CAA के बाद अब रोहिंग्या शरणार्थियों को बाहर करने की तैयारी में जुटी मोदी सरकार

नागरिकता संशोधन कानून (CAA)को लेकर देश भर में मचे बवाल के बीच केंद्रीय मंत्री जीतेंद्र सिंह ने शुक्रवार को साफ किया कि जिस दिन संसद में CAA कानून पास हुआ था उसी दिन ये कानून जम्मू-कश्मीर में भी लागू हो गया था। उन्होंने कहा कि अब सरकार का अगला कदम रोहिंग्या शरणार्थियों के निर्वासन के संबंध में होगा, ताकि वे नागरिकता कानून के तहत अपने आप को सुरक्षित न कर सकें।

केंद्रीय मंत्री ने इस बात की जांच कराने की मांग की कि कैसे रोहिंग्या शरणार्थी पश्चिम बंगाल के कई इलाकों से होते हुए जम्मू के उत्तरी इलाकों में आकर बस गए। उन्होंने कहा कि जिस दिन संसद में CAA को मंजूरी मिली थी, उसी दिन जम्मू-कश्मीर में भी ये कानून लागू हो गया था। इस कानून को लेकर कोई अगर-मगर जैसी बात नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार का अगला कदम रोहिंग्या शरणार्थियों के निर्वासन को लेकर रहेगा।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में जम्मू-कश्मीर के अधिकारियों ने माना कि जम्मू के कई इलाकों में बड़ी संख्या में रोहिंग्या शरणार्थी रहते हैं। रोहिंग्या शरणार्थियों के निर्वासन की योजना पर बात करते हुए जीतेंद्र सिंह ने कहा, ‘इस बारे में केंद्र में मामला विचाराधीन है। जम्मू में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों की सूची तैयार की जा रही है। अगर जरूरत हुई तो बॉयोमेट्रिक पहचान पत्र दिए जाएंगे, क्योंकि सीएए रोहिंग्या को किसी भी तरह का कोई भी लाभ प्रदान नहीं करता।’

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि रोहिंग्या शरणार्थी उन 6 धार्मिक अल्पसंख्यकों (जिन्हें नए कानून के तहत नागरिकता दी जाएगी) से संबंधित नहीं हैं और न ही उन 3 (पड़ोसी) देशों (पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान) में से किसी से संबंधित हैं। उन्होंने कहा कि रोहिंग्या शरणार्थी म्यांमार से यहां आए हैं इसलिए उन्हें वापस जाना होगा। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जम्मू और सांबा जिलों में 13700 से अधिक रोहिंग्या मुसलमान और बांग्लादेशी नागरिक बसे हुए हैं। साल 2008 से 2016 के बीच में उनकी आबादी 6000 से अधिक हो गई है।

11 दिसंबर को संसद में पारित किए गए नागरिता संशोधन कानून के विरोध में देश भर में प्रदर्शन किया जा रहा है। केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी, जम्मू और कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी, विश्व हिंदू परिषद, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समेत कई अन्य सामाजिक संगठन रोहिंग्याओं को देश से बाहर करने की मांग कर रहे हैं। सिंह ने उन परिस्थितियों की जांच करने की मांग की, जिसके कारण रोहिंग्याओं को बंगाल से कई राज्यों को पार कर जम्मू के उत्तरी इलाकों में आकर बसने को मजबूर होना पड़ा। सिंह ने कहा इतनी बड़ी तादाद में रोहिंग्या शरणार्थियों को जम्मू-कश्मीर में बसाने के पीछे कोई राजनीतिक मकसद दिखाई दे रहा है।

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