भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस जॉयमाल्या बागची को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश की है। इस सिफारिश को मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता में गठित पांच सदस्यीय कॉलेजियम ने सर्वसम्मति से पारित किया। यदि केंद्र सरकार इस सिफारिश को मंजूरी देती है, तो जस्टिस बागची का कार्यकाल सर्वोच्च न्यायालय में छह वर्षों से अधिक होगा।
कलकत्ता हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक का सफर
यह ध्यान देने योग्य है कि 18 जुलाई 2013 को जस्टिस अल्तमस कबीर के सेवानिवृत्त होने के बाद से कलकत्ता हाईकोर्ट के किसी भी न्यायाधीश को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बनने का अवसर नहीं मिला था। अब, जस्टिस जॉयमाल्या बागची की नियुक्ति इस ऐतिहासिक कमी को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
सुप्रीम कोर्ट में प्रभावशाली कार्यकाल
कॉलेजियम के अनुसार, जस्टिस जॉयमाल्या बागची अखिल भारतीय वरिष्ठता सूची में उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों में 11वें स्थान पर हैं। यदि उनकी नियुक्ति को मंजूरी मिलती है, तो वह 25 मई 2031 को जस्टिस केवी विश्वनाथन के सेवानिवृत्त होने के बाद सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभालेंगे। इस पद पर वह 2 अक्टूबर 2031 तक सेवारत रहेंगे।
न्यायिक प्रणाली में योगदान
जस्टिस बागची अपने निष्पक्ष और सटीक न्यायिक फैसलों के लिए जाने जाते हैं। उनके नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट में न्यायिक कार्यों में और अधिक पारदर्शिता और कुशलता आने की संभावना है। उनके दीर्घकालिक अनुभव और कानूनी ज्ञान से देश की न्यायिक प्रणाली को मजबूती मिलेगी।
जस्टिस जॉयमाल्या बागची की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति भारतीय न्यायपालिका के लिए एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम साबित हो सकती है। उनकी नियुक्ति से कलकत्ता हाईकोर्ट को भी एक प्रतिष्ठित स्थान मिलेगा और न्यायिक व्यवस्था में एक नया अध्याय जोड़ा जाएगा। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि केंद्र सरकार इस सिफारिश पर कब और क्या निर्णय लेती है।
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