सावधान: उल्लुओं के चक्कर में पड़े तो जाओगे जेल, वन विभाग की नजर तस्करों पर

गाज़ियाबाद। प्रत्येक वर्ष दिवाली के सीजन में उल्लुओं की मांग बढ़ जाती है। अंधविश्वास के चक्कर में लोग दिवाली पर उल्लुओं की बलि चढ़ाते हैं। उल्लुओं की बढ़ती मांग को देखते हुए इसकी तस्करी भी की जाती है। पक्षियों का व्यापार करने वाले तस्कर उल्लू को पकड़ कर एक अच्छी कीमत लेकर बेच देते हैं। जबकि वन अधिनियम के तहत उल्लू पालना या शिकार करना दंडनीय अपराध है।

इसके बावजूद उल्लुओं की खरीद फरोख्त जारी है। इस पर रोक लगाने के लिए वन विभाग सख्त हो गया है। अभियान चलाकर लोगों को जागरूक करने के अलावा विभाग छापा मारकर उल्लुओं की तस्करी रोकने में लगा है।

दरअसल, दिवाली के दिन तांत्रिक तंत्र मंत्र को जगाने का काम करते हैं। इसके लिए वह उल्लू की बलि देते हैं। मंगलवार को गाजियाबाद में ऐसे ही दो तस्करों को पुलिस ने दबोचा है जो पांच उल्लुओं को बाल्टी में डालकर तस्करी करने ले जा रहे थे। तस्करों ने बताया कि उल्लू के वजन, आकार, रंग, पंख के फैलाव के आधार पर उसका दाम तय किया जाता है।

लाल चोंच और शरीर पर सितारा धब्बे वाले उल्लू लाखों में बिकते हैं। जबकि वन अधिनियम के तहत उल्लू संरक्षित प्रजाति है और उसका शिकार करना दंडनीय अपराध है। लेकिन बावजूद इसके उत्तर प्रदेश से लेकर पश्चिम बंगाल तक से उल्लू की तस्करी की जा रही है।

वन्य क्षेत्रीय अधिकारी पीके श्रीवास्तव का कहना है कि बड़े लोग जिनके पास पैसे की कमी नहीं है। वही लोग इस चंगुल में फंस जाते हैं। वशीकरण और सम्मोहन इत्यादि साधनाओं की सफलता के लिए उल्लू की बलि देते हैं। वह पूजा के लिए लाखों रुपये तक खर्च कर देते हैं। यही वजह है कि दिवाली के ठीक पहले के कुछ महीनों में उल्लू की तस्करी काफी बढ़ जाती है।

गाजियाबाद व मेरठ क्षेत्र से तस्करी
इन दिनों सोशल मीडिया के माध्यम से उल्लुओं की तस्करी की जा रही है। इस तरह के तस्करों की धरपकड़ के लिए एक्सपर्ट की मदद ली जा रही है। सबसे ज्यादा उल्लू रेलवे स्टेशनों पर पाए जाते हैं, इस साल के आंकड़ों के मुताबिक उल्लुओं की तस्करी मेरठ व गाजियाबाद क्षेत्र में अधिक हो रही है।

संरक्षित प्रजाति में आता है उल्लू
भारतीय वन्य जीव अधिनियम, 1972 की अनुसूची एक के तहत उल्लू संरक्षित है। ये विलुप्त प्राय जीवों की श्रेणी में दर्ज है। इनके शिकार या तस्करी करने पर कम से कम 3 वर्ष या उससे अधिक सजा का प्रावधान है। रॉक आउल, ब्राउन फिश आउल, डस्की आउल, बॉर्न आउल, कोलार्ड स्कॉप्स, मोटल्ड वुड आउल, यूरेशियन आउल, ग्रेट होंड आउल, मोटल्ड आउल विलुप्त प्रजाति के रूप में चिह्नित हैं। इनके पालने और शिकार करने दोनों पर प्रतिबंध है। पूरी दुनिया में उल्लू की लगभग 225 प्रजातियां हैं।

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