जामा मस्जिद सर्वे विवाद को लेकर 24 नवंबर 2024 को हुए बवाल की जांच एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है। समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद जियाउर्रहमान बर्क मंगलवार को संभल के नखासा थाना पहुंचे, जहां विशेष जांच दल (SIT) उनसे पूछताछ कर रही है। यह वही मामला है जिसमें हिंसा भड़काने का गंभीर आरोप उन पर दर्ज है।
12 अधिवक्ताओं के साथ पहुंचे सांसद, जांच में सहयोग की बात थाने पहुंचने से पहले सांसद बर्क ने अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है, फिर भी वह कानून का सम्मान करते हुए जांच में सहयोग के लिए उपस्थित हुए हैं। उन्होंने बताया कि हाई कोर्ट ने उन्हें गिरफ्तारी से अंतरिम राहत (स्थगनादेश) दी है, साथ ही जांच में पूरा सहयोग करने का निर्देश भी। सांसद ने कहा कि वह अदालत के हर आदेश का पालन कर रहे हैं।
पूछे गए सवाल: कहां थे, क्यों गए, किससे की बात? SIT ने सांसद से कई अहम सवाल किए:
24 नवंबर को वह कहां थे?
क्या वह शहर से बाहर गए थे? यदि हां, तो क्यों?
हिंसा से पहले और बाद में जामा मस्जिद के सदर जफर अली से फोन पर क्या बातचीत हुई?
उन्होंने पीआरओ के नंबर से कॉल क्यों कराई?
इन सवालों के जरिए एसआईटी इस बात की तह में जाना चाहती है कि हिंसा की योजना में किसी तरह की भूमिका तो नहीं थी।
25 मार्च की रात दिल्ली निवास पर नोटिस गौरतलब है कि पुलिस ने 25 मार्च की रात उनके दिल्ली स्थित आवास पर नोटिस चस्पा किया था, जिसमें 8 अप्रैल को जांच में उपस्थित होने के लिए कहा गया था। इसके बाद आज की यह पेशी सुनिश्चित हुई है।
वकीलों को थाने में प्रवेश नहीं मिला सांसद के साथ पहुंचे 12 वकीलों को थाना परिसर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई। पुलिस का कहना है कि जांच प्रक्रिया को प्रभावित होने से रोकने के लिए यह फैसला लिया गया है।
हिंसा का पृष्ठभूमि 24 नवंबर को जामा मस्जिद के सर्वे के विरोध में हुए प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया था। कई वाहन क्षतिग्रस्त हुए, आगजनी हुई और पुलिस पर पथराव किया गया। इस मामले में कई एफआईआर दर्ज हुई हैं, जिनमें एक एफआईआर सांसद बर्क के खिलाफ भी है।
क्या कहता है कानून? इस मामले में सांसद के खिलाफ धारा 147, 148, 149, 153ए, 295ए, 505 जैसी गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज है। यदि आरोप सिद्ध होते हैं तो यह एक बड़ा राजनीतिक और कानूनी झटका हो सकता है।
राजनीतिक माहौल गर्माया इस मामले ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है। विपक्ष इसे सत्ता द्वारा विपक्षी नेताओं को परेशान करने का प्रयास बता रहा है, जबकि प्रशासन कानून व्यवस्था बनाए रखने की बात कर रहा है।
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