गाजियाबाद। दीपावली पर प्रदूषण को लेकर एनजीटी की सख्ती का असर दिख रहा है। आलम यह है कि ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट्स पर भी लोगों को पटाखे नहीं मिल रहे हैं। कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि ऑनलाइन वेबसाइट्स पर ग्रीन पटाखों को बेचने की अनुमति है। वैसे भी ऑनलाइन साइट्स का पटाखों पर बहुत ज्यादा फोकस भी नहीं है।
फ्लिपकार्ट, अमेजॉन, बिग बास्केट सहित अन्य ई-कॉमर्स पोर्टल पर अभी रोशनी के पटाखों की बिक्री की जा रही है, जिससे पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे। वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण के पटाखों से ई-कॉमर्स साइट्स ने भी पल्ला झाड़ लिया है। पटाखों में रंग-बिरंगी फुलझड़ी, अनार, चकरी सहित रोशनी वाले ज्यादा हैं। इनके पैकेट तैयार कर बेचे जा रहे हैं। पटाखा निर्माता ब्रांड भी ग्रीन पटाखों की बिक्री पर जोर दे रहे हैं। खासकर दिल्ली एनसीआर में ऐसे ही पटाखों की सप्लाई की जा रही है।
ई-कॉमर्स पोर्टल पर पटाखों की शेप, डिजाइन में चॉकलेट को उतारा गया है। बम की लड़ी, रॉकेट, सुतली बम, चकरी सहित अन्य पटाखों की तरह दिखने वाली चॉकलेट के पैकेट की डिमांड ज्यादा है। इनकी कीमत 400 रुपये से लेकर 480 रुपये तक है। दीपावली पर बच्चों को गिफ्ट करने के लिए लोग इन्हें खरीद रहे हैं।
त्योहार पर आतिशबाजी की बिक्री के लिए शहर के रामलीला मैदान सहित अन्य मैदानों पर दुकानें सजाई जाएंगी। हालांकि अभी जिले में प्रशासन ने पटाखाें की बिक्री के लिए लाइसेंस जारी नहीं किए हैं। दुकानदारों का कहना है कि समय पर लाइसेंस नहीं मिलने से इस साल कारोबार को झटका लग सकता है।
कविनगर रिटेलर्स क्रैकर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष आशुतोष गुप्ता का कहना है कि हर बार तय नियमों का पालन कर पटाखाें की बिक्री दुकानदार करते हैं। एनजीटी के अनुपालन में भी विक्रेता सभी नियमों का पालन करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने ग्रीन पटाखों के उत्पादन और बिक्री की अनुमति दे दी है। इसके बाद दिल्ली में विक्रेताओं को लाइसेंस जारी किए जा चुके हैं जबकि गाजियाबाद में लाइसेंस जारी नहीं किए गए हैं। त्योहार से दो दिन पहले लाइसेंस मिलने से भीड़ उमड़ती है और दुर्घटना का भी डर बना रहता है। जिले से करीब 172 लोगों ने पटाखा बिक्री के लिए आवेदन किया है।
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