सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी: झारखंड सरकार को सीमित बिजली कटौती की इजाज़त

सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार को एक अहम राहत देते हुए शुक्रवार को रामनवमी जैसे त्योहारों के दौरान शोभायात्रा मार्गों पर सीमित अवधि के लिए बिजली आपूर्ति बंद करने की अनुमति दे दी है। यह फैसला करंट लगने की घटनाओं से बचाव के लिए लिया गया है, जो अक्सर धार्मिक जुलूसों में ऊंचे झंडों या ध्वजों के बिजली के तारों से टकराने के कारण होती हैं।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के अवकाश पर रहने के चलते यह मामला न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष आया। कोर्ट ने झारखंड हाई कोर्ट के उस फैसले को संशोधित कर दिया जिसमें राज्य प्राधिकरणों को बिजली आपूर्ति में कोई कटौती न करने का निर्देश दिया गया था।
दो दशक से चली आ रही परंपरा को मिला समर्थन
झारखंड सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि पिछले बीस वर्षों से रामनवमी और सरहुल जैसे त्योहारों के दौरान एहतियात के तौर पर बिजली की आपूर्ति को अस्थायी रूप से रोका जाता रहा है। इसका मकसद जुलूस के दौरान होने वाली दुर्घटनाओं को टालना है।
सिब्बल ने एक पुराना उदाहरण देते हुए बताया कि वर्ष 2000 में बिजली के तार से संपर्क में आने से 29 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी। इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए प्रशासन को बिजली बंद करने जैसा कठोर कदम उठाना पड़ता है।
कोर्ट की सख्त शर्तें और जनता की सहूलियत का ख्याल
सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार को यह भी स्पष्ट रूप से निर्देश दिया है कि बिजली की कटौती केवल उन्हीं मार्गों पर की जाए जहां से शोभायात्रा गुजरती है, और वह भी न्यूनतम समय के लिए। इसके अलावा, अस्पतालों और आवश्यक सेवाओं की बिजली आपूर्ति किसी भी स्थिति में बाधित नहीं होनी चाहिए।
कोर्ट ने झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड को आदेश दिया है कि वह हाई कोर्ट में हलफनामा दाखिल करे, जिसमें यह सुनिश्चित किया जाए कि बिजली कटौती सीमित समय के लिए ही की जाएगी और आपात सेवाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
हाई कोर्ट की चिंताएं और संतुलन की आवश्यकता
गौरतलब है कि झारखंड हाई कोर्ट ने पहले राज्य सरकार को त्योहारों के दौरान 10-10 घंटे की बिजली कटौती से रोक दिया था। कोर्ट ने कहा था कि गर्मी के मौसम में इस तरह की लंबी बिजली कटौती से बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं को भारी परेशानी होती है। साथ ही छात्रों की पढ़ाई और व्यापारियों की बिक्री पर भी इसका नकारात्मक असर पड़ता है।
हाई कोर्ट ने यह भी सुझाव दिया था कि जुलूस में शामिल लोग अपने झंडों की ऊंचाई का ध्यान रखें, ताकि वे बिजली के तारों या खंभों से न टकराएं और किसी भी प्रकार की दुर्घटना से बचा जा सके।
रामनवमी के अवसर पर संतुलन की कोशिश
रामनवमी, जो इस वर्ष 6 अप्रैल को मनाई जाएगी, के मद्देनज़र सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला राज्य सरकार के लिए राहत लेकर आया है। अब प्रशासन सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जरूरी तकनीकी उपाय कर सकेगा, वहीं आम जनता को अनावश्यक असुविधा से भी बचाया जा सकेगा।
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