बाल तस्करी पर सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख: यूपी सरकार की लापरवाही पर जताई गहरी नाराजगी

देश की सर्वोच्च अदालत ने एक बार फिर बच्चों के अधिकारों की रक्षा को सर्वोपरि मानते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को आड़े हाथों लिया है। बाल तस्करी जैसे संवेदनशील मुद्दे पर ढुलमुल रवैये और अभियुक्तों के खिलाफ कमजोर कार्रवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। मंगलवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि बच्चों की तस्करी को लेकर किसी भी प्रकार की लापरवाही अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार की भूमिका पर गहरा असंतोष व्यक्त करते हुए कहा, “ऐसा प्रतीत होता है कि आरोपी को बेटा चाहिए था, और उसने 4 लाख रुपये देकर उसे हासिल कर लिया। राज्य सरकार की तरफ से न तो कोई अपील की गई, न ही मामले को गंभीरता से लिया गया।”
जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि यह केवल अग्रिम जमानत निरस्तीकरण का मामला नहीं है, बल्कि इसके पीछे बाल तस्करी का गहरा और भयावह सच छिपा है। अदालत ने चेतावनी दी कि इस तरह की घटनाओं में लिप्त किसी भी अस्पताल का लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाना चाहिए।
सभी राज्यों के लिए निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने इस गंभीर विषय पर सभी राज्य सरकारों को विस्तृत दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा कि:
राज्य सरकारें भारतीय विकास संस्थान की रिपोर्ट का अध्ययन करें और सिफारिशों को जल्द लागू करें।
देश भर के हाई कोर्टों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बाल तस्करी से जुड़े मुकदमे 6 महीने के भीतर निपटाए जाएं और रोजाना सुनवाई की जाए।
किसी भी प्रकार की ढिलाई को अदालत अवमानना मानेगी।
रिपोर्ट पर कार्रवाई और अगला कदम
कोर्ट ने 21 अप्रैल, 2023 को एक अंग्रेजी अखबार में प्रकाशित रिपोर्ट को भी रिकॉर्ड में लिया और दिल्ली तथा अन्य राज्यों में सक्रिय तस्करी गिरोहों के खिलाफ अब तक की कार्रवाई पर रिपोर्ट मांगी। अदालत ने पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे विस्तृत स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करें।
माता-पिता के लिए चेतावनी
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि, “जब कोई बच्चा मर जाता है, तो वह भगवान के पास चला जाता है, लेकिन जब वह तस्करी का शिकार होता है, तो वह निर्दयी गिरोहों की दया पर होता है।” माता-पिता को सतर्क रहने की अपील करते हुए कोर्ट ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा केवल सरकार नहीं, बल्कि समाज और अभिभावकों की भी जिम्मेदारी है।
एनएचआरसी और बाल तस्करी पर रिपोर्ट
2023 में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने भारतीय विकास संस्थान को बाल तस्करी पर एक गहन अध्ययन सौंपा था। इस अध्ययन की रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय का हिस्सा बनाते हुए इसे लागू करने की सिफारिश की है। यह रिपोर्ट बाल तस्करी रोकने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।
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