अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस समर्थित ओपन सोसाइटी फाउंडेशन पर ईडी की छापेमारी

बेंगलुरु में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस समर्थित ओपन सोसाइटी फाउंडेशन (ओएसएफ) और उससे जुड़ी कुछ अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के ठिकानों पर छापेमारी की है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, यह कार्रवाई विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के उल्लंघन की जांच के तहत की गई है। मंगलवार को हुई इस छापेमारी में ईडी ने ओएसएफ और कुछ अन्य मानवाधिकार संगठनों के परिसरों की तलाशी ली।
क्या है पूरा मामला?
सूत्रों के मुताबिक, ओपन सोसाइटी फाउंडेशन (ओएसएफ) ने भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्राप्त किया था, जिसका उपयोग कथित रूप से फेमा दिशानिर्देशों का उल्लंघन करके किया गया। जांच एजेंसी यह पता लगाने का प्रयास कर रही है कि इन फंड्स का प्रयोग किस प्रकार किया गया और क्या इसमें किसी प्रकार की अनियमितता हुई।
ईडी की इस कार्रवाई पर अभी तक ओएसएफ की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब जॉर्ज सोरोस और उनके संगठनों का नाम भारत में विवादों में आया हो।
कौन हैं जॉर्ज सोरोस?
ज्योजी श्वार्ट्ज उर्फ जॉर्ज सोरोस हंगरी मूल के अमेरिकी कारोबारी हैं, जो वैश्विक वित्तीय बाजारों में अपनी गतिविधियों के लिए जाने जाते हैं। वे 1970 में स्थापित अपनी कंपनी “सोरोस फंड मैनेजमेंट” के जरिए भारी मुनाफा कमाने के लिए मशहूर हैं। 1992 में ब्रिटिश पाउंड के खिलाफ दांव लगाकर उन्होंने एक ही दिन में 1 बिलियन डॉलर से अधिक की कमाई की थी, जिससे उन्हें “बैंक ऑफ इंग्लैंड को बर्बाद करने वाला व्यक्ति” कहा जाने लगा।
भारत में जॉर्ज सोरोस और उनके संगठनों की भूमिका
भारत में ओएसएफ ने 1999 में अपने संचालन की शुरुआत की थी। हालांकि, इस संगठन पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) समेत कई सत्तारूढ़ दलों ने भारत विरोधी गतिविधियों में संलिप्त होने के आरोप लगाए हैं। जनवरी 2023 में जब अडानी ग्रुप के शेयरों में हिंडनबर्ग रिपोर्ट के कारण भारी गिरावट आई थी, तब जॉर्ज सोरोस के बयानों ने विवाद खड़ा कर दिया था। भाजपा ने उनके इस बयान को भारत के खिलाफ साजिश बताया था।
जॉर्ज सोरोस पर क्या हैं आरोप?
जॉर्ज सोरोस को न केवल एक कुशल फाइनेंसर माना जाता है, बल्कि उन्हें कई अर्थव्यवस्थाओं को अस्थिर करने के लिए भी जाना जाता है। भारत समेत कई देशों में उनकी नीतियों की आलोचना होती रही है। उनके समर्थित संगठनों पर यह आरोप लगता रहा है कि वे सरकारों को प्रभावित करने और स्थानीय राजनीति में हस्तक्षेप करने का प्रयास करते हैं।
ईडी की कार्रवाई के मायने
भारत में विदेशी फंडिंग को लेकर सरकार पहले से ही सख्त रवैया अपनाए हुए है। कई अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) पर विदेशी फंडिंग के गलत इस्तेमाल के आरोप लग चुके हैं। ईडी की यह कार्रवाई भी इसी दिशा में एक कदम मानी जा रही है। यदि जांच में किसी तरह का उल्लंघन पाया जाता है, तो ओएसएफ और अन्य संबंधित संस्थाओं के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
जॉर्ज सोरोस और उनके संगठनों को लेकर विवाद कोई नई बात नहीं है। वैश्विक स्तर पर उनकी आर्थिक नीतियों और राजनीतिक हस्तक्षेप को लेकर सवाल उठते रहे हैं। भारत में ओएसएफ की गतिविधियों पर ईडी की यह छापेमारी बताती है कि सरकार विदेशी वित्त पोषित संगठनों की गतिविधियों पर कड़ी नजर बनाए हुए है। आने वाले दिनों में इस मामले में और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं।
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