यमन में स्थिति दिन-ब-दिन और गंभीर होती जा रही है। सोमवार को यमन के हूती विद्रोहियों ने दावा किया कि अमेरिकी हवाई हमलों में एक जेल पर भीषण हमला हुआ, जिसमें 68 अफ्रीकी प्रवासियों की दर्दनाक मौत हो गई और 47 अन्य घायल हो गए। यह जेल सादा प्रांत में स्थित थी, जहां हमले के वक्त करीब 115 कैदी बंद थे।
हूतियों के अल-मसीरा सैटेलाइट न्यूज चैनल द्वारा जारी ग्राफिक फुटेज में घटनास्थल की भयावह तस्वीरें सामने आईं, जहां चारों ओर बिखरे शव और तड़पते घायल देखे गए। घटनास्थल से मिल रही रिपोर्ट्स ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चिंता में डाल दिया है।
इससे पहले, अमेरिकी सेना ने “ऑपरेशन रफ राइडर” के तहत यमन की राजधानी सना समेत कई इलाकों पर भी हवाई हमले किए। इन हमलों में हूती विद्रोहियों के कई ठिकानों को निशाना बनाया गया, जिसमें आठ लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई है। अमेरिकी सेना की सेंट्रल कमांड ने कहा कि बीते एक महीने में 800 से अधिक बार हूती ठिकानों पर हमले किए गए हैं।
क्यों बढ़ा है हमला? सेंट्रल कमांड के मुताबिक, ऑपरेशन रफ राइडर के दौरान हूती विद्रोहियों के मिसाइल और ड्रोन प्रोग्राम से जुड़े वरिष्ठ सदस्य भी मारे गए हैं। हालांकि, अमेरिका ने मारे गए लड़ाकों के बारे में अधिक विवरण साझा नहीं किया है।
यह स्पष्ट है कि अमेरिका हूतियों के बढ़ते खतरे को खत्म करने की कोशिश कर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान द्वारा हूतियों को समर्थन मिलने के चलते अमेरिका यह दबाव बना रहा है। अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु समझौते को लेकर चल रही बातचीत के बीच यमन में अमेरिकी हमले ईरान पर रणनीतिक दबाव का हिस्सा माने जा रहे हैं।
पृष्ठभूमि ट्रंप प्रशासन के कार्यकाल में 15 मार्च से अमेरिका ने हूतियों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई तेज कर दी थी। तब से अब तक अमेरिकी हमले लगातार जारी हैं। हूतियों को ईरान का करीबी सहयोगी माना जाता है और उन पर रेड सी में शिपिंग मार्गों को बाधित करने के भी आरोप हैं।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया जेल में प्रवासियों की मौत की खबर ने मानवाधिकार संगठनों को झकझोर दिया है। संयुक्त राष्ट्र और रेड क्रॉस जैसी संस्थाएं हमलों की निष्पक्ष जांच की मांग कर सकती हैं। इस घटना से यमन में जारी मानवीय संकट और गहरा होने की आशंका है।
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