गुजरात के अहमदाबाद में साबरमती नदी के तट पर आयोजित कांग्रेस के दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। अपने जोशीले भाषण में खरगे ने लोकतंत्र, चुनाव प्रक्रिया, अमेरिकी टैरिफ, वक्फ अधिनियम संशोधन और संविधानिक मूल्यों के उल्लंघन जैसे अहम मुद्दों को उठाया और सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए।
ईवीएम पर सवाल और बैलेट पेपर की मांग खरगे ने सबसे पहले चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि आज देश की चुनावी संस्थाएं निष्पक्षता खो चुकी हैं। उन्होंने दावा किया कि “सरकार हर जगह दखल दे रही है, और चुनावों में घोटाले किए जा रहे हैं।”
उन्होंने ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) को लेकर गहरी आशंका जताई और कहा कि आज दुनिया के अधिकांश विकसित देश ईवीएम को त्याग चुके हैं और बैलेट पेपर की ओर लौट गए हैं। “हमारे देश में 140 करोड़ लोग लोकतंत्र में विश्वास करते हैं। आने वाले समय में युवा यह आवाज उठाएंगे—हमें ईवीएम नहीं, बैलेट पेपर चाहिए,” उन्होंने कहा।
महाराष्ट्र और हरियाणा चुनाव में धांधली का आरोप कांग्रेस अध्यक्ष ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का उदाहरण देते हुए कहा कि भाजपा ने “धोखाधड़ी करके” वहां सत्ता प्राप्त की। उन्होंने दावा किया कि चुनावों के बीच में ही राज्य में 50 लाख नए वोट जुड़ गए, जो दर्शाता है कि मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है। खरगे ने कहा, “यह चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।”
लोकतंत्र और संविधान पर हमला खरगे ने आरोप लगाया कि पिछले 11 वर्षों में भाजपा सरकार ने लगातार संविधान और लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर किया है। उन्होंने कहा, “बजट सत्र के दौरान लोकतांत्रिक परंपराओं को दरकिनार कर दिया गया।” राहुल गांधी को संसद में बोलने का मौका नहीं दिया गया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार विपक्ष की आवाज दबा रही है।
अमेरिकी टैरिफ और वक्फ अधिनियम पर सरकार की चुप्पी खरगे ने अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 26% टैरिफ का मुद्दा उठाया और कहा कि सरकार ने इस विषय पर संसद में कोई चर्चा नहीं होने दी। उन्होंने यह भी कहा कि जनता से जुड़े असल मुद्दों को छोड़कर सरकार धार्मिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देने में लगी है।
वक्फ अधिनियम संशोधन को लेकर उन्होंने सरकार की मंशा पर सवाल उठाए और कहा, “जब देश मणिपुर जैसे संवेदनशील मुद्दों से जूझ रहा था, तब सरकार रात के अंधेरे में वक्फ कानून पर बहस कर रही थी।”
“आज़ादी की दूसरी लड़ाई” का ऐलान अपने संबोधन के अंत में खरगे ने एक जोरदार संदेश दिया:
“हम आज़ादी की दूसरी लड़ाई लड़ रहे हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि पहले सांप्रदायिकता से विदेशियों को फायदा होता था, अब सरकार को हो रहा है।”
उन्होंने आरोप लगाया कि देश की संपत्तियों को बेचकर सरकार कुछ पूंजीपतियों को लाभ पहुँचा रही है और आर्थिक एकाधिकार को बढ़ावा दे रही है।
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