गाज़ियाबाद । दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे के घोटाले में फंसे चार गांव के किसानों को मुआवजा देने का पेच अभी फंसा हुआ है। शासन का लिखित आदेश मिलने के बाद ही प्रशासन मुआवजा जारी करेगा। इसके लिए लखनऊ में मुख्य सचिव और एनएचएआई के चेयरमैन के साथ बैठक होनी है। बैठक में मुआवजा जारी करने के संबंध में निर्णय लिया जाना है। यानी की शासन से हरी झंडी मिलने के बाद ही मुआवजा जारी होगा। इससे पहले मुआवजा वितरण नहीं होगा।
एक्सप्रेसवे का चौथा चरण डासना से मेरठ तक जाएगा। इसकी लंबाई 32 किलोमीटर है। लेकिन दो साल से परियोजना के लिए नाहल, कुशलिया, डासना और रसूलपुर सिकरोड़ गांव में जमीन नहीं मिल रही है। इन सभी गांवों में परियोजना के लिए 19 हेक्टेयर जमीन चाहिए। एक्सप्रेस वे की जमीन खरीद घोटाले में चारों गांवों का नाम आने के बाद मामला बेहद पेचीदा हो गया है।
यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसमें हस्ताक्षेप करना पड़ा। प्रधानमंत्री ने छह नंवबर को दिल्ली में एनएचएआई और प्रदेश सरकार के अधिकारियों के साथ बैठक कर एक माह के अंदर जमीन दिलाने का निर्देश दिए। यही वजह है कि इस मामले को यूपी कैबिनेट में रखा गया। यूपी कैबिनेट गाजियाबाद के दो तत्कालीन जिलाधिकारयों के खिलाफ आदेश दिए। इसके बावजूद किसानों को मुआवजा मिलने का रास्ता साफ नहीं हो सका है।
हमारा न्यूज़ चैनल सबस्क्राइब करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
Follow us on Facebook http://facebook.com/HamaraGhaziabad
Follow us on Twitter http://twitter.com/HamaraGhaziabad