गाज़ियाबाद नगर निगम की कार्यप्रणाली पर लगा प्रश्न चिन्ह, बोर्ड की बैठक हुई अवैध घोषित

गाज़ियाबाद नगर निगम और नगर आयुक्त दिनेश चन्द्र सिंह की कार्यकुशलता पर उस समय प्रश्न चिन्ह लग गया जब सोमवार की हुई नगर निगम की बोर्ड बैठक को विधानसभा परिषद ने अवैध करार दिया है। विधान परिषद में एमएलसी जितेंद्र यादव ने शासनादेशों का उल्लेख करते हुए बताया कि विधानसभा,विधान परिषद और लोकसभा के सत्र के दौरान किसी भी ऐसे बोर्ड की बैठक नहीं बुलाई जा सकती है जिसमें एमएलए, एमएमलसी और एमपी नामित सदस्य हो। इनका एमएलसी राकेश यादव,प्रदीप चौधरी और बलवंत सिंह रामूवालिया ने भी समर्थन किया। इसके बाद नेता सदन और उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने नगर निगम गाजियाबाद की बोर्ड बैठक को अवैध घोषित कर दिया। इसके साथ बोर्ड के सभी फैसले निरस्त हो गए।

ऐसा पहली बार हुआ है जब गाज़ियाबाद नगर निगम की बोर्ड बैठक को अवैध घोषित किया गया है।

एमएलसी जितेंद्र यादव ने बताया कि शासनादेशों का उल्लंघन करने एवं सदन की अवमानना के इस प्रकरण को विधान परिषद की गठित विशेषाधिकार समिति को सौंप दिया गया है। समिति दोषियों की जिम्मेदारी तय करते हुए कार्रवाई की संस्तुति करेगी। एमएलसी का कहना है कि सत्र के दौरान बोर्ड बैठक नहीं बुलाई जा सकती है जिसमें एमएलए,एमएमलसी और एमपी नामित सदस्य हो। नगर निगम बोर्ड में पदेन सदस्यों की संख्या दस है। इनमें सांसद जनरल वीके सिंह, विधायक अतुल गर्ग, सुनील शर्मा, अजीतपाल त्यागी, एमएलसी राकेश यादव, जितेंद्र यादव, सुरेश कुमार कश्यप, प्रदीप जाटव, बलवंत सिह रामूवालिया और राज्यसभा सदस्य अनिल अग्रवाल शामिल है। सोमवार को हुई नगर निगम की बोर्ड बैठक में शहर के विकास से जुडे 21 प्रस्ताव पास किए गए थे ।

एमएलसी राकेश यादव ने बताया कि मैं बोर्ड का पदेन सदस्य हूं। नगर निगम ने बोर्ड बैठक बुलाने की कोई सूचना तक नहीं दी। बजट सत्र के दौरान बैठक बुलाकर प्रस्ताव पास किए जाने पर विधान परिषद स्पीकर एवं नेता सदन द्वारा घोर आपत्ति दर्ज करते हुए गंभीर प्रकरण करार दिया है। फिलहाल बैठक का पूरा सत्र एवं लिए गए फैसलों को अवैध घोषित कर दिया गया है। विधान परिषद सदस्य 21 सितंबर 1998 को जारी शासनादेश संख्या-1391 में साफ लिखा है कि विधानसभा सत्र के दौरान नगर निगम की बोर्ड बैठक का आयोजन नहीं किया जा सकता है। जरुरी हो तो लगातार तीन दिन तक सत्र स्थगित रहने पर बोर्ड बैठक बुलाई जा सकती है। बजट सत्र के दौरान बोर्ड बैठक का बुलाया जाना असंवैधानिक है।

एमएलसी जितेंद्र यादव का कहना है कि विधान परिषद सदस्य विधानसभा सत्र के दौरान बोर्ड बैठक नहीं बुलाने के बारे में उन्हे जानकारी नही थी। किसी अफसर ने इस संबंध में उन्हें नहीं बताया। पार्षद राजेंद्र त्यागी ने बैठक का बहिष्कार किया लेकिन कोई पत्र उनका नहीं मिला। फिर भी कुछ गलत हुआ है तो उसमें भविष्य में सुधार किया जाएगा। बोर्ड बैठक दोबारा बुलाई जाएगी।

वहीं अपनी सफाई में नगर आयुक्त दिनेश चन्द्र सिंह का कहना है कि मेयर ने बैठक बुलाने का आदेश दिया,जिसका अनुपालन कराया गया। विधानसभा सत्र के दौरान बोर्ड बैठक न बुलाने संबंधी शासनादेश की जानकारी नहीं थी। किसी अधीनस्थ अफसर द्वारा भी इस संबंध में अवगत नहीं कराया गया। पार्षदों का शिकायती पत्र उन्हे नहीं मिला। अब शासनादेश मंगवाया जा रहा है। यदि कुछ गलत हो गया है तो सुधार किया जाएगा। जल्द ही बोर्ड बैठक फिर से बुलाई जाएगी।

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