रिहायशी, सर्विस स्टेशनों समेत कामर्शियल प्रतिष्ठानों में हो रही पानी की बर्बादी पर चिंता जाहिर करते हुए बीते दिन एक भाजपा पार्षद राजेंद्र त्यागी ने एनजीटी में याचिका दायर की थी। पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय से पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 3 और 5 के तहत दिशा निर्देश मांगे थे। साथ ही पानी की बर्बादी को अपराध घोषित करने की मांग की थी।
इस मामले में एनजीटी ने जल शक्ति मंत्रालय और दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) से तथ्यात्मक जानकारी और कार्रवाई रिपोर्ट एक माह में तलब की है। अब 23 अगस्त को इस मामले में सुनवाई होगी। गाजियाबाद के वार्ड-84 के पार्षद राजेंद्र त्यागी ने नीति आयोग के कंपोजिट वाटर रिसोर्सेज मैनेजमेंट इंडेक्स को आधार बनाकर एनजीटी में दायर याचिका की थी।
उसमें रिहायशी, सर्विस स्टेशनों समेत कामर्शियल प्रतिष्ठानों में हो रही पानी की बर्बादी को लेकर चिंता जाहिर की थी। कहा था कि इसे रोकने के लिए कोई प्रयास नहीं किया जा रहा। पूरे देश में चार करोड़ 84 लाख 20 हजार घन मीटर पानी की रोजाना बर्बादी हो रही है। 16.30 करोड़ लोग पानी से वंचित हैं। 60 करोड़ लोग जल संकट का सामना कर रहे हैं। एनजीटी को बताया कि गाजियाबाद समेत देश के 21 शहरों में पेयजल की स्थिति बेहद खराब है। यह भी बताया कि 2025 तक देश में पानी की मांग 40 बिलियन घन मीटर से बढ़कर 220 बिलियन घन मीटर होने की संभावना है। याचिका में उन्होंने पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय से पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 3 और 5 के तहत दिशा निर्देश मांगे थे। साथ ही पानी की बर्बादी को अपराध घोषित करने की मांग की थी।
इस मामले में एनजीटी ने जल शक्ति मंत्रालय और दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) से तथ्यात्मक जानकारी और कार्रवाई रिपोर्ट एक माह में मांगी तलब की है। याचिकाकर्ता को आदेश दिया है कि वह जल शक्ति मंत्रालय और डीजेबी को एक सप्ताह में सभी दस्तावेज मुहैया कराए।
व्हाट्सएप के माध्यम से हमारी खबरें प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
हमारा न्यूज़ चैनल सबस्क्राइब करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
Follow us on Facebook http://facebook.com/HamaraGhaziabad
Follow us on Twitter http://twitter.com/HamaraGhaziabad