देशभर में बहुचर्चित वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को लेकर जारी विवाद अब सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे तक पहुंच चुका है। इस अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज बुधवार दोपहर 2 बजे सर्वोच्च न्यायालय में महत्वपूर्ण सुनवाई होनी है। इस मुद्दे ने राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक हलकों में गहरी दिलचस्पी और चिंता दोनों को जन्म दिया है।
किन धाराओं को दी गई है चुनौती? वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 की कई धाराओं को संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), अनुच्छेद 25 (धार्मिक स्वतंत्रता) और अनुच्छेद 26 (धार्मिक संस्थाओं का प्रबंधन) का उल्लंघन बताया गया है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह अधिनियम धार्मिक स्वतंत्रता और प्रॉपर्टी राइट्स पर अनुचित प्रतिबंध लगाता है।
कौन-कौन याचिकाकर्ता हैं? सुप्रीम कोर्ट में अब तक 10 से अधिक याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं। इन याचिकाओं में शामिल हैं:
एसोसिएशन फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी
दारुल उलूम देवबंद से जुड़े अरशद मदनी
राजद नेता मनोज कुमार झा
समस्त केरल जमीयतुल उलेमा
अन्य कई सामाजिक कार्यकर्ता और संस्थाएं।
इसके अलावा टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा, सपा सांसद जिया-उर-रहमान बर्क, वाईएसआरसीपी, सीपीआई, और अभिनेता से नेता बने विजय ने भी इस अधिनियम के खिलाफ याचिका दायर की है, जिन्हें जल्द ही सूचीबद्ध किया जाएगा।
कानून के समर्थन में भी खड़े हुए हैं कई राज्य जहां एक ओर अधिनियम का विरोध हो रहा है, वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, हरियाणा, असम, राजस्थान और महाराष्ट्र जैसे राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप याचिका दाखिल कर वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 का जोरदार समर्थन किया है।
राजस्थान सरकार ने अपनी अर्जी में कहा है कि यह अधिनियम न केवल संवैधानिक रूप से मजबूत और पारदर्शी है, बल्कि यह धार्मिक बंदोबस्त और आम जनता दोनों के हितों की रक्षा करता है। वहीं, उत्तराखंड वक्फ बोर्ड ने भी इस अधिनियम के पक्ष में ओवैसी की याचिका में हस्तक्षेप की अनुमति मांगी है।
क्या कहा अदालत ने? मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और केवी विश्वनाथन की तीन-न्यायाधीशों वाली पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। मंगलवार को अदालत ने याचिकाकर्ता अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन की इस दलील पर विचार किया कि मामले में एक नई याचिका दायर की गई है, जिसे भी जल्द सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए।
सीजेआई खन्ना ने कहा, “जिन मामलों में उल्लेख पर्चियां दी जाती हैं, हम उनमें से अधिकतर को एक सप्ताह के भीतर सूचीबद्ध कर देते हैं।”
क्या है आगे का रास्ता? इस मामले की सुनवाई से यह तय होगा कि क्या वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 भारतीय संविधान की कसौटी पर खरा उतरता है या नहीं। अगर कोर्ट ने किसी भी धारा को असंवैधानिक माना, तो यह सरकार के लिए बड़ा झटका हो सकता है। वहीं अगर अदालत अधिनियम को वैध ठहराती है, तो यह धार्मिक बंदोबस्त के नियमन में एक नया अध्याय होगा।
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