इन दिनों गाज़ियाबाद नगर निगम की पूरी टीम शहर को स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 में अव्वल स्थान दिलाने की कवायद में जुटी हुई है। नगर आयुक्त दिनेश चंद्र सिंह सुबह सवेरे से निगम के अलग-अलग जोन्स में जाकर स्वयं साफ-सफाई का जाएजा ले रहे हैं, अगर कहीं कुछ कमी पाई जाती है तो नगरायुक्त दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ पर कार्यवाही करते हैं। गंदगी फैलाने वाले नागरिकों और प्रतिष्ठानों के खिलाफ भी तुरंत कार्यवाही की जाती है।
नगर आयुक्त और निगम के अन्य अधिकारियों के ये प्रयास सरहनीय हैं मगर खुद नगर निगम के कुछ कर्मचारी ही निगम के इन प्रयासों में पलीता लगाने का काम कर रहे हैं। निगम के ये कर्मचारी शहर की विभिन्न कॉलोनियों से कूड़ा उठा कर उसे डम्पिंग ग्राउंड में डालने के बजाए आसपास के इंडस्ट्रियल एरिया में डाल कर भाग जाते हैं।
सबसे खराब स्थिति कवि नगर ज़ोन में हैं जहां निगम के कर्मचारी राज नगर, संजय नगर और शास्त्री नगर जैसी बड़ी कॉलोनियों से एकत्र कूड़े को बुलंदशहर रोड, कवि नगर और मेरठ रोड इंडस्ट्रियल एरिया की सड़कों और खाली प्लाटों में फेंक कर भाग जाते हैं। इस बारे में निगम में कई बार शिकायतें की जा चुकी हैं मगर न तो निगम के ज़ोनल कार्यालय में बैठे अधिकारियों के कानों पर जूँ रेंग रही है और न ही निगम मुख्यालय में बैठे अधिकारी दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही कर रहे हैं।
स्थानीय मीडिया भी छुपा रही है हकीकत
गाज़ियाबाद जिले में ऐसे 80 से भी अधिक पत्रकार और दर्जन भर से भी ज्यादा दैनिक समाचार पत्र हैं जो अपने आपको निर्भीक से लेकर हमेशा सत्य छापने वाले कलम के सिपाही होने का दावा करते हैं। मगर अनजाने कारणों से सरकारी विज्ञापनों पर आश्रित ये स्थानीय अखबार नगर निगम की हकीकत सामने लाने में असमर्थ हैं। ये सभी अखबार निगम की प्रेस विज्ञप्तियों और प्रचार करते लेखों से भरे रहते हैं। आपको बता दें कि देश के सभी प्रमुख हिन्दी और अँग्रेजी के दैनिक अखबार गाज़ियाबाद के लिए विशेष संस्करण निकलते हैं मगर शायद ही कोई ऐसा अखबार हो जो गाज़ियाबाद नगर निगम के स्वच्छता अभियान की हकीकत दिखाने का साहस कर रहा हो।
स्वच्छ सर्वेक्षण में भी हो रही है बेईमानी
आप में से बहुत से लोगों को याद होगा कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन प्रचलन में आने और चुनाव आयोग के सख्त होने से पहले वोटिंग बैलेट पेपर के सहारे होती थी। उन दिनों वोटिंग के दिन कुछ दबंग लोग मतदान केन्द्रों पर जाकर किसी एक पार्टी या प्रत्याशी के पक्ष में सैंकड़ों वोट डाल देते थे। यह प्रक्रिया बूथ कैप्चरिंग के नाम से प्रसिद्ध थी।
गाज़ियाबाद नगर निगम के सभी अधिकारी और कर्मचारी इन दिनों अपनी सभी अन्य जिम्मेदारियों को भुला कर स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 में अच्छी रैंकिंग पाने के लिए बूथ कैप्चरिंग में जुटे हुए हैं। ये अधिकारी टीमें बना कर शहर के विभिन्न स्कूल-कॉलेजों और व्यापारिक स्थलों पर जाकर लोगों से अपने पक्ष में वोट डलवा रहे हैं।
नगर आयुक्त के प्रयासों में कमी नहीं
अगर हम निगम के ज़ोनल स्तर पर बैठे अधिकारियों की बात छोड़ दें, तो नगर आयुक्त और अपर नगर आयुक्तों के प्रयासों में कहीं कोई कसर बाकी नहीं है। ये अधिकारी जहां एक ओर प्रतिबंधित पॉलिथीन और डिस्पोसेबल प्लास्टिक का इस्तेमाल करने वालों के विरुद्ध दंडात्मक कार्यवाही कर रहे हैं वहीं दूसरी और बर्तन बैंक का इस्तेमाल करने वालों और अपनी-अपनी दुकानों और प्रतिष्ठानों के आसपास साफ-सफाई करने वाले जिम्मेदार नागरिकों को पुरस्कार देकर प्रोत्साहित भी कर रहे हैं।
व्हाट्सएप के माध्यम से हमारी खबरें प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
हमारा न्यूज़ चैनल सबस्क्राइब करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
Follow us on Facebook http://facebook.com/HamaraGhaziabad
Follow us on Twitter http://twitter.com/HamaraGhaziabad