पहलगाम आतंकी हमले के बाद एक बार फिर से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। लेकिन यह कोई नई बात नहीं है। इससे पहले भी पाकिस्तान की नापाक हरकतों के कारण दोनों देशों के बीच कई बार युद्ध छिड़े हैं — और हर बार भारत ने विजय प्राप्त की है। आइए जानते हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच कब-कब युद्ध हुए, उनके कारण क्या थे और परिणाम क्या रहा।
1947-48: पहला भारत-पाक युद्ध — कश्मीर पर टकराव 1947 में भारत की आजादी के बाद पाकिस्तान अस्तित्व में आया। शुरुआत से ही पाकिस्तान की नीयत कश्मीर को लेकर संदेहास्पद रही। अक्टूबर 1947 में पाकिस्तान समर्थित कबायली घुसपैठियों ने कश्मीर पर हमला कर दिया। तत्कालीन महाराजा हरि सिंह ने भारत से सहायता मांगी और जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय कर दिया।
भारतीय सेना ने आक्रमणकारियों को पीछे धकेला, लेकिन मामला संयुक्त राष्ट्र तक पहुँच गया। 1 जनवरी 1949 को युद्धविराम घोषित हुआ। जम्मू-कश्मीर का लगभग दो-तिहाई हिस्सा भारत के नियंत्रण में रहा, जबकि गिलगित, बाल्टिस्तान और तथाकथित ‘आज़ाद कश्मीर’ पाकिस्तान के कब्जे में चला गया।
1965: दूसरा भारत-पाक युद्ध — ऑपरेशन जिब्राल्टर की नाकामी 1947 की हार से बौखलाए पाकिस्तान ने 1965 में फिर से कश्मीर में घुसपैठ करने की कोशिश की। ‘ऑपरेशन जिब्राल्टर’ के तहत पाकिस्तानी सैनिकों ने स्थानीय विद्रोह भड़काने का प्रयास किया, लेकिन भारतीय सेना ने जोरदार पलटवार करते हुए पाकिस्तान को करारा जवाब दिया।
17 दिन तक चले इस युद्ध में बड़े पैमाने पर टैंक और हथियारों का इस्तेमाल हुआ। अंततः, दोनों देशों ने युद्धविराम पर सहमति जताई, लेकिन सैन्य दृष्टि से भारत की स्थिति मजबूत रही।
1971: तीसरा युद्ध — बांग्लादेश का जन्म 1971 में पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में राजनीतिक अस्थिरता और अत्याचारों के चलते विद्रोह फूटा। लाखों शरणार्थी भारत में आए, जिससे हालात गंभीर हो गए। भारत ने बांग्लादेश की आज़ादी के संघर्ष का समर्थन किया।
दिसंबर 1971 में भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ गया। भारतीय सेना ने पाकिस्तान को हर मोर्चे पर मात दी। 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान के 93,000 से अधिक सैनिकों ने आत्मसमर्पण कर दिया और बांग्लादेश एक स्वतंत्र राष्ट्र बन गया। यह इतिहास में सबसे बड़े आत्मसमर्पणों में से एक था।
1999: कारगिल युद्ध — धोखे का जवाब 1999 में पाकिस्तान ने एक बार फिर कश्मीर के कारगिल सेक्टर में नियंत्रण रेखा पार कर घुसपैठ की। ऊंची पहाड़ियों पर कब्जा करने के पाकिस्तानी प्रयास को भारतीय सैनिकों ने अदम्य साहस और रणनीति से विफल कर दिया।
भारत ने न सिर्फ सैन्य मोर्चे पर जीत दर्ज की बल्कि वैश्विक स्तर पर भी पाकिस्तान को अलग-थलग कर दिया। अमेरिका सहित अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने पाकिस्तान पर दबाव डाला और अंततः पाकिस्तान को पीछे हटना पड़ा। इस युद्ध में पाकिस्तान को भारी क्षति उठानी पड़ी थी।
भारत की अडिग नीति और पाकिस्तान की विफलताएं हर बार पाकिस्तान की ओर से भारत के खिलाफ उकसावे की कार्रवाई हुई और हर बार भारत ने न सिर्फ अपने संप्रभुता की रक्षा की, बल्कि पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी शर्मिंदगी झेलनी पड़ी। चाहे 1947 हो, 1965, 1971 या 1999 — हर युद्ध भारत की रणनीतिक, सैन्य और कूटनीतिक श्रेष्ठता का प्रमाण रहा है।
आज भी हालात बदलते नहीं दिखते, लेकिन भारत की नीति स्पष्ट है — देश की एकता, अखंडता और सम्मान के साथ कोई समझौता नहीं।
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