पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने एक निर्णायक कदम उठाते हुए सिंधु जल समझौते को स्थगित कर दिया है। यह वही संधि है, जिसे भारत और पाकिस्तान ने तीन युद्धों के बावजूद भी बरकरार रखा था। भारत के इस फैसले ने पाकिस्तान में हलचल मचा दी है क्योंकि देश की खेती, पीने का पानी और बिजली उत्पादन – तीनों की रीढ़ सिंधु नदी प्रणाली है।
सिंधु जल प्रणाली: पाकिस्तान की जीवनरेखा पाकिस्तान हर साल सिंधु प्रणाली से लगभग 133 मिलियन एकड़ फीट (MAF) पानी प्राप्त करता है। यह जल देश की:
90% सिंचाई,
30-50% बिजली उत्पादन,
और पेयजल जरूरतों को पूरा करता है।
भारत की ओर से इस जल आपूर्ति पर रोक लगाना पाकिस्तान के लिए तीहरा संकट साबित हो सकता है – खेती, बिजली और उद्योग तीनों को गहरा झटका लग सकता है।
खेती पर गहराता संकट पाकिस्तान की 4.7 करोड़ एकड़ कृषि भूमि सिंधु जल पर निर्भर है। यहां की कृषि:
GDP का 23% योगदान देती है,
और 68% ग्रामीण आबादी की आजीविका इससे जुड़ी है।
जल आपूर्ति में कमी का मतलब है फसलें सूखना, भूख और बेरोजगारी में इज़ाफा, और ग्रामीण अस्थिरता का विस्तार। यह संकट खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ सामाजिक व्यवस्था को भी प्रभावित कर सकता है।
बिजली और उद्योग पर तगड़ा असर सिंधु जल पर आधारित मंगला और तर्बेला डैम पाकिस्तान की ऊर्जा जरूरतों का लगभग 50% पूरा करते हैं। यदि भारत जल प्रवाह रोकता है:
बिजली उत्पादन में भारी गिरावट आएगी,
औद्योगिक उत्पादन ठप हो सकता है,
नौकरीपेशा वर्ग प्रभावित होगा,
और महंगाई आसमान छू सकती है।
सिंचाई व्यवस्था मजबूत, लेकिन निर्भरता खतरनाक पाकिस्तान की सिंचाई प्रणाली दुनिया की सबसे बड़ी एकीकृत प्रणाली मानी जाती है। इसमें शामिल हैं:
3 प्रमुख जलाशय,
19 बैराज,
12 इंटर-रिवर लिंक नहरें,
45 स्वतंत्र नहरें,
और 1.22 लाख वॉटर कोर्स।
हालांकि, देश की जल भंडारण क्षमता सिर्फ 30 दिन की है, जो कि वैश्विक औसत 120 दिन से काफी कम है।
भूजल और वर्षा: दो अस्थिर विकल्प पाकिस्तान का खेती के लिए सबसे अधिक इस्तेमाल भूजल का होता है। लेकिन:
अत्यधिक दोहन से जलस्तर गिर रहा है,
और पानी में नमक की मात्रा खतरनाक स्तर तक बढ़ रही है।
बारिश भी एक स्रोत है, लेकिन मौसमी और क्षेत्रीय असमानता इसे अविश्वसनीय बनाती है।
पानी की कमी: भविष्य नहीं, वर्तमान की हकीकत पाकिस्तान की प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता:
1950 में थी 5,000 घन मीटर,
अब घटकर रह गई है सिर्फ 1,017 घन मीटर – जो कि वैश्विक जल संकट सीमा (1,000 घन मीटर) के बेहद करीब है।
2025 तक देश को 338 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी की जरूरत होगी, लेकिन उपलब्धता 238 BCM तक ही सीमित रह सकती है। यानी जल संकट अब सिर्फ चेतावनी नहीं, बल्कि वर्तमान की कड़वी सच्चाई है।
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