सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मुंबई की धारावी पुनर्विकास परियोजना (DRP) को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया। अदालत ने इस परियोजना के निर्माण कार्य को रोकने से इनकार कर दिया और बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को पलटने से इंकार कर दिया, जिसमें अडाणी ग्रुप के पक्ष में निर्णय दिया गया था।
क्या है मामला?
धारावी, जो कि एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती मानी जाती है, के पुनर्विकास को लेकर पिछले कुछ वर्षों से विवाद चल रहा है। इस पुनर्विकास परियोजना की शुरुआत महाराष्ट्र सरकार ने की थी, जिसके लिए पहले 2019 में टेंडर जारी किया गया था। दुबई स्थित सेकलिंक टेक्नोलॉजी कॉरपोरेशन ने इस बोली को जीता था। हालांकि, कोविड-19 और अन्य कारणों के चलते 2019 की इस बिड को रद्द कर दिया गया। इसके बाद 2022 में महाराष्ट्र सरकार ने नए सिरे से टेंडर जारी किया, जिसे अडाणी ग्रुप ने जीत लिया।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
इस मामले की सुनवाई भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने की, जिसमें न्यायमूर्ति संजय कुमार भी शामिल थे। अदालत में दुबई की कंपनी सेकलिंक टेक्नोलॉजी कॉरपोरेशन ने महाराष्ट्र सरकार के फैसले को चुनौती दी और कहा कि उसकी 2019 की बिड को गलत तरीके से रद्द कर दिया गया। सेकलिंक ने यह भी दावा किया कि वह अपनी बिड में 20% की वृद्धि करने को तैयार है और 8,640 करोड़ रुपये की संशोधित बिड पेश कर सकता है, जो अडाणी ग्रुप की 5,069 करोड़ रुपये की बिड से अधिक है।
अडाणी ग्रुप की दलीलें
अदालत में अडाणी ग्रुप की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पक्ष रखते हुए कहा कि उनके मुवक्किल ने पहले ही हजारों मजदूरों को काम पर रख लिया है, इस परियोजना में भारी निवेश किया है और करोड़ों रुपये की निर्माण सामग्री और उपकरण खरीदे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि रेलवे क्वार्टरों को गिराने का काम शुरू हो चुका है।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए स्पष्ट किया कि वह इस समय परियोजना स्थल पर चल रहे निर्माण कार्य को रोकने के पक्ष में नहीं है। हालांकि, अदालत ने अडाणी ग्रुप को निर्देश दिया कि सभी भुगतानों के लिए एक एस्क्रो अकाउंट बनाए रखा जाए ताकि वित्तीय पारदर्शिता बनी रहे।
आगे की सुनवाई कब होगी?
सुप्रीम कोर्ट ने सेकलिंक टेक्नोलॉजी को अपने दावे के समर्थन में एक हलफनामा दाखिल करने को कहा और मामले को 25 मई को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।
बॉम्बे हाई कोर्ट का फैसला
गौरतलब है कि 20 दिसंबर 2024 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के 2019 की बिड को रद्द करने और 2022 में अडाणी ग्रुप को नया टेंडर देने के फैसले को सही ठहराया था। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया था कि सरकार के फैसले में कोई अनियमितता नहीं है।
धारावी पुनर्विकास परियोजना का महत्व
धारावी पुनर्विकास परियोजना मुंबई के शहरी विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस परियोजना के तहत झुग्गियों में रहने वाले हजारों परिवारों को बेहतर आवास और बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया है। अडाणी ग्रुप के इस परियोजना को संभालने के बाद इसमें तेजी आने की उम्मीद है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से अडाणी ग्रुप को राहत मिली है और परियोजना के आगे बढ़ने का रास्ता साफ हो गया है। हालांकि, सेकलिंक टेक्नोलॉजी की पुन: बिडिंग की मांग को लेकर मामला अभी भी लंबित है और 25 मई को इस पर फिर से सुनवाई होगी। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सुप्रीम कोर्ट अंतिम रूप से क्या निर्णय लेता है और धारावी पुनर्विकास परियोजना का भविष्य क्या होता है।
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