पढ़िए बीबीसी न्यूज़ हिंदी की ये खबर…
15 जून 2004 को अहमदाबाद के नज़दीक हुए इशरत जहां एनकाउंटर मामले में बुधवार को सीबीआई की विशेष अदालत ने अंतिम तीन अभियुक्तों को भी बरी कर दिया.
इस फ़ैसले को अब इशरत जहां की मां शमीमा कौसर कोर्ट में चुनौती देंगी. शमीमा कौसर की वकील वृंदा ग्रोवर ने इसकी पुष्टि बीबीसी से की है.
बुधवार को विशेष सीबीआई अदालत के जज वीआर रावल ने गुजरात पुलिस के तीन अफ़सर जीएल सिंघल, तरुण बरोट और अनजु चौधरी को रिहा करने का आदेश दिया.
गुजरात सरकार ने सीबीआई को इन तीनों अभियुक्तों पर मुक़दमा चलाने की अनुमति नहीं दी थी जिसके बाद रिटायर्ड पुलिस अफ़सर तरुण बरोट समेत तीनों ने डिस्चार्ज एप्लिकेशन जमा की थी.
इसके बाद अदालत ने उनकी इस याचिका को स्वीकार करते हुए उनको इस मामले में बरी कर दिया. अब इस मामले में कोई अभियुक्त नहीं है जिसके बाद आगे इसमें ट्रायल नहीं होगा.
अब आगे क्या होगा?
इशरत जहां की मां शमीमा कौसर की वकील वृंदा ग्रोवार ने बीबीसी संवाददाता चिंकी सिन्हा से कहा है कि सीबीआई अदालत का आदेश फ़र्ज़ी एनकाउंटर और मुक़दमा शुरू करने से पहले अनुमति लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्धारित क़ानून का उल्लंघन है.
ग्रोवर ने कहा, “सीआरपीसी की धारा 197 के अनुसार, किसी सरकारी कर्चमारी के ख़िलाफ़ मुक़दमा शुरू करने से पहले अनुमति लेने की क़ानूनी सुरक्षा इस मामले में नहीं लागू होती है क्योंकि सीबीआई की कड़ी जांच के बाद पाया गया कि यह एक रची गई मुठभेड़ थी.
मृतक इशरत का अपहरण किया गया, दो दिन तक अवैध तरीक़े से हिरासत में रखा गया और फिर जान से मार दिया गया था. सीबीआई ने जिन गवाहों और फ़ॉरेंसिक और वैज्ञानिक सबूतों को इकट्ठा किया है वे इसकी पुष्टि करते हैं.”
“रिकॉर्ड में मौजूद सभी सबूतों को दरकिनार करते हुए सीबीआई अदालत को गुजरात सरकार ने जो अपना विवरण पेश किया है उस पर भरोसा जताया गया है. शुरुआत से लेकर आख़िर तक कोर्ट के बाहर और अंदर गुजरात सरकार ने गुजरात पुलिस के आरोपियों का बचाव किया है.”
वृंदा ग्रोवर ने कहा कि इशरत जहां के किसी भी आतंकी गतिविधि से संबंधों के कोई सबूत नहीं हैं.
उन्होंने कहा, “गुजरात पुलिस के कर्मचारियों को रिहा करने का आदेश इस एनकाउंटर को वाजिब ठहराता है. इसका मतलब यह समझा जाना चाहिए कि जिसको राज्य अपना दुश्मन या अपराधी मान लेता है उसे मारा जा सकता है और इससे हम सभी को चिंतित होना चाहिए. शमीमा कौसर रिहाई के इस आदेश को चुनौती देंगी.”
क्या है पूरा मामला?
17 साल पहले हुए एनकाउंटर में कई सवाल अब भी बरक़रार हैं कि इस मामले में अभियुक्त पुलिसकर्मी बिना ट्रायल के कैसे रिहा होते चले गए. ये ‘रिहाई’ कई सालों से चली आ रही है, जिसमें हालिया रिहाई 31 मार्च 2021 को हुई है.
यह मामला साल 2004 का है, जब गुजरात पुलिस ने दावा किया था कि एक एनकाउंटर में उसने चार ‘आतंकियों’ को मार दिया है. ये लोग थे जावेद शेख़ उर्फ़ प्रणेश पिल्लै, अमजद अली अकबर अली राणा, ज़ीशान जौहर और 19 वर्षीय इशरत जहां.
इशरत जहां मुंबई में मुंब्रा की रहने वाली थीं. गुजरात पुलिस का आरोप था कि ये सभी गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की योजना बना रहे थे.
Discussion about this post