वक्फ संशोधन विधेयक पर जेपीसी बैठक में हंगामा: 10 विपक्षी सांसद निलंबित

वक्फ संशोधन विधेयक पर चर्चा के लिए आयोजित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बैठक शुक्रवार को भारी हंगामे की भेंट चढ़ गई। विपक्षी सांसदों के विरोध और आरोपों के बीच, असदुद्दीन ओवैसी और कल्याण बनर्जी समेत 10 सांसदों को एक दिन के लिए निलंबित कर दिया गया। बैठक के दौरान भाजपा और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हुई, जिससे मामला इतना बढ़ गया कि मार्शल बुलाने की नौबत आ गई।
विपक्षी सांसदों का विरोध और निलंबन
निलंबित किए गए सांसदों में टीएमसी के कल्याण बनर्जी, एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस के मोहम्मद जावेद और नसीर हुसैन, डीएमके के ए राजा, शिवसेना के अरविंद सावंत, और अन्य विपक्षी नेता शामिल हैं। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने इन सदस्यों के निलंबन का प्रस्ताव रखा, जिसे समिति ने स्वीकार कर लिया।
विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया कि जेपीसी की कार्यवाही में उनकी बात नहीं सुनी जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा दिल्ली चुनावों के मद्देनजर वक्फ संशोधन विधेयक पर जल्द रिपोर्ट तैयार करने का दबाव बना रही है।
क्या हुआ बैठक में?
बैठक के दौरान, मीरवाइज उमर फारूक को बुलाने के मुद्दे पर चर्चा शुरू हुई। विपक्षी नेताओं ने मांग की कि जम्मू-कश्मीर के सभी प्रतिनिधियों को सुनने का अवसर दिया जाना चाहिए। जब यह मांग ठुकरा दी गई, तो हंगामा शुरू हो गया।
टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने बैठक से बाहर जाते हुए इसे “तमाशा” करार दिया। उन्होंने कहा कि सरकार और अध्यक्ष किसी की बात नहीं सुन रहे और यह कार्यवाही “जमींदारी” की तरह संचालित हो रही है। कांग्रेस नेता नसीर हुसैन ने बैठक को स्थगित करने की मांग की, लेकिन इसे भी खारिज कर दिया गया।
भाजपा ने क्या कहा?
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने विपक्ष के व्यवहार को “असंसदीय” और “संसदीय लोकतंत्र के खिलाफ” बताया। उन्होंने कहा कि विपक्षी सदस्य, खासकर असदुद्दीन ओवैसी, का मानना था कि जम्मू-कश्मीर के चुने हुए प्रतिनिधियों को बुलाया जाना चाहिए था। लेकिन जब मीरवाइज को बुलाया गया, तो विपक्ष ने बैठक में हंगामा और दुर्व्यवहार किया।
भाजपा की जेपीसी सदस्य अपराजिता सारंगी ने भी विपक्ष पर जेपीसी अध्यक्ष जगदम्बिका पाल के खिलाफ “असभ्य भाषा” का उपयोग करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “सरकार द्वारा पेश किए गए 44 संशोधनों पर पहले ही चर्चा हो चुकी है। अब, यह बैठक अनंत काल तक नहीं चल सकती।”
विपक्ष के आरोप और मांगें
विपक्षी नेताओं ने बैठक में बदलाव और जल्दबाजी के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया। कल्याण बनर्जी ने कहा, “बैठक के विषय को रातों-रात बदल दिया गया। पहले कहा गया था कि चर्चा खंडवार होगी, लेकिन अब इसे जल्दबाजी में निपटाने का प्रयास किया जा रहा है। यह राजनीति से प्रेरित है।”
आगे की स्थिति
हंगामे के कारण जेपीसी की बैठक 27 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी गई है। विपक्ष ने बैठक की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए इसे “अधूरी और पक्षपातपूर्ण” बताया। दूसरी ओर, भाजपा ने कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक पर विस्तृत चर्चा के बाद अब इसे अंतिम रूप देने का समय आ गया है।
जेपीसी बैठक में हुए हंगामे ने विधेयक को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच मतभेद को उजागर कर दिया है। यह विवाद न केवल संसदीय कार्यवाही के स्वरूप पर सवाल खड़े करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि राजनीतिक प्राथमिकताओं के बीच संवाद की कमी किस हद तक लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को प्रभावित कर सकती है।
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