रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर मध्य प्रदेश में बेरोजगारों को ठगने वाले गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। मध्य प्रदेश पुलिस के मुताबिक, गिरोह 10 साल से सक्रिय था और अब तक करीब एक हजार युवाओं से 100 करोड़ रुपए ऐंठ चुका है। जालसाज बेरोजगारों को टिकट कलेक्टर और असिस्टेंट स्टेशन मास्टर बनवाने का झांसा देते थे। इसके एवज में आवेदकों से 10 से 12 लाख रुपए लिए ले लिए जाते थे। भोपाल पुलिस का एक बर्खास्त सिपाही गिरोह का मास्टरमाइंड है।
डीआईजी इरशाद वली के मुताबिक, रैकेट में शामिल सुधीर दोहरे और उसके भतीजे राजेश दोहरे को गिरफ्तार कर लिया है। दोनों नौकरी के नाम पर 10 से 12 लाख रुपए वसूलते थे और आवेदकों के बैंक खाते में एक-दो महीने की सैलरी भी डाल देते थे, ताकि वे झांसे में फंसे रहें। पुलिस ने बताया कि सुधीर बजरिया थाने का बर्खास्त सिपाही है। इस गिरोह में महाराष्ट्र में पदस्थ रेलवे के 2 कर्मचारी भी शामिल हैं। आरोपियों के पास से रेलवे भर्ती से जुड़े 20 हजार दस्तावेज जब्त हुए हैं।
जिससे 12.50 लाख ऐंठे, उसी की शिकायत पर पकड़ाए
डीआईजी के मुताबिक, कृष्ण नगर स्टेशन बजरिया निवासी गोपाल ठाकुर ने शिकायत की थी कि बर्खास्त सिपाअी सुधीर दोहरे, उसका भतीजा राजेश दोहरे, संतोष गुहा, अमित, संतोष हलवाई आदि ने रेलवे में नौकरी के नाम पर 12.50 लाख रु. ठगे हैं। पुलिस ने इनके खिलाफ जांच शुरू की तो मामला गंभीर निकला। इसके बाद पुलिस ने बुधवार को सुधीर और राजेश को पकड़ लिया। इससे पहले 8 जनवरी को भी एसटीएफ ने बास्केटबॉल के नेशनल प्लेयर विक्रम बाथम को उसके चार साथियों के साथ गिरफ्तार किया था। ये सभी रेलवे में नौकरी का झांसा देकर युवाओं को ठग रहे थे।
खुद को एडीआरएम का पीए बताता था सुधीर
बेरोजगारों को भरोसे में लेने के लिए सुधीर ने रेलवे के कर्मचारियों, गुंडों और तकनीक के जानकार को अपने साथ ले रखा था। वह खुद को एडीआरएम का पीए बताता था। झांसा केवल रेलवे के टिकट कलेक्टर और असिस्टेंट स्टेशन मास्टर के पद पर नौकरी लगवाने का दिया जाता था। फिर उत्तर पुस्तिका भरने, रोल नंबर इश्यू करने, ज्वाइनिंग फॉर्म भरने, रेलवे हॉस्पिटल में मेडिकल, पुलिस वेरिफिकेशन, सेवा पुस्तिका भरने, चयन सूची जारी करने, ट्रेनिंग दिलवाने और आखिर में बेरोजगारों के बैंक खातों में तनख्वाह भिजने तक काम किया जाता था। फर्जीवाड़े में तकनीक से जुड़े दस्तावेजी काम राजेश देखता था।
नौकरी किसी को नहीं, लेकिन 2 महीने तक सैलरी मिली
पुलिस ने बताया कि शिकायत करने वाले गोपाल सिंह ठाकुर को जालसाजों ने 2 महीने तक तनख्वाह दी। लेकिन जब तीसरे महीने सैलरी नहीं आई तो उसे शक हुआ। तब वह भुसावल में रेलवे के सामुदायिक भवन में टिकट कलेक्टर की फर्जी ट्रेनिंग ले रहा था। इस काम में महाराष्ट्र में पदस्थ रेलवे के कर्मचारी संतोष गुहा और माणिक माठे सुधीर के मददगार हैं। दोनों ने फर्जी ट्रेनिंग के लिए भुसावल में रेलवे का सामुदायिक भवन किराए पर ले रखा था। गोपाल ने पड़ताल की तो सुधीर और उसके साथियों का गोरखधंधा सामने आया।
सुधीर 2009 में बर्खास्त हुआ, ठगी गई रकम ब्याज पर देता था
सुधीर दोहरे 1997 बैच का सिपाही है, लेकिन उसकी करतूतों के चलते 2009 में विभाग ने उसे बर्खास्त कर दिया था। इसके बाद गिरोह बनाकर बेरोजगारों से रेलवे में भर्ती के नाम पर ठगी शुरू कर दी। वह रेलवे में टिकट कलेक्टर बनाने के 15 लाख और असिस्टेंट स्टेशन मास्टर के 25 लाख वसूलता था। इसके बाद ठगी की रकम को स्थानीय गुंडों की मदद से 10-20% ब्याज पर चलाता था।
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