नई दिल्ली। बसों में मुफ्त यात्रा की सुविधा मिलने पर महिलाएं खुश दिखाई दीं, लेकिन सभी को इसकी पहले से जानकारी नहीं थीं। हालांकि उनके पास कई सवाल थे। ये सवाल वाजिब होने के साथ ही महिलाओं के दिल की बात भी बताते हैं। इनमें सबसे प्रमुख था कि जब यात्रा फ्री है तो पिंक पास किस लिए। मुफ्त यात्रा योजना के पहले दिन कंडक्टर महिला यात्रियों को सफर के लिए फ्री पिंक पास जरूरी होने की जानकारी देते दिखे।
हालांकि जिन पुरुष यात्रियों को इस सुविधा की जानकारी नहीं थी, उन्होंने पहले ही अपने साथ सफर करने वाली महिलाओं के भी टिकट ले लिए। अधिकतर महिलाएं मान रही थीं कि यह सुविधा केवल भैया दूज के लिए है, लेकिन इसके आगे भी जारी रहने की जानकारी मिलते ही उनके चेहरे पर खुशी दिखी।
भैया दूज पर वैसे भी बसों में महिलाओं की संख्या बढ़ जाती है। मुफ्त यात्रा सुविधा के पहले दिन बसों में महिला यात्रियों की संख्या 50 फीसदी के करीब रही। हालांकि, कुछ यात्रियों ने शिकायत की कि उन्हें बसों के लिए काफी देर तक इंतजार करना पड़ा। उनका कहना था कि बसों की संख्या में बढ़ोतरी जरूरी है। वैसे कुछ महिलाओं ने सफर फ्री होने के बाद भी टिकट खरीदना उचित समझा।
बसों में मुफ्त सफर की योजना के पहले ही दिन महिलाओं को कई स्टॉप पर एक घंटे से भी अधिक समय तक इंतजार करना पड़ा। एक तो डीटीसी में बसों की पहले ही कमी है। फिलहाल उपलब्ध 3760 में से भी मंगलवार को केवल 3400 से कुछ ज्यादा ही बसें सड़कों पर उतरीं। काफी बसें तकनीकी खामी की वजह से डिपो में ही खड़ी रहीं।
डीटीसी के कर्मचारी इस सुविधा से ज्यादा उत्साहित नहीं दिखे। उन्हें डीटीसी के राजस्व पर इसके प्रतिकूल प्रभाव की चिंता सता रही है। डीटीसी की बस संख्या 718 में महिला कंडक्टर ने कहा कि इससे बेहतर होता कि कोई दूसरी सुविधा दी जाती। कंडक्टर ने कहा कि जो महिलाएं पहले ही 40-40 हजार रुपये वेतन पा रही हैं, उन्हें मुफ्त में यात्रा कराने की क्या जरूरत है। इस पैसे का कहीं और इस्तेमाल हो सकता था।
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