मणिपुर में राष्ट्रपति शासन: गृह मंत्री अमित शाह की समीक्षा बैठक वआगे की रणनीति

मणिपुर में हाल ही में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने पहली बार राज्य की सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के लिए महत्वपूर्ण बैठक बुलाई। यह समीक्षा बैठक शनिवार सुबह 11 बजे नॉर्थ ब्लॉक स्थित गृह मंत्रालय में आयोजित हुई। बैठक में राज्यपाल अजय कुमार भल्ला, मणिपुर सरकार के शीर्ष अधिकारी, सेना और अर्धसैनिक बलों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की पृष्ठभूमि
राज्य में जातीय हिंसा के कारण उत्पन्न राजनीतिक अस्थिरता के चलते मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद, 13 फरवरी 2024 को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। राज्य में पिछले दो वर्षों से कुकी और मैतेई समुदायों के बीच संघर्ष चल रहा है, जिसके कारण मणिपुर में 1951 के बाद से अब तक 11वीं बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया है।
समीक्षा बैठक के महत्वपूर्ण मुद्दे
गृह मंत्री अमित शाह द्वारा बुलाई गई इस बैठक में मणिपुर की सुरक्षा स्थिति पर चर्चा की गई। इस दौरान मुख्य रूप से निम्नलिखित बिंदुओं पर विचार-विमर्श हुआ:
सुरक्षा की वर्तमान स्थिति: मणिपुर में सेना, अर्धसैनिक बल और पुलिस की तैनाती की समीक्षा की गई।
लूटे गए हथियारों की बरामदगी: मणिपुर में हिंसा के दौरान विभिन्न पुलिस शस्त्रागारों से लगभग 6500 बंदूकें और 6,00,000 गोला-बारूद लूटे गए थे। इस बैठक में हथियारों को बरामद करने की रणनीति पर चर्चा की गई।
हथियार सरेंडर योजना: राज्यपाल अजय भल्ला द्वारा सात दिन की माफी योजना शुरू की गई थी, जिसके तहत अब तक 650 हथियार सरेंडर किए जा चुके हैं। बैठक में इस योजना को और प्रभावी बनाने पर जोर दिया गया।
शांति बहाली के प्रयास: कुकी और मैतेई समुदायों के बीच शांति वार्ता के प्रयासों पर भी बैठक में गहन चर्चा की गई। केंद्रीय खुफिया एजेंसियां दोनों पक्षों के नेताओं से संवाद स्थापित कर रही हैं ताकि संघर्ष को समाप्त किया जा सके।
आगे की रणनीति: राष्ट्रपति शासन के दौरान मणिपुर में कानून और व्यवस्था को बहाल करने, विकास कार्यों को तेज करने और आम जनता का विश्वास जीतने के लिए सरकार की रणनीति तय की गई।
हथियार सरेंडर की समय सीमा बढ़ाई गई
बैठक के दौरान, राज्यपाल अजय भल्ला ने लूटे गए हथियारों को सरेंडर करने की समय सीमा को 6 मार्च तक बढ़ाने का निर्णय लिया। उन्होंने आश्वासन दिया कि इस समयसीमा के भीतर सरेंडर किए गए हथियारों पर कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। अब तक सेना द्वारा केवल 2500 हथियार बरामद किए जा सके हैं, जबकि 4000 से अधिक हथियार अभी भी आम लोगों और संगठनों के पास हैं।
मणिपुर की वर्तमान स्थिति और भविष्य की चुनौतियाँ
3 मई 2024 को मणिपुर में जातीय संघर्ष शुरू होने के लगभग 22 महीने बाद भी सामान्य स्थिति पूरी तरह से बहाल नहीं हो पाई है। हिंसा प्रभावित इलाकों में सुरक्षा बलों की भारी तैनाती के बावजूद स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई है। सरकार की सबसे बड़ी चुनौती दोनों समुदायों के बीच विश्वास बहाल करना और मणिपुर में स्थायी शांति स्थापित करना है।
राजनीतिक अस्थिरता के चलते राज्य में विकास कार्य भी बाधित हो गए हैं। केंद्र सरकार द्वारा मणिपुर में आधारभूत संरचना को पुनर्जीवित करने और वहां की जनता को राहत पहुंचाने के लिए नई योजनाओं पर काम किया जा रहा है।
गृह मंत्री अमित शाह द्वारा बुलाई गई यह समीक्षा बैठक मणिपुर में सुरक्षा और स्थिरता बहाल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है। केंद्र सरकार और राज्य प्रशासन मिलकर हथियारों की बरामदगी, हिंसा पर नियंत्रण और शांति वार्ता को प्राथमिकता दे रहे हैं। राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्य में शांति व्यवस्था बहाल करने और विकास कार्यों को गति देने के लिए ठोस योजनाएं बनाई जा रही हैं। मणिपुर में आगे की स्थिति कैसी होगी, यह इस बैठक के बाद लिए गए निर्णयों और उनकी प्रभावशीलता पर निर्भर करेगा।
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