भारत सरकार 2025 के केंद्रीय बजट में एक नया इनकम टैक्स बिल पेश करने की तैयारी कर रही है, जिसका उद्देश्य 1961 में बने आयकर अधिनियम को पूरी तरह से बदलना है। इस नए कानून का मुख्य उद्देश्य मौजूदा व्यवस्था को सरल, समझने योग्य और करदाताओं के लिए अधिक सुविधाजनक बनाना है। साथ ही, इसमें करदाताओं के लिए विवादों को कम करने और मुकदमेबाजी की प्रक्रिया को सरल बनाने की कोशिश की जाएगी। आइए जानते हैं इस प्रस्तावित बदलाव के बारे में विस्तार से।
आयकर अधिनियम, 1961: 64 साल पुराना कानून अब बदलने जा रहा है
आयकर अधिनियम, 1961 भारतीय कर प्रणाली का आधार है, लेकिन यह अब इतने जटिल हो गए हैं कि करदाताओं के लिए इसे समझना और पालन करना मुश्किल हो गया है। वर्तमान में, इस कानून में 298 धाराएं और 23 अध्याय हैं, जिनमें से कई प्रावधान अब अप्रचलित हो चुके हैं। सरकार का उद्देश्य इस पुराने और जटिल कानून को 60 प्रतिशत तक संक्षिप्त और सरल बनाना है, ताकि करदाताओं के लिए इसे समझना और पालन करना आसान हो सके।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जुलाई 2024 में बजट भाषण के दौरान यह घोषणा की थी कि आयकर अधिनियम की व्यापक समीक्षा की जाएगी। उनका कहना था कि इसका उद्देश्य कानून को संक्षिप्त, स्पष्ट और समझने में आसान बनाना है, जिससे करदाताओं को कर से जुड़ी निश्चितता मिले और विवादों और मुकदमेबाजी में कमी आए।
नया इनकम टैक्स बिल: क्या होंगे बदलाव?
नए इनकम टैक्स बिल के तहत कई महत्वपूर्ण बदलाव किए जाएंगे। इसमें:
1. सरलीकरण: वर्तमान में, आयकर अधिनियम के प्रावधान बहुत जटिल हैं, जिससे करदाता आसानी से नहीं समझ पाते। नए बिल में इसका सरलीकरण किया जाएगा, ताकि आम करदाता भी बिना किसी परेशानी के अपने कर संबंधित दायित्वों को पूरा कर सकें।
2. मुकदमेबाजी में कमी: वर्तमान में आयकर कानून के कई प्रावधानों को लेकर विवाद होते रहते हैं, जो अंततः मुकदमेबाजी का कारण बनते हैं। नए बिल का उद्देश्य इन विवादों को कम करना है, ताकि करदाताओं को न्यायिक प्रक्रिया में उलझने की बजाय निश्चितता मिले।
3. अनावश्यक प्रावधानों को हटाना: पुराने कानून में कई ऐसे प्रावधान हैं जो अब अप्रचलित हो चुके हैं और जिनका कोई व्यावहारिक उपयोग नहीं है। इन्हें हटाया जाएगा, ताकि कानून को संक्षिप्त और प्रभावी बनाया जा सके।
4. नवीनतम तकनीकी प्रगति को ध्यान में रखते हुए सुधार: डिजिटल कराधान, ऑनलाइन टैक्स फाइलिंग और अन्य तकनीकी सुधारों को नए कानून में शामिल किया जाएगा, ताकि टैक्स प्रशासन अधिक पारदर्शी और दक्ष हो सके।
5. सार्वजनिक सुझावों का स्वागत: सरकार ने आयकर अधिनियम में बदलाव के लिए जनता से सुझाव मांगे हैं। इसके तहत चार प्रमुख कैटेगिरीज पर ध्यान दिया जाएगा – (1) भाषा का सरलीकरण, (2) मुकदमेबाजी में कमी, (3) अनुपालन में कमी, और (4) अप्रचलित प्रावधानों को हटाना।
2025 में क्या होने जा रहा है?
नए इनकम टैक्स कानून को संसद के बजट सत्र के दौरान पेश किया जाएगा, जो 31 जनवरी से शुरू होकर 4 अप्रैल तक चलेगा। बजट सत्र के पहले भाग में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का संबोधन और आर्थिक सर्वे पेश किया जाएगा, जबकि केंद्रीय बजट 1 फरवरी को पेश किया जाएगा। इस दौरान नए इनकम टैक्स कानून का मसौदा संसद में रखा जाएगा और इसके बाद विधायिका द्वारा इसे पारित किया जाएगा।
इस नए कानून पर विधि मंत्रालय की एक समिति काम कर रही है, और इसे पेश करने से पहले अंतिम रूप दिया जाएगा। इसे अगले छह महीने में पेश करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके बाद, यह न केवल आयकर से जुड़ी कानूनी प्रक्रिया को सरल बनाएगा, बल्कि करदाताओं के लिए भी एक स्पष्ट मार्गदर्शन प्रदान करेगा।
सरकार का उद्देश्य
सरकार का यह प्रयास है कि नए कानून के जरिए करदाताओं के लिए एक स्थिर और निश्चित कराधान प्रणाली बनाई जाए। आयकर से जुड़े विवादों और मुकदमेबाजी में कमी आनी चाहिए, जिससे न केवल करदाता को बल्कि देश के कर प्रशासन को भी फायदा होगा। इसके अलावा, यह सरकार को कर संग्रहण में और अधिक दक्षता प्राप्त करने में मदद करेगा।
2025 का नया इनकम टैक्स बिल भारत के कराधान प्रणाली में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाएगा। इस नए बिल का उद्देश्य आयकर प्रणाली को सरल, समझने योग्य और करदाताओं के लिए पारदर्शी बनाना है। यह बिल पुराने और जटिल कानूनों को बदलकर करदाताओं के लिए एक नए युग की शुरुआत करेगा, जिसमें उन्हें कम विवादों का सामना करना पड़ेगा और कर संबंधित मामलों में अधिक निश्चितता मिलेगी। इस प्रकार, भारत की आर्थिक प्रणाली को और अधिक मजबूत बनाने के लिए यह एक बड़ा कदम होगा।
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