नई दिल्ली। अमेरिकी रिटेल मार्केट में एक डिस्ट्रीब्युटर को अपनी दुकान से MDH मसालों के तीन लॉट को पूरी तरह से हटाना पड़ा है। दरअसल, अमेरिकी फूड रेग्युलेटर ने MDH कंपनी के सांभर मसाले में ‘साल्मोनेला’ नाम का बैक्टीरिया पाया है। यूएस फूड एंड ड्रग अथॉरिटी (USFDA) ने अपने आधिकारिक बयान में कहा है कि MDH के इस प्रोडक्ट को सर्टिफाइड लैब में जांच किया गया, जिस दौरान साल्मोनेला नामक बैक्टीरिया होने के बारे में पता चला है। उन्होंने आगे कहा कि एफडीए ने इस बारे में तब जांच करनी शुरू की जब उसे पता चला कि बाजार में कुछ ऐसे प्रोडक्ट्स बेचे जा रहे हैं, जिसमें साल्मोनेला बैक्टीरिया हैं।
रिपोर्ट में आगे लिखा गया कि इस बीमारी की शुरुआती लक्षण में डायरिया, पेट में मरोड़ समेत 12 से 72 घंटे के अंदर तेज बुखार भी हो सकता है। आपको बता दें कि पहले भी अमेरिकी में एमडीएच मसालों पर सवाल उठ चुके हैं। अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी है कि भारत में भी इस कंपनी के बेचे जाने वाले एमडीएच प्रोडक्ट्स में साल्मोनेला पाया जाता है या नहीं।
अब क्या होगा MDH मसालों का-
अमेरिकी फूड नियामक ने इस बारे में जानकारी नहीं दी है कि कंपनी ने खुद संज्ञान लेते हुए प्रोडक्ट रिकॉल किया है। इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि एमडीएच कंपनी के ये प्रोडक्ट्स उत्तरी कैलिफोर्निया स्थित रिटेल स्टोर में बेचे जा रहे थे।
आपको यह भी बता दें कि यह ऐसा पहला मौका नहीं है जब एमडीएच के मसालों में अमेरिकी फूड नियामक ने साल्मोनेला होने की शिकायत की है। साल 2016 से 2018 के बीच में इस नियामक ने करीब 20 बार एमडीएच मसालों के प्रोडक्ट्स के आयात पर प्रतिबंध लगाया चुका है।
साल्मोनेला से गंभीर बीमारी होने का खतरा:
इन प्रोडक्ट्स से होने वाले नुकसान के बारे में एफडीए ने अपने आधिकारिक साइट पर लिखा कि साल्मोनेला संक्रमित खाना खाने से इंसानों को ‘साल्मोनेलोसिस’ बीमारी हो सकती है। इस बीमारी के शुरुआती लक्षण में डायरिया, पेट में मरोड़ व 12 से 72 घंटे के अंदर बुखार होता है। यह करीब 4 से 7 दिनों तक के लिए रहता है। एफडीए ने कहा कि अधिकतर मामलों में साल्मोनेलॉसिस के इलाज हो जाता है, लेकिन कुछ मामलों में डायरिया की वजह से हॉस्पिटल में भर्ती होने की नौबत आ सकती है।
इसके खतरनाक स्तर पर पहुंचने के बाद मरीज को तेजी बुखार, सिरदर्द, थकान, पेशाब में खून तक आता है। यह बीमारी बच्चे, व्यस्क या बूढ़ों को हो सकता है, जिनकी रोग प्रतिरोधाक क्षमता यानी इम्यून सिस्टम कमजोर होता है।
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