चुनाव खत्म होते ही शाहीन बाग में छाने लगा सन्नाटा, लाउडस्पीकर से करनी पड़ रही है धरने पर आने की अपील

राजधानी दिल्ली के शाहीनबाग में हो रहे सीएए विरोधी प्रदर्शन को अब 62 दिन हो चुके हैं। यहां दिन में प्रदर्शनकारियों की संख्या पहले के मुकाबले कम दिखने लगी है। शाहीन बाग में चुनाव के बाद से ही एक तरह से दिन के वक्त सन्नाटा पसरने लगा है। हालांकि, रात में लोगों की संख्या कमोबेश पहले की तरह बनी हुई है। यही वजह है कि गुरुवार को पूरे इलाके में लाउडस्पीकर से लोगों को अधिक संख्या में धरना स्थल पर पहुंचने का ऐलान करवाया गया। बीते कुछ दिनों से लगातार लाउडस्पीकर से धरना स्थल पर लोगों के आने की अपील की जा रही है।

हालांकि, बीते कुछ दो-तीन दिनों से पसरे सन्नाटे के बाद शुक्रवार को इस ऐलान व जुमे का दिन होने का फायदा देखने को भी मिला। प्रदर्शन स्थल पर सुबह जरूर लोगों की संख्या कम थी, लेकिन दोपहर की नामाज के बाद बड़ी संख्या में लोग प्रदर्शन स्थल पर पहुंचे। रात में इनकी संख्या और बढ़ गई। भीड़ कम होने पर प्रदर्शनकारियों का जवाब था कि यह सब केवल अफवाह है। बीते दिनों चुनाव थे और चुनाव के समय से अब अधिकांश लोग रात के वक्त आ रहे हैं। रात में कई कार्यक्रम भी होते हैं।

दरअसल केंद्र सरकार की तरफ से अभी तक कोई प्रतिनिधि मिलने न आने से लोग नाराज हैं। उनका आरोप है कि चुनावों में सभी पार्टियों ने उनके नाम पर राजनीति की है। यही वजह है कि अब कुछ लोग प्रदर्शन से किनारा कर रहे हैं।

प्रदर्शनकारी रफीकन का कहना है कि कुछ लोग अफवाह फैला रहे हैं कि भीड़ कम हुई है। हमारा प्रदर्शन जारी रहेगा। प्रधानमंत्री आएं हम सभी से बात करें और हमारी मांगे मानी जाए। वहीं नईमा ने कहा कि भीड़ कम नहीं हुई है। हम कतई पीछे नहीं हटेंगे। जब तक केंद्र सरकार सीएए को वापस नहीं लेती हमारा प्रदर्शन जारी रहेगा।

शाहीनबाग में सीएए, एनआरसी व एनपीआर के विरोध में बैठी महिलाएं अब सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेंगी। शीर्ष न्यायालय में 17 फरवरी को इस मसले पर होने वाली सुनवाई में वह पक्षकार बनकर पक्ष रखेंगी। गुरुवार देर रात प्रदर्शनकारियों ने बैठक के बाद यह फैसला लिया है।

प्रदर्शनकारी महिलाओं के मुताबिक उन पर रोड नंबर 13ए बंद करने का आरोप लगाए जा रहे हैं। उनका प्रदर्शन रोड के एक छोटे से हिस्से पर है, जबकि यूपी और दिल्ली पुलिस ने सरिता विहार, महामाया फ्लाईओवर, जैतपुर आसपास की कई सड़कें बेवजह ही बंद कर रखी हैं। अगर वह खुल जाएं तो वाहन चालकों की परेशानी खत्म हो जाएगी।

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