शशि थरूर का कड़ा संदेश: पाकिस्तान के साथ अब साधारण बातचीत संभव नहीं

कांग्रेस सांसद और वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने पाकिस्तान को कड़ा संदेश देते हुए कहा कि अब भारत और पाकिस्तान के बीच बिना किसी बाधा के बातचीत संभव नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि 26/11 के मुंबई हमले जैसे घावों को भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि जब भी भारत सरकार ने पाकिस्तान के साथ बातचीत की पहल की, तभी आतंकी हमलों की घटनाएं सामने आई हैं। पाकिस्तान द्वारा पठानकोट और मुंबई में किया गया हमला एक विश्वासघात था, जिससे संबंध सामान्य बनाना मुश्किल हो गया है।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर के विचारों से सहमति
थरूर ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि पाकिस्तान के साथ अब सामान्य तरीके से बातचीत संभव नहीं है। पाकिस्तान सरकार और आतंकवादी संगठनों के संबंधों को देखते हुए भारत को अपनी कूटनीति में सतर्क रहना होगा।
पीपल टू पीपल कनेक्शन को बढ़ावा देने की वकालत
हालांकि, शशि थरूर ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत और पाकिस्तान के आम नागरिकों के बीच रिश्ते मजबूत होने चाहिए। उन्होंने पाकिस्तान के नागरिकों के लिए वीजा प्रक्रिया को आसान बनाने की सिफारिश की। उनका मानना है कि जो भी पाकिस्तानी नागरिक भारत आता है, वह हमारे देश से प्रभावित हुए बिना नहीं रहता। उन्होंने कहा कि बातचीत को पूरी तरह बंद नहीं किया जा सकता, लेकिन पुरानी घटनाओं को भुलाया भी नहीं जा सकता।
विदेश नीति पर चर्चा और पुस्तक विमोचन
थरूर ने ये विचार वरिष्ठ पत्रकार और विद्वान के. वी. प्रसाद की नई किताब ‘भारतीय संसद: विदेश नीति को आकार देना’ के विमोचन कार्यक्रम में रखे। उन्होंने इस अवसर पर भारत की विदेश नीति और संसद के योगदान पर भी चर्चा की।
अमेरिका से डिपोर्ट किए गए भारतीयों पर चिंता
अपने भाषण में शशि थरूर ने अमेरिका से लौटे अप्रवासी भारतीयों का भी जिक्र किया। हाल ही में, अमेरिका ने 104 भारतीय नागरिकों को हाथों में हथकड़ियां और पैरों में जंजीर बांधकर स्वदेश भेजा, जिससे इस अमानवीय व्यवहार पर देशभर में बहस छिड़ गई।
थरूर ने इस मुद्दे पर गहरी चिंता जताई और कहा कि यदि कोई व्यक्ति अवैध रूप से किसी देश में प्रवेश करता है, तो उस देश को उसे निर्वासित करने का अधिकार है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जाए। उन्होंने सवाल उठाया कि यदि भारत किसी अन्य देश के नागरिकों के साथ ऐसा व्यवहार करता, तो उन्हें कैसा महसूस होता?
उन्होंने जोर देकर कहा कि जो लोग अमेरिका से निर्वासित किए गए हैं, वे कोई अपराधी, बलात्कारी या हत्यारे नहीं थे, बल्कि केवल अवैध अप्रवासी थे। एक बार जब वे उस देश की धरती छोड़ चुके होते हैं, तो उन्हें हथकड़ी या जंजीरों में बांधने की कोई जरूरत नहीं थी।
शशि थरूर के ये बयान भारत-पाकिस्तान संबंधों और प्रवासी भारतीयों की स्थिति पर महत्वपूर्ण दृष्टिकोण प्रदान करते हैं। उनका मानना है कि आतंकवाद के मुद्दे पर भारत को कठोर नीति अपनानी चाहिए, लेकिन आम नागरिकों के बीच रिश्तों को मजबूत करने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए। इसके अलावा, उन्होंने प्रवासी भारतीयों के साथ मानवीय व्यवहार की वकालत करते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की गरिमा बनाए रखने पर जोर दिया।
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