योजना मोहल्लों के किराना स्टोर को चिन्हित करके उन्हें ‘सुरक्षा स्टोर’ में तब्दील करना है। यह स्टोर दैनिक वस्तुओं की आपूर्ति करेंगे। इन दुकानों पर साफ-सफाई और सामुदायिक दूरी से जुड़ी हर तरह की एहतियातन बरती जाएगी। बता दें कि सुरक्षा स्टोर के लिए सरकार ने 50 से ज्यादा प्रमुख एफएमसीजी कंपनियों से संपर्क किया है।


फूड इंडस्ट्री का कारोबार 1.25 लाख करोड़ रुपए का है

एसोचैम और एमआरआरएस इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में फूड इंडस्ट्री का कारोबार 1.25 लाख करोड़ रुपए का है। देश के हर नुक्कड़ में ग्राहकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए अनुमानित 1.2 करोड़ छोटे खुदरा विक्रेता हैं। इसमें 90 फीसदी खुदरा बाजार असंगठित सेक्टर से हैं।

ई-कॉमर्स पर सेल में 60 फीसदी की गिरावट
ई-कॉमर्स कंपनियों के पास इस समय सबसे बड़ी समस्या श्रमिकों की हैं। लॉकडाउन के दौरान ज्यादातर श्रमिक अपने घर लौट गए हैं। इसके चलते ई-कॉमर्स कंपनी ग्राहकों की मांग को पूरा करने में असक्षम है। वहीं, दूसरी तरफ ये कंपनियां गैर-जरूरी सामानों को बेच नहीं पा रही है। सरकार की ओर से गैर जरूरी सामान बेचने पर पांबदी लगाई गई है। हाल ही में ई-कामॅर्स कंपनियों को गैर-जरूरी सामान बेचने की अनुमति दी गई थी लेकिन बाद में सरकार ने अपना फैसला बदल दिया। लॉकडाउन के दौरान ई-कॉमर्स कंपनियों की सेल में भारी गिरावट दर्ज की गई है। करीब 60 फीसदी सेल कम हो गई है।


किराना स्टोर्स से खरीदारी में बढ़ोतरी

McKinsey की रिपोर्ट के मुताबिक, लॉकडाउन के दौरान किराने की दुकानों पर किराने की सामानों की खरीदारी 53 फीसदी तक बढ़ी है। घर में खाना बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले किराना सामान खरीदने वाले उपभोक्ताओं में 48 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वहीं, किराने की दुकानों में किराने की खरीदारी में 39 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।

लाॅकडाउन के बाद भी रहेगा किराना स्टोर पर भरोसा
कैपिटल फूड्स के सीईओ नवीन तिवारी का कहना है कि किराना स्टोर ने भारतीय उपभोक्ताओं के लिए संजीवनी का काम किया है। वर्तमान में ये स्टोर्स काफी एक्टिव हैं और ग्राहकों की मांग को पूरा करने में मदद कर रहे हैं। खासकर भारत के उत्तर, पूर्व और पश्चिम बाजारों में लोगों का झुकाव किराना दुकानों की तरफ ज्यादा देखने को मिल रहा है। नवीन का कहना है कि लॉकडाउन के बाद भी लोगों का भरोसा किराना स्टोर्स पर बना रहेगा। हालांकि, किराना स्टोर्स के दुकानदारों में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

टेट्रा पैक दूध की बढ़ी मांग
देश के सबसे बड़े दूध उत्पादक, अमूल के एमडी, आरएस सोढ़ी ने दैनिक भास्कर को बताया कि हमने लॉकडाउन के दौरान पनीर की बिक्री में 15-20 फीसदी और टेट्रा पैक दूध में 50 फीसदी की वृद्धि देखी है। लॉकडाउन की अवधि बढ़ने के कारण हम मांग को पूरा करने के लिए अपनी पूरी आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत कर लिए हैं।’ हालांकि, उन्होंने इस बात को भी स्वीकार किया कि कोविड-19 संकट के चलते होटल और रेस्तरां इंडस्ट्री काफी प्रभावित हुई है जिसके चलते दूध 10-12 फीसदी, आइसक्रीम 90 फीसदी, फ्लेवर्ड दूध और पेय-पदार्थों की बिक्री 80-90 फीसदी तक कम हुई है।


60 फीसदी क्षमता के साथ ब्रिटानिया कर रही है काम

ब्रिटानिया के एमडी वरुण बेरी ने कहा कि इस समय हम उत्पादन और श्रमिकों की कमी की समस्या से गुजर रहे हैं। हम 60-65 फीसदी मैनपावर के साथ कर रहे हैं। सप्लाई चेन में दिक्कत न हो इसके लिए कंपनी संभव प्रयास कर रही है। सरकार की गाइलाडन को फॉलो किया जा रहा है।

वहीं, पारले प्रोडक्ट्स के कैटेगिरी हेड मयंक शाह का कहना है कि कंपनी अभी 25 फीसदी वर्कफोर्स पर काम कर रही है। पिछले सप्ताह कर्मचारियों की संख्या 20 से 30 फीसदी ही थीं। मयंक शाह बताते हैं, ‘इस समय हमारे समाने सबसे बड़ी समस्या लेबर और ट्रांसपोर्ट को लेकर है। इसके बावजूद हमने लॉकडाउन के दौरान सप्लाई चेन में कोई कमी नहीं आने दी है। बता दें कि बिस्किट प्रोडक्शन क्षेत्र में पारले जी सबसे बड़ी कंपनी है। पारले जी का बिस्किट सेगमेंट में 35 फीसदी की हिस्सेदारी है।

फ्रोजन फूड स्पेस मार्केट में आईटीसी की 15 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। लॉकडाउन के दौरान कंपनी अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने को लेकर काम कर रही है। आईटीसी के एक प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी कम वर्कफोर्स में भी ग्राहकों के लिए जरूरी सामानों की सप्लाई में जुटीं हुई है। श्रमिक की कमी और कम प्रोडक्ट्स के बावजूद देश भर में आपूर्ति श्रृंखला सुचारू रूप से चले इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं।


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