साउथ के जाने माने अभिनेता विशाल ने सेंसर बोर्ड पर गंभीर आरोप लगाए हैं। अभिनेता ने दावा किया है कि मुंबई सेंसर बोर्ड के दफ्तर के अधिकारियों ने उनसे उनकी फिल्म मार्क एंटनी के हिंदी वर्जन के सर्टिफिकेशन और स्क्रीनिंग के लिए लाखों रुपये की रिश्वत ली है। इस खबर के बाद सिनेमा जगत में काफी हस-चल मच गई है। विशाल के आरोपों पर केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने कार्रवाई के आदेश दिए हैं।
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि केंद्रीय बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन पर भ्रष्टाचार के आरोप काफी गंभीर हैं. उन्होंने कहा कि अभिनेता विशाल ने जो भी आरोप लगाए हैं, वे दुर्भाग्यपूर्ण हैं। अनुराग ठाकुर ने कहा कि अभिनेता के आरोपों की जांच के लिए हमने सूचना एवं प्रसारण विभाग से एक विशेष अधिकारी को मुंबई भेजा है और वे इस मामले की गंभीरता और व्यापकता से जांच करेंगे। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सीबीएफसी को लेकर अगर किसी को और भी कोई शिकायत है, तो वे इसकी सूचना प्रदान कर सकते हैं, ताकि पूरे तंत्र में सुधार हो सके. उन्होंने कहा कि आप चाहें तो इसकी शिकायत जे [email protected] पर भी मेल सकते हैं। दरअसल सीबीएफसी सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन काम करता है। यह फिल्मों की समीक्षा करने के बाद उसे सर्टिफिकेट प्रदान करता है। विभाग टीवी सीरियल, टीवी एड और अन्य विजुअल सामग्रियों की भी समीक्षा करता है।
वहीं साउथ एक्टर विशाल ने बताया कि उन्हें अपनी हालिया फिल्म ‘मार्क एंटनी’ के हिंदी वर्जन को पास करवाने के 6.5 लाख रुपये घूस देनी पड़ी थी। एक्टर का कहना है कि मुंबई ऑफिस वालों ने उनके पास कोई चारा नहीं छोड़ा था। उन्होंने कहा, ‘पर्दे पर क्रप्शन जैसा मुद्दा दिखाना ठीक है, मगर असल जिंदगी में ये सही नहीं है। ये हजम नहीं होता है। वो भी तब जब सरकारी अफसर हो। मगर CBFC मुंबई ऑफिस में ऐसा ही हो रहा है। मुझे भी मार्क एंटनी फिल्म के हिंदी वर्जन को पास कराने के लिए 6.5 लाख रुपये देने पड़े।’
विशाल ने फिल्म पास करवाने के लिए 6 लाख रुपये
एक्टर ने बताया कि उन्होंने ये पैसा दो ट्रांजेक्शन में दिए। पहला तीन लाख रुपये और फिर साढ़े तीन लाख रुपये सेंसर बोर्ड के अधिकारी को पे किए थे। वीडियो जारी करके एक्टर ने ये भी कहा कि सेंसर बोर्ड ने उनके पास कोई चारा नहीं छोड़ा था। वह अपनी फिल्म पर सबकुछ लगा चुके थे। उनके लिए हिंदी वर्जन में भी इस फिल्म को रिलीज करना बहुत जरूरी था। विशाल वीडियो में कहते हैं, ‘हमने फिल्म सर्टिफिकेशन के लिए सेंसर बोर्ड में एप्लाई किया। मगर आखिरी मिनट पर हमारी फिल्म को पास करने से मना कर दिया गया। मेरा मैनेजर खुद वहां पर मौजूद थे। वहां के अधिकारियों ने साढ़े छह लाख रुपये की डिमांड की। एक महिला अधिकारी थीं, जिन्होंने बताया कि पैसे तो देने होंगे। हमारे पास उन्होंने कोई ऑप्शन नहीं छोड़ा तो मैंने ऑनलाइन पैसे ट्रांसफर किए। मैंने मैनेजर को साफ कह दिया था कि हम इन्हें कैश में तो पैसा नहीं देंगे। लेकिन ये कमाई हमारी मेहनत की थी। जो कि ऐसे घूस में बर्बाद हो गई।’
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