आज, शुक्रवार को संसद के बजट सत्र के पहले दिन, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भारतीय संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2025 पेश करेंगी। यह आर्थिक सर्वेक्षण भारतीय अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति और आने वाले वित्तीय वर्ष के लिए संभावनाओं का एक विस्तृत दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। यह दस्तावेज हर साल बजट से पहले आता है और भारत के आर्थिक विकास, वित्तीय सुधारों और आने वाली योजनाओं को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।
आर्थिक सर्वेक्षण का महत्व
आर्थिक सर्वेक्षण भारतीय सरकार के लिए एक प्रमुख दस्तावेज़ होता है, जो देश की आर्थिक स्थिति का गहराई से विश्लेषण करता है। यह केवल पिछले वर्ष की आर्थिक वृद्धि, मंदी, महंगाई और रोजगार जैसे पहलुओं का ही ब्यौरा नहीं देता, बल्कि आने वाले सालों के लिए आर्थिक नीति के संकेत भी प्रदान करता है। सर्वेक्षण में वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग के विशेषज्ञों द्वारा तैयार किए गए आंकड़े और रिपोर्ट शामिल होते हैं, जिनसे सरकार की नीतियों को आकार देने में मदद मिलती है।
इस बार, आर्थिक सर्वेक्षण की प्रस्तुति बजट सत्र के प्रारंभ को चिह्नित करती है, जो 31 जनवरी से 4 अप्रैल तक दो चरणों में आयोजित होगा। यह सर्वेक्षण संसद के दोनों सदनों में अलग-अलग समय पर पेश किया जाएगा – लोकसभा में दोपहर 12 बजे और राज्यसभा में दोपहर 2 बजे। सर्वेक्षण की प्रस्तुति के बाद, केंद्रीय बजट 2025 की घोषणा 1 फरवरी को की जाएगी।
आर्थिक सर्वेक्षण में क्या मिलेगा?
इस दस्तावेज़ में आगामी वित्तीय वर्ष के लिए सरकार की आर्थिक रणनीतियों, सुधारों और योजनाओं का खाका भी होगा। विशेष रूप से, यह दर्शाएगा कि सरकार किस तरह से आर्थिक मंदी से उबरने, रोजगार सृजन, निवेश आकर्षित करने, और महंगाई पर नियंत्रण पाने के लिए कदम उठा रही है। इसके अलावा, यह बजट के लिए कुछ महत्वपूर्ण संकेत भी दे सकता है, जिससे यह अंदाजा लगाया जा सकेगा कि सरकार किस दिशा में नीतिगत बदलाव कर सकती है।
आर्थिक सर्वेक्षण की तैयारियों में मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंथा नागेश्वरन की देखरेख में कार्य किया गया है। उनके नेतृत्व में तैयार इस सर्वेक्षण में भारतीय अर्थव्यवस्था की जटिलताओं और उसकी दिशा का सही-सही आकलन किया गया है।
प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति का संबोधन
पारंपरिक रूप से, हर साल बजट सत्र की शुरुआत राष्ट्रपति के अभिभाषण से होती है। इस बार, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सुबह 11 बजे संसद के दोनों सदनों को संबोधित करेंगी, जो भारतीय लोकतंत्र और सरकार की योजनाओं के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेगा। इसके बाद, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आर्थिक सर्वेक्षण पेश करेंगी, जो बजट 2025 के लिए एक पूर्वानुमान के रूप में कार्य करेगा।
केंद्रीय बजट 2025 की प्रमुख झलकियाँ
1. बजट सत्र का समय और संरचना: इस बार बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू होकर 4 अप्रैल तक चलेगा। इस सत्र का पहला भाग 13 फरवरी को समाप्त होगा, और दूसरा चरण 10 मार्च से पुनः शुरू होगा।
2. कैबिनेट की बैठक: बजट पेश करने से पहले, प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक कैबिनेट बैठक होती है, जिसमें सभी मंत्रियों को बजट की जानकारी दी जाती है और उसे मंजूरी मिलती है। यह प्रक्रिया केंद्रीय बजट के आकार और प्राथमिकताओं को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
3. आर्थिक सुधारों की दिशा: इस बार के बजट में, भारत के आर्थिक सुधारों के अगले कदमों और भविष्य में आने वाली चुनौतियों के समाधान पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा। खासकर, निवेश बढ़ाने, रोजगार सृजन, और राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने की दिशा में महत्वपूर्ण उपायों की संभावना है।
आर्थिक सर्वेक्षण: एक नजर में
इस दस्तावेज़ को पेश करते समय, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आम जनता, उद्योग जगत और नीति निर्माताओं को स्पष्ट रूप से बताती हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था किस दिशा में बढ़ रही है। आगामी वर्ष के लिए सरकार की नीति, आमदनी के स्रोत, वित्तीय लक्ष्य और आर्थिक स्थिरता पर विचार विमर्श किया जाएगा। ये आंकड़े और जानकारी नीति निर्धारण में अहम साबित होते हैं और निवेशकों के लिए भी प्रेरणास्त्रोत हो सकते हैं।
आर्थिक सर्वेक्षण 2025 न केवल मौजूदा आर्थिक स्थिति का आकलन प्रदान करेगा, बल्कि भविष्य की दिशा भी निर्धारित करेगा। यह दस्तावेज़ बजट सत्र के पहले कदम के रूप में कार्य करेगा, जो आगामी वित्तीय वर्ष के लिए सरकार की नीतियों और योजनाओं को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की यह पेशकश भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रति विश्वास और विकास की नई दिशा की ओर इशारा करती है।