संकल्प मजबूत हो तो सफलता खुद रास्ता बनाती है- मुस्कान डागर

संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा को भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है। हर साल लाखों अभ्यर्थी इस परीक्षा में बैठने का सपना देखते हैं, लेकिन उनमें से कुछ ही लोग इस कठिन परीक्षा को पास कर पाते हैं। इनमें से एक नाम है आईएएस मुस्कान डागर, जिनकी सफलता की कहानी न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह यह भी दर्शाती है कि अगर लक्ष्य के प्रति समर्पण और मेहनत हो, तो कोई भी कठिनाई बड़ी नहीं होती।
मुस्कान डागर की जीवन यात्रा
मुस्कान डागर का जन्म हरियाणा के झज्जर जिले के सेहलंगा गांव में हुआ था। बचपन से ही वे पढ़ाई में बहुत होशियार और समर्पित रही थीं। मुस्कान ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव से ही प्राप्त की और बाद में दिल्ली के प्रसिद्ध हिंदू कॉलेज से बीएससी में स्नातक की डिग्री हासिल की।
लेकिन, उनकी यात्रा यहाँ तक नहीं रुकती। उन्होंने महसूस किया कि प्रशासनिक सेवा में जाकर वे समाज के लिए कुछ बड़ा कर सकती हैं और इस सोच के साथ उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा देने का निर्णय लिया।
पहले प्रयास में मिली 474वीं रैंक
मुस्कान ने यूपीएससी की परीक्षा के लिए चार महीने की कोचिंग ली थी, लेकिन उन्हें महसूस हुआ कि वह खुद से भी अच्छी तरह से तैयारी कर सकती हैं। उन्होंने कोचिंग छोड़ने का फैसला किया और अपने परिवार के सहयोग से स्वयं अध्ययन शुरू कर दिया। पहले प्रयास में ही मुस्कान को 474वीं रैंक प्राप्त हुई। हालांकि, यह रैंक यूपीएससी के मानकों के हिसाब से उतनी बड़ी नहीं थी, लेकिन मुस्कान ने हार मानने का नाम नहीं लिया।
दूसरे प्रयास में मिली सफलता
मुस्कान डागर ने कभी भी अपने सपनों को आसान नहीं माना। पहले प्रयास में मिली रैंक को लेकर उन्हें कोई निराशा नहीं हुई, बल्कि उन्होंने अपनी कमियों को पहचाना और उन्हें सुधारने के लिए और कड़ी मेहनत की। उन्होंने अपनी दूसरी कोशिश में अपनी रणनीति को और बेहतर किया और इस बार उन्हें ऑल इंडिया रैंक 72 प्राप्त हुई।
यह सफलता उनकी मेहनत, समर्पण और अपने लक्ष्य के प्रति सच्ची प्रतिबद्धता का परिणाम थी। मुस्कान डागर ने इस कठिन परीक्षा को पास कर साबित कर दिया कि अगर निष्ठा और लगन से काम किया जाए तो कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
कोचिंग से हटकर स्व-निर्देशित अध्ययन
मुस्कान डागर का यह भी मानना है कि कोचिंग एक समय के बाद ज़रूरी नहीं होती, अगर किसी के पास सही दिशा, रणनीति और आत्मविश्वास हो। उन्होंने अपनी तैयारी का पूरा ध्यान स्व-निर्देशित अध्ययन पर दिया और यह निर्णय सही साबित हुआ। उनका यह कदम न केवल उनकी मेहनत को दर्शाता है, बल्कि यह यह भी बताता है कि कभी-कभी हमें दूसरों के तरीके से हटकर अपनी राह खुद बनानी होती है।
परिवार का समर्थन
मुस्कान की सफलता में उनके परिवार का बहुत बड़ा योगदान था। उन्होंने हमेशा उनका समर्थन किया और कठिन समय में उन्हें प्रेरित किया। मुस्कान डागर के अनुसार, उनके माता-पिता और उनके परिवार ने उनका हर कदम पर साथ दिया और यही उनके सफलता के रास्ते की सबसे बड़ी ताकत बनी।
मुस्कान डागर का संदेश
मुस्कान डागर की कहानी हमें यह सिखाती है कि सच्ची मेहनत, समर्पण, और आत्मविश्वास से कोई भी कठिनाई पार की जा सकती है। उनका यह संदेश है कि सफलता कभी भी एक दिन में नहीं मिलती, बल्कि यह एक निरंतर यात्रा होती है।
मुस्कान की सफलता का सबसे बड़ा सबक यह है कि जब तक हम अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करते रहें, तब तक कोई भी चुनौती हमें रोक नहीं सकती।
आज मुस्कान डागर एक प्रेरणा हैं उन सभी लड़कियों और लड़कों के लिए जो आईएएस बनकर देश सेवा करने का सपना देखते हैं। उनका संघर्ष और समर्पण यह दर्शाता है कि यदि आप अपनी मेहनत और विश्वास पर भरोसा रखें, तो कोई भी मंजिल दूर नहीं होती।
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